Punjab 1993 police personnel Gurmukh Singh and Sukhwinder Singh fake encounter CBI court punishment update | पंजाब में रिटायर्ड SP को 10 साल की सजा: सिपाही एनकाउंटर मामले में दोषी, 3 बरी, परिजनों ने कहा-आधा इंसाफ मिला, अब जाएंगे सुप्रीम कोर्ट – Punjab News

मोहाली अदालत ने फर्जी एनकाउंटर से जुड़े मामले में फैसला सुनाया है। मृतकों के परिजनों का कहना है कि फैसले से संतुष्ट नहीं है।

1993 में सिपाही गुरमुख सिंह और सुखविंदर सिंह के फर्जी एनकाउंटर मामले में आज सीबीआई की विशेष अदालत ने फैसला सुना दिया। अदालत ने उस समय के इंस्पेक्टर और बाद में रिटायर एसपी बने परमजीत सिंह विर्क को दोषी पाया और उन्हें 10 साल की जेल और 50 हजार रुपए जुर्

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मृतकों के परिवारवालों का कहना है कि उन्हें पूरा इंसाफ नहीं मिला। वे चाहते थे कि सभी को सजा मिले। अब वे इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे और कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे।

घर से उठाया था, आज तक पता नहीं

सिपाही सुखविंदर सिंह के भतीजे अमृतपाल सिंह ने बताया, “वह मेरे ताया लगते थे। यह 1993 की बात है। उस समय वे अमृतसर के सदर थाने में पोस्टेड थे। उनकी तबीयत खराब थी, इसलिए घर पर ही थे। तभी कुछ पुलिस मुलाजिम दो गाड़ियों में आए और कहा कि ‘साहब ने बुलाया है’।

इस बहाने वे उन्हें अपने साथ ले गए। लेकिन इसके बाद वे कभी वापस नहीं आए। उनका एनकाउंटर कर दिया गया। हमें उनकी लाश तक नहीं दी गई, चेहरा तक नहीं देखने दिया गया। उनकी जल्द ही शादी होने वाली थी। अब तक इंसाफ नहीं मिला है। सिर्फ एक आरोपी को सजा हुई, बाकी तीनों बरी हो गए हैं। हम इस मामले को लेकर हाईकोर्ट जाएंगे।”

अदालत ने आज 1993 के एक फर्जी एनकाउंटर से जुडे़े मामले में फैसला सुनाया है।

अदालत ने आज 1993 के एक फर्जी एनकाउंटर से जुडे़े मामले में फैसला सुनाया है।

मेरे पिता को मारा, मेरा करियर खराब किया

मृतक सिपाही गुरमुख सिंह के बेटे चरणजीत सिंह ने कहा, “हम इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। दोषियों को हत्या के मामले में सजा मिलनी चाहिए थी। इन लोगों की वजह से मेरी पूरी जिंदगी खराब हो गई। मेरी पुलिस में नौकरी लग चुकी थी, मेरा नाम मेरिट लिस्ट में आ गया था, लेकिन इनके झूठे आरोपों की वजह से मुझे नौकरी नहीं मिली।

इन्होंने मेरे पिता को मारा और मेरा करियर भी बर्बाद कर दिया। मेरे पिता बहुत इज्जतदार और अच्छे इंसान थे। मैं सरकार से मांग करता हूं कि मुझे नौकरी पर बहाल किया जाए।

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