Eating a one-time meal in the month of Jyeshtha keeps the health good, belief – it is obtained by donating sesame seeds and water | ज्येष्ठ मास में क्या करें, क्या नहीं: एक वक्त खाना खाने से अच्छी रहती है सेहत, मान्यता – तिल और जल दान से मिलता है महापुण्य

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24 मिनट पहले

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24 मई से ज्येष्ठ महीना शुरू हो गया है। जो कि 22 जून को पूर्णिमा के साथ खत्म होगा। ग्रंथों के अनुसार इस महीने के आखिरी दिन तीर्थ स्नान के साथ तिल और जल दान के साथ ही एक समय भोजन करना चाहिए।

इस महीने में पड़ने वाले व्रत और त्योहारों के अनुसार जल और पेड़ पौधों की पूजा भी करनी चाहिए। ऋषि-मुनियों ने पर्यावरण की रक्षा को देखते हुए इस महीने के व्रत त्योहारों की व्यवस्था की गई थी।

कैसे पड़ा इस महीने का नाम ज्येष्ठ
हिंदू कैलेंडर के मुताबिक ये साल का तीसरा महीना होता है। इसका स्वामी मंगल होता है। इसके आखिरी दिन पूर्णिमा तिथि के साथ ज्येष्ठा नक्षत्र का संयोग बनता है, इसलिए इस महीने को ज्येष्ठ कहते हैं। प्राचीन काल गणना के मुताबिक इस महीने में दिन बड़े होते हैं और इसे अन्य महीनों से बड़ा माना गया है। जिसे संस्कृत में ज्येष्ठ कहा जाता है। इसलिए इसका नाम ज्येष्ठ हुआ।

ज्येष्ठ माह में क्या करें और क्या नहीं?
1.
ग्रंथों के अनुसार इस महीने में दिन में सोने की मनाही है। शारीरिक परेशानी या अन्य समस्या हो तो एक मुहूर्त तक यानी करीब 48 मिनिट तक सो सकते हैं।
2. सूर्योदय से पहले स्नान और पूरे महीने जल दान करना चाहिए। इसके साथ ही इस महीने जल व्यर्थ करने से वरुण दोष लगता है इसलिए फालतू पानी बहाने से बचना चाहिए।
3. इस महीने में बैंगन नहीं खाया जाता। इससे संतान को कष्ट मिलता है। आयुर्वेद के अनुसार इससे शरीर में वात रोग और गर्मी बढ़ती है, इसलिए पूरे महीने बैंगन खाने से बचना चाहिए।
4. महाभारत के अनुशासन पर्व में लिखा है कि जो ज्येष्ठ महीने में एक समय भोजन करता है। वो धनवान और निरोग होता है। इसलिए हो सके तो इन दिनों में एक बार खाना खाएं।
5. इस महीने में तिल का दान करना बहुत ही फलदायी माना गया है। ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और सेहत भी अच्छी रहती है।
6. ज्येष्ठ महीने का स्वामी मंगल है, इसलिए इन दिनों में हनुमान जी की पूजा का भी बहुत महत्व है। इस महीने हनुमान जी की पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं।

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