वॉशिंगटन16 मिनट पहले
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एनवीडिया एक टेक्नोलॉजी कंपनी है, जो ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) के डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग के लिए जानी जाती है।
अमेरिका की दो बड़ी चिप बनाने वाली कंपनियां, एनवीडिया और AMD अब चीन में अपनी AI चिप्स की बिक्री से होने वाली कमाई का 15% हिस्सा अमेरिकी सरकार को देंगी।
इस तरह से रेवेन्यू का हिस्सा लेना बिल्कुल नया और अनोखा कदम है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में तीन लोगों के हवाले से ये जानकारी दी है।
15% रेवेन्यू शेयरिंग डील के बाद दिया चिप बेचने का लाइसेंस
पिछले महीने ट्रम्प प्रशासन ने एनवीडिया को चीन में अपनी H20 एआई चिप बेचने की इजाजत देने की बात कही थी, लेकिन लाइसेंस नहीं दिए गए थे।
फिर बुधवार को एनवीडिया के सीईओ जेन्सेन हुआंग ने व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात की और इस 15% रेवेन्यू शेयरिंग की डील पक्की की।
इसके दो दिन बाद ही अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने इन चिप्स की बिक्री के लिए लाइसेंस जारी करना शुरू कर दिया। यानी, अमेरिकी सरकार अब एनवीडिया के चीन में बिजनेस की एक तरह से पार्टनर बन गई है। AMD की MI308 चिप भी इस डील का हिस्सा है।
अप्रैल में ट्रम्प प्रशासन ने इस चिप की चीन में बिक्री पर रोक लगा दी थी, लेकिन अब इस सौदे के तहत बिक्री की इजाजत मिल गई है।

जेन्सन हुआंग चिप बनाने वाली कंपनी एनवीडिया के CEO और प्रेसिडेंट हैं।
पहले भी अंतरराष्ट्रीय सौदों में दखल दे चुका है ट्रम्प प्रशासन
ट्रम्प प्रशासन पहले भी अमेरिकी कंपनियों के अंतरराष्ट्रीय सौदों में दखल दे चुका है। जैसे, जून में जापान की निप्पॉन स्टील को यूएस स्टील में निवेश की मंजूरी दी गई।
इसमें सरकार ने कंपनी में तथाकथित गोल्डन शेयर लिया। गोल्डन शेयर किसी कंपनी में सरकार या किसी खास निवेशक को मिलता है। इसके जरिए वो कंपनी के बड़े फैसलों पर खास कंट्रोल रख सकते हैं, भले ही उनकी हिस्सेदारी कम हो।
डील से सरकार को करीब ₹17,000 करोड़ मिलेंगे
बर्न्सटीन रिसर्च के मुताबिक, इस डील से सरकार को 2 बिलियन डॉलर (करीब ₹17,000 करोड़) मिल सकते हैं। एनवीडिया इस साल के अंत तक चीन में करीब ₹1.31 लाख करोड़ की अपनी H20 चिप बेच सकती है। AMD की बिक्री ₹7 हजार करोड़ तक हो सकती है।
एआई चिप्स बेचना अमेरिका की सुरक्षा के लिए खतरा
- ट्रम्प और बाइडेन प्रशासन में नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की चीन निदेशक रह चुकी लिजा टोबिन ने कहा, “यह एक गलत कदम है। इससे चीन को और दबाव डालने का मौका मिलेगा। हम अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को कॉरपोरेट मुनाफे के लिए बेच रहे हैं।”
- एनवीडिया के प्रवक्ता केन ब्राउन ने कहा कि कंपनी अमेरिकी सरकार के नियमों का पालन करती है। उन्होंने कहा, “हमने महीनों से चीन में H20 चिप्स नहीं भेजीं, लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि निर्यात नियम हमें चीन और दुनिया भर में प्रतिस्पर्धा करने का मौका देंगे।”
क्यों बदला ट्रम्प प्रशासन का रुख?
अप्रैल में ट्रम्प प्रशासन ने इन चिप्स की बिक्री पर रोक लगा दी थी, क्योंकि इन्हें चीन की एआई तकनीक को मजबूत करने वाला माना गया था।
लेकिन जेन्सन हुआंग ने ट्रम्प को समझाया कि अगर अमेरिकी कंपनियों को चीन में बिक्री की इजाजत नहीं मिली, तो चीन की कंपनी हुवावे वहां के बाजार में हिस्सेदारी बढ़ा लेगी।
हुआंग का कहना था कि इससे अमेरिकी कंपनियों को नुकसान होगा, जबकि चीन अपनी रिसर्च और डेवलपमेंट में और पैसा लगाएगा। हुआंग ने कहा, “अमेरिकी टेक्नोलॉजी को ग्लोबल स्टैंडर्ड होना चाहिए, जैसे अमेरिकी डॉलर है।”
H20 चिप एनवीडिया की सबसे बेहतरीन चिप नहीं
वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने पिछले महीने सीएनबीसी पर कहा था कि H20 चिप एनवीडिया की सबसे बेहतरीन चिप नहीं है, बल्कि यह उनकी “चौथी सबसे अच्छी” चिप है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका का लक्ष्य है कि वह चीन से हमेशा एक कदम आगे रहे, और इसलिए चीन को सबसे अच्छी चिप्स नहीं बेची जाएंगी।
GPU को डिजाइन और मैन्युफैक्चर करती है कंपनी
एनवीडिया एक टेक्नोलॉजी कंपनी है, जो ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) के डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग के लिए जानी जाती है। 1993 में जेन्सेन हुआंग, कर्टिस प्रीम और क्रिस मालाचोव्स्की ने इसकी स्थापना की थी। इसका मुख्यालय कैलिफोर्निया के सांता क्लारा में है।
एनवीडिया गेमिंग, क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग और प्रोफेशनल एप्लिकेशन्स के लिए चिप को डिजाइन और मैन्युफैक्चर करती है। इसके साथ-साथ व्हीकल्स, रोबोटिक्स और अन्य उपकरणों में भी उसके चिप सिस्टम का इस्तेमाल होता है।

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फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में वेंस ने कहा कि चीन पर टैरिफ लगाने का विचार चल रहा है, लेकिन अभी कोई पक्का फैसला नहीं हुआ है। पूरी खबर पढ़े…
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