The supervisor of the oxygen plant was on leave, the responsibility was handed over to the washerman | ऑक्सीजन प्लांट का सुपरवाइजर था छुट्‌टी पर, धोबी को सौंपा जिम्मा – Jalandhar News

सिविल अस्पताल जालंधर में वेंटिलेटर पर हुई 3 मौतों के मामले में बड़ी लापरवाहियों के खुलासे हुए हैं। हादसे की वजह ऑक्सीजन प्लांट के कंप्रेसर में कूलिंग ऑयल लीकेज से फाल्ट होना बताया गया है। यही नहीं, ऑक्सीजन का प्रेशर कम होने पर आईसीयू का बजने वाला अला

.

पाया गया कि ऑक्सीजन प्लांट का सुपरवाइजर नरिंदर अवकाश पर था। उसकी जगह दर्जा चार कर्मचारी दीपक को पिछले एक साल से रिलीवर की जिम्मेदारी सौंपी हुई थी, दीपक वहां बतौर धोबी कार्यरत है। टीम ने प्लांट की असिस्टमेंट रिपोर्ट बना ली है। एक्सईएन सुखचैन सिंह ने जांच में पाया कि वहां 1000 व 700 एमपीए के ऑक्सीजन प्लांट बने हैं।

यहां पर दोनों ऑक्सीजन लाइन में प्रेशर मापने का मीटर लगा होता है। एक लाइन में प्रेशर कम होने पर ऑटोमेटिक दूसरी लाइन से ऑक्सीजन सप्लाई शुरू होती है, लेकिन टीम को दूसरी लाइन में बैकअप ही नहीं मिला। वहां सिलेंडर नहीं लगा था।

टीम ने ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में पाया कि वहां अलार्म की लाल, पीली और हरी बत्ती का बोर्ड लगा है, जो प्रेशर कम होने पर अवाज करता है, लेकिन यह अलार्म भी नहीं बजा। डाक्टर्स व स्टॉफ को पता ही नहीं चला। यहां 8-8 घंटे की 3 शिफ्ट में रोजाना 3 प्लांट ऑॅपरेटर चाहिए। लेकिन वर्तमान में 2 ही ऑपरेटर हैं। 1 साल से चतुर्थी श्रेणी मुलाजिम ड्यूटी निभाते हैं। कोई भी इंजीनियर तैनात नहीं है।

कब क्या हुआ…

  • सुबह 7.55 बजे चंडीगढ़ से टीम पहुंची ।
  • 8 बजे सेहत मंत्री डॉ. बलबीर पहुंचे ।
  • 9 बजे डायरेक्टर अधिकारियों से मिले।
  • 9.25 बजे स्टॉफ से रिकॉर्ड लिया।
  • 9.30 बजे गेट बंद कर पूछताछ।
  • 9.40 बजे ऑक्सीजन प्लांट का दौरा।
  • 10 बजे स्टॉफ के लिखित ब्यान।
  • 10.35 बजे प्लांट की रिपोर्ट बनाई।
  • 11 बजे टीम के डायरेक्टर डॉ. अनिल गोयल ने लिखित बयान लिए।
  • 12.30 बजे मंत्री मोहिंदर भगत पहुंचे।
  • दोपहर 1 बजे अधिकारियो से मिले।
  • 1.40 बजे विधायक परगट सिंह पहुंचे।

दोपहर 3 बजे निदेशक डॉ. अनिल गोयल टीम समेत वापस लौट गए।

जैसे ही हमें आक्सीजन के प्रेशर कम होने का पता लगा, हमने तुरंत वेंटिलेटर पर दाखिल गंभीर मरीजों को सीपीआर दिया। मौके पर स्टॉफ से प्लाट से ऑक्सीजन शुरू करने के लिए बोला, लेकिन हम नहीं गए, क्योंकि हम डाक्टर्स होने से मरीज को छोड़कर नहीं जा सके। मौके पर मरीजों को सीपीआर दिया, ताकि जान बच सके। एसएमओ डॉ. सुरजीत ने बताया, उसने एमएस डॉक्टर राजकुमार की अनुमति से दर्जा चार कर्मी को लगाया गया था। वह साल भर से काम करता था।

संबंधित खबर जालंधर भास्कर में

  • ट्रॉमा सेंटर की जांच करती टीम
  • हमने सीपीआर दिया, फिर भी नहीं बचा पाए
  • इसलिए ये लापरवाहियों का हादसा…
  • ऑक्सीजन प्लांट का सुपरवाइजर नरिंदर अवकाश पर था।
  • अवकाश पर होने पर दर्जा-4 कर्मी दीपक को ट्रॉमा सेंटर में बुलाया।
  • कोविड में भी दीपक ने प्लांट में सहयोगी के रूप में काम किया था।
  • ट्रॉमा सेंटर में हाउस सर्जन भी ड्यूटी से नदारद मिला।

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *