वॉशिंगटन12 घंटे पहले
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ब्यूटिफुल बिल को लेकर इलॉन मस्क और डोनाल्ड ट्रम्प के बीच विवाद शुरू हुआ था।
टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक इलॉन मस्क ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उस पोस्ट का जवाब दिया है जिसमें उन्होंने दावा किया था कि मस्क की कंपनियों को अमेरिकी सरकार से “बड़ी सब्सिडी” मिलती है। वे इसे वापस लेकर उनकी कंपनियों को नष्ट नहीं करना चाहते।
टेस्ला के बॉस ने इसका जवाब देते हुए कहा कि ये सब्सिडी वास्तव में मौजूद नहीं हैं। उन्होंने ये भी कहा कि स्पेसएक्स ने NASA के कॉन्ट्रैक्ट्स को बेहतर काम और कम कीमत पर जीते हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि इन कॉन्ट्रैक्ट्स को हटाने से अंतरिक्ष यात्री बीच में अटके रह जाएंगे।
ट्रम्प और मस्क का पूरा पोस्ट पढ़े…


विवाद का कारण: ट्रम्प ने सब्सिडी बंद करने की धमकी दी थी
ये विवाद बिग ब्यूटिफुल बिल को लेकर शुरू हुआ था, जिसका इलॉन मस्क विरोध कर रहे थे। मस्क ने कहना था कि ये बिल अमेरिका के कर्ज को बढ़ाएगा। उन्होंने ये भी कहा था कि बिल अमेरिका में लाखों नौकरियां खत्म कर देगा और हमारे देश को बड़ा नुकसान पहुंचाएगा।
वहीं ट्रम्प ने कहा था- इलॉन को इस बिल की पूरी जानकारी थी। उन्हें इससे कोई समस्या नहीं थी। उन्हें अचानक दिक्कत तब हुई, जब पता चला कि हमें इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) मैंडेट में कटौती करनी होगी, क्योंकि इसमें अरबों डॉलर का खर्च है।
ट्रम्प ने ये भी कहा था कि अगर मस्क को मिलने वाली सब्सिडी बंद हो जाए, तो उनको अपनी दुकान (कंपनी) बंद करके दक्षिण अफ्रीका लौटना पड़ेगा। ट्रम्प के कहा- सब्सिडी बंद होने से न तो टेस्ला इलेक्ट्रिक कार का प्रोडक्शन कर पाएगी न ही स्पेसएक्स के रॉकेट, सैटेलाइट लॉन्च होंगे।
ट्रम्प और मस्क की दोस्ती में दरार तब पड़ी जब इलॉन मस्क ने ट्रम्प प्रशासन के अपने दूसरे कार्यकाल में DOGE से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने ट्रम्प के चुनाव अभियान में न सिर्फ उनके सबसे बड़े समर्थक के रूप में बल्कि सबसे बड़े दानदाता के रूप में भी साथ दिया था।
सच क्या है: मस्क को 3.2 लाख करोड़ रुपए की मदद मिली
वाशिंगटन पोस्ट के विश्लेषण के अनुसार, मस्क और उनकी कंपनियों को बीते करीब 20 साल में सरकार से कॉन्ट्रैक्ट, लोन, सब्सिडी और टैक्स क्रेडिट के रूप में कम से कम 38 बिलियन डॉलर मिले हैं। आज के हिसाब से ये रकम करीब 3.2 लाख करोड़ रुपए के करीब होती है।
स्पेसएक्स की बात करें तो ये सच है कि NASA ने उन्हें कॉन्ट्रैक्ट्स दिए, लेकिन ये कॉन्ट्रैक्ट्स योग्यता और लागत के आधार पर मिले, न कि किसी सब्सिडी से। अगर ये कॉन्ट्रैक्ट्स हटाए गए तो अंतरिक्ष मिशन रुक सकते हैं। दूसरी कंपनियों को ज्यादा पैसा देना पड़ सकता है।
