Essence of Hinduism lies in embracing everyone: RSS chief Mohan Bhagwat | भागवत बोले-कट्टर हिंदू का मतलब दूसरों का विरोध करना नहीं: बल्कि सबको अपनाना है, हिंदू धर्म सबको साथ लेकर चलने वाला धर्म

कोच्चि2 घंटे पहले

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कोच्चि में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन 'ज्ञान सभा' कार्यक्रम में RSS चीफ मोहन भागवत। - Dainik Bhaskar

कोच्चि में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन ‘ज्ञान सभा’ कार्यक्रम में RSS चीफ मोहन भागवत।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को कहा कि ‘कट्टर हिंदू होने का मतलब दूसरों का विरोध करना नहीं है’,बल्कि हिंदू होने का असली मतलब सबको अपनाना है। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म सबको साथ लेकर चलने वाला धर्म है।

भागवत ने कहा- ‘अक्सर गलतफहमी हो जाती है कि अगर कोई अपने धर्म के प्रति दृढ़ है तो वह दूसरों का विरोध करता है। हमें यह कहने की ज़रूरत नहीं कि हम हिंदू नहीं हैं। हम हिंदू हैं, लेकिन हिंदू होने का सार यह है कि हम सभी को अपनाएं।’

वे कोच्चि में RSS से जुड़ी संस्था शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन ‘ज्ञान सभा’ को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में देश भर के शिक्षाविद और विचारक पहुंचे हुए थे।

भागवत के भाषण की 5 मुख्य बातें:

1.शिक्षा में बदलाव की जरूरत उन्होंने मैकॉले द्वारा थोपे गए औपनिवेशिक शिक्षा मॉडल को आज के भारत के लिए अनुपयुक्त बताया। उन्होंने कहा कि सत्य और करुणा पर आधारित भारतीय शिक्षा प्रणाली ही भारत की विशाल संभावनाओं को जगाकर विश्व कल्याण में योगदान दे सकती है।

2. विद्या और अविद्या का महत्व उन्होंने कहा कि इस संसार में दो तरह का ज्ञान होता है- विद्या (सत्य ज्ञान) और अविद्या (अज्ञान)। दोनों का जीवन के भौतिक और आध्यात्मिक पहलुओं में अहम योगदान है, और भारत इन दोनों के संतुलन को महत्व देता है।

3. भारतीय राष्ट्रवाद और आध्यात्मिकता भागवत ने भारत को आध्यात्मिक भूमि बताया और कहा कि देश का राष्ट्रवाद पवित्र और शुद्ध भावना से जुड़ा हुआ है।

4. सच्चे विद्वान की परिभाषा उन्होंने कहा कि सच्चा विद्वान वह नहीं जो केवल चिंतन करता है, बल्कि वह है जो अपने विचारों को कर्म में बदलता है और जीवन में उसका उदाहरण पेश करता है।

5. समाज परिवर्तन में व्यक्तिगत भूमिका भागवत ने कहा कि हर व्यक्ति को समाज के समग्र परिवर्तन के लिए व्यक्तिगत उत्तरदायित्व के साथ काम करना चाहिए।

एक दिन पहले कहा- सोने की चिड़िया नहीं, शेर बनना है एक दिन पहले 27 जुलाई को इसी कार्यक्रम में भागवत ने कहा था कि हमें फिर से सोने की चिड़िया नहीं बनना है, बल्कि हमको शेर बनना है। दुनिया शक्ति की ही बात समझती है और शक्ति संपन्न भारत होना चाहिए।

उन्‍होंने कहा था कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाए और उसे कहीं भी अपने दम पर जीवित रहने की क्षमता प्रदान करे।

उन्होंने कहा था कि विकसित भारत और विश्व गुरु भारत कभी युद्ध का कारण नहीं बनेगा, बल्कि यह विश्व में शांति और समृद्धि का संदेशवाहक होगा। भारत की यह पहचान उसकी शिक्षा प्रणाली और सांस्कृतिक मूल्यों से और मजबूत होगी। पूरी खबर पढ़ें…

पाठ्यक्रमों में बदलाव की बात का समर्थन किया इससे पहले भागवत ने पाठ्यक्रमों में बदलाव की बात का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि भारत को सही रूप में समझने और प्रस्तुत करने की आवश्यकता है। आज जो इतिहास पढ़ाया जाता है, वह पश्चिमी दृष्टिकोण से लिखा गया है। उनके विचारों में भारत का कोई अस्तित्व नहीं है।

भागवत ने कहा था- विश्व मानचित्र पर भारत दिखता है, लेकिन उनकी सोच में नहीं। उनकी किताबों में चीन और जापान मिलेंगे, भारत नहीं। पूरी खबर पढ़ें…

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