मुंबई8 घंटे पहले
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क्रिप्टोकरेंसी एक तरह की वर्चुअल करेंसी है। इसे डिजिटल करेंसी भी कहा जाता है। डॉलर या रुपए जैसी करेंसी की तरह क्रिप्टोकरेंसी से भी लेन-देन किया जा सकता है।
भारत के एक बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज कॉइन DCX से हैकरों ने 44 मिलियन डॉलर (करीब 380 करोड़ रुपए) चुरा लिए। घटना शनिवार (19 जुलाई) की है, जब हैकर्स ने कंपनी के एक इंटरनल ऑपरेशनल अकाउंट को निशाना बनाया।
हालांकि कॉइन DCX ने कहा है कि ग्राहकों के फंड पूरी तरह सुरक्षित हैं और नुकसान की भरपाई कंपनी अपनी ट्रेजरी रिजर्व से करेगी। इस घटना ने क्रिप्टोकरेंसी में इन्वेस्टमेंट के रिस्क और सिक्योरिटी थ्रेट को फिर से उजागर कर दिया है।
इस स्टोरी में सवाल-जवाब के जरिए मौजूदा घटना और क्रिप्टो में निवेश के खतरों को जानेंगे…
सवाल 1: यह हैकिंग कैसे हुई और हैकर्स ने फंड कैसे ट्रांसफर किए?
जवाब: हैकर्स ने कॉइन DCX के पार्टनर एक्सचेंज पर मौजूद एक ऑपरेशनल अकाउंट तक अनधिकृत पहुंच हासिल की। ये अकाउंट ग्राहकों के पैसे रखने वाला नहीं था।
ये वो खाता था जिसे कॉइन DCX अपने पार्टनर एक्सचेंज के साथ ट्रेडिंग और लिक्विडिटी के लिए इस्तेमाल करता था। हैकर्स ने फंड ट्रांसफर करने और ट्रेसिंग को मुश्किल बनाने के लिए 3 तरीके अपनाए-
- टॉरनेडो कैश : ये ट्रांजैक्शंस को इतना जटिल कर देता है कि कोई ये नहीं बता सकता कि पैसा किस वॉलेट से किस वॉलेट में गया। लोग इसका इस्तेमाल अपनी प्राइवेसी बचाने के लिए करते हैं, लेकिन हैकर्स इसे चुराए हुए पैसे छिपाने के लिए भी यूज करते हैं।
- क्रिप्टो ब्रिज: हैकर्स ने सोलाना-एथेरियम ब्रिज का इस्तेमाल किया। ये एक डिजिटल “पुल” की तरह है, जो सोलाना और एथेरियम ब्लॉकचेन को जोड़ता है। इसके जरिए आप सोलाना पर मौजूद क्रिप्टो (जैसे SOL या USDC) को एथेरियम ब्लॉकचेन पर ट्रांसफर कर सकते हैं।
- मल्टीपल वॉलेट: एक ही व्यक्ति या ग्रुप के पास कई सारे क्रिप्टो वॉलेट्स होना। क्रिप्टो की दुनिया में वॉलेट एक तरह का डिजिटल “पर्स” होता है, जिसमें आप अपनी क्रिप्टोकरेंसी (जैसे बिटकॉइन, एथेरियम, सोलाना) रखते हैं। इस मामले में हैकर्स ने फंड को कई अलग-अलग वॉलेट में बांटा ताकि ट्रैकिंग और मुश्किल हो।
हैकर्स ने चुराए गए फंड्स को सोलाना ब्लॉकचेन पर मौजूद अपने वॉलेट में ले लिया। इसके बाद इन फंड्स को एथेरियम ब्लॉकचेन पर ट्रांसफर करना शुरू किया।
ऐसा इसलिए, क्योंकि एथेरियम पर टॉरनेडो कैश जैसे मिक्सर का इस्तेमाल करना आसान है और ये उनकी चोरी को छिपाने में मदद करता है। इसके बाद फंड को टॉरनेडो कैश से रूट किया गया। इस ट्रांसफर को हैकर्स ने छोटे-छोटे हिस्सों में किया, ताकि ज्यादा ध्यान न खींचे।
सवाल 2: इस हैकिंग को किस तरह से और किसने पकड़ा?
जवाब: हैकिंग को सबसे पहले जैक XBT नाम के एक ब्लॉकचेन एनालिस्ट ने पकड़ा। वो क्रिप्टो ट्रांजैक्शंस को ट्रैक करने में माहिर हैं। उन्होंने देखा कि सोलाना से एथेरियम पर बड़े पैमाने पर फंड्स ट्रांसफर हो रहे हैं और ये टॉरनेडो कैश के जरिए जा रहे हैं।
जैक ने तुरंत टेलीग्राम और X जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अलर्ट जारी किया। उनके इस अलर्ट की वजह से कॉइन DCX को 17 घंटे बाद इस हैक का पता चला।
सवाल 3: हैकिंग का पता चलने के बाद क्या एक्शन लिया?
जवाब: कॉइन डीसीएक्स ने हैकिंग का पता चलने के बाद 6 बड़े कदम उठाएं…
- अकाउंट फ्रीज: जिस ऑपरेशनल अकाउंट से चोरी हुई, उसे तुरंत लॉक कर दिया गया, ताकि और नुकसान न हो।
- वेब3 वॉलेट बंद: कंपनी ने अपनी वेब3 वॉलेट सर्विस को कुछ समय के लिए बंद कर दिया, ताकि सिक्योरिटी चेक हो सके। अब ये सर्विस फिर से शुरू हो चुकी है।
- ग्राहकों को भरोसा: कॉइन DCX के सीईओ सुमित गुप्ता ने साफ किया कि ये चोरी ग्राहकों के अकाउंट से नहीं हुई, बल्कि कंपनी के अपने ऑपरेशनल फंड से हुई।
- नुकसान की भरपाई: कंपनी ने कहा कि वो इस 44.2 मिलियन डॉलर के नुकसान को अपने रिजर्व फंड्स से कवर करेगी, यानी ग्राहकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
- जांच शुरू: कॉइन DCX ने साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स, ब्लॉकचेन फॉरेंसिक फर्म्स, और इंडियन अथॉरिटीज (जैसे CERT-In) के साथ मिलकर जांच शुरू की।
- रिवॉर्ड प्रोग्राम: कंपनी ने एक रिवॉर्ड प्रोग्राम लॉन्च करने का ऐलान किया, जिसमें जो कोई भी चुराए गए फंड्स को रिकवर करने में मदद करेगा, उसे इनाम मिलेगा।
सवाल 4: क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के खतरे क्या हैं?
जवाब: क्रिप्टोकरेंसी में निवेश रिस्क से भरा है-
- साइबर सिक्योरिटी रिस्क: अभी कॉइन DCX की घटना और पिछले साल वजीरX से 230 मिलियन डॉलर (करीब ₹1983 करोड़) की चोरी जैसी घटनाएं दिखाती हैं कि क्रिप्टो एक्सचेंज हैकिंग का आसान निशाना हो सकते हैं।
- बाजार की अस्थिरता: क्रिप्टो की कीमतें काफी वोलेटाइल होती हैं। यानी तेजी से घटती-बढ़ती रहती हैं। बिटकॉइन और एथेरियम जैसी प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी में भी भारी उतार-चढ़ाव देखा जाता है, जिससे निवेशकों को नुकसान हो सकता है।
- रेगुलेटरी फ्रेमवर्क ना होना: भारत में क्रिप्टोकरेंसी के लिए स्पष्ट नियम अभी तक लागू नहीं हुए हैं। हालांकि सरकार इसको लेकर काम कर रही है। उम्मीद है जल्द ही एक क्रिप्टो पॉलिसी फ्रेमवर्क लागू हो। लेकिन अनिश्चितता निवेशकों के लिए जोखिम बढ़ाती है।
- धोखाधड़ी और घोटाले: फर्जी ICOs, पॉन्जी स्कीम्स, और फिशिंग हमले क्रिप्टो स्पेस में आम हैं। निवेशक आसानी से धोखे का शिकार हो सकते हैं।
- लिक्विडिटी जोखिम: लिक्विडिटी का मतलब कि आप जब जितना पैसा चाहें नहीं निकाल सकते हैं। कुछ छोटी क्रिप्टोकरेंसी में लिक्विडिटी कम होती है, जिससे बेचने के समय बाजार की खराब स्थिति के चलते नुकसान हो सकता है।

सवाल 5: क्रिप्टो में निवेश करने से पहले क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
जवाब: क्रिप्टो में निवेश करने से पहले रिसर्च और कोल्ड वॉलेट जैसी कई चीजों पर ध्यान देना जरूरी है-
- रिसर्च: जो एक्सचेंज एक्सर्ट्स और यूजर्स से फिडबैक के हिसाब से विश्वसनीय हो वहां निवेश करना चाहिए। निवेश से पहले उनकी सिक्योरिटी उपायों, जैसे कोल्ड वॉलेट स्टोरेज और मल्टी-सिग्नेचर सिस्टम की जांच करें।
- कोल्ड वॉलेट का उपयोग: अपने क्रिप्टो को एक्सचेंज पर न छोड़ें। हार्डवेयर वॉलेट्स जैसे लेजर या ट्रेजर का उपयोग कर सकते हैं, ये हैकिंग से ज्यादा सुरक्षित हैं। इसके अलावा, अपने एक्सचेंज और वॉलेट अकाउंट्स पर 2FA इनेबल कर के रखें,
- निवेश सीमित करें: केवल उतना ही निवेश करें, जितना आप खोने के लिए तैयार हों, क्योंकि क्रिप्टो बाजार काफी अनस्टेबल है।
- फिशिंग से बचें: संदिग्ध लिंक, ईमेल या मैसेज से सावधान रहें जो आपकी प्राइवेट कीज या लॉगिन जानकारी मांगते हों।
- पॉलिसी अपडेट्स पर नजर: भारत में क्रिप्टो नियमों पर नजर रखें, क्योंकि पॉलिसी में बदलाव आपके निवेश को प्रभावित कर सकते हैं।
- डायवर्सिफिकेशन: अपने सभी फंड को किसी भी एक या एक्सचेंज में न लगाएं। जोखिम को कम करने के लिए पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करना चाहिए।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी का कारोबार अवैध नहीं
जवाब- भारत में क्रिप्टोकरेंसी अवैध नहीं है, लेकिन यह रेगुलेटेड भी नहीं है। यानी, भारत में आप क्रिप्टोकरेंसी जैसे बिटकॉइन, एथेरियम आदि खरीद-बेच सकते हैं, लेकिन कोई स्पष्ट कानून या रेगुलेटरी फ्रेमवर्क नहीं है, जो इसे विनियमित करता हो।
मौजूदा कानूनी स्थिति (2024-25 तक)
भारत सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को न तो लीगल टेंडर (कानूनी मुद्रा) के रूप में मान्यता दी है और न ही पूरी तरह से बैन किया है। इसका मतलब है कि क्रिप्टो से आप सामान या सर्विस नहीं खरीद सकते हैं। लेकिन निवेश के रूप में इसे होल्ड किया जा सकता है।
टैक्स नियम (2022 के बाद से लागू):
- भारत सरकार ने 2022 में क्रिप्टो पर टैक्स लगाने का फैसला किया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि सरकार इसे पूरी तरह बैन नहीं कर रही है-
- 30% टैक्स: क्रिप्टो पर होने वाले मुनाफे पर।
- 1% TDS: हर ट्रांजेक्शन पर काटा जाएगा।
- कोई सेट-ऑफ या लॉस कैरी फॉरवर्ड की अनुमति नहीं।
वर्चुअल या डिजिटल करेंसी है क्रिप्टोकरेंसी
क्रिप्टोकरेंसी एक तरह की वर्चुअल करेंसी है। इसे डिजिटल करेंसी भी कहा जाता है। डॉलर या रुपए जैसी करेंसी की तरह क्रिप्टोकरेंसी से भी लेन-देन किया जा सकता है।
बिटकॉइन इनमें सबसे पॉपुलर क्रिप्टोकरेंसी है। हर बिटकॉइन ट्रांजेक्शन ब्लॉकचेन के जरिए पब्लिक लिस्ट में रिकॉर्ड होता है, जो डिसेंट्रलाइज तरीके से अलग-अलग यूजर्स द्वारा किया जाने वाला रिकॉर्ड मेंटेनेंस सिस्टम है।
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बिटकॉइन से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें…
1. सुप्रीम कोर्ट बोला- बिटकॉइन ट्रेड हवाला की तरह अवैध कारोबार: यह अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है, सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर स्पष्ट नीति क्यों नहीं बनाती

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिटकॉइन ट्रेड को हवाला कारोबार की तरह ही अवैध व्यापार करार दिया। जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक समानांतर अंडर-मार्केट है और यह अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है।
कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि आप क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने के लिए स्पष्ट नीति क्यों नहीं बनाते। बेंच ने केंद्र की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करके, सरकार व्यापार पर नजर रख सकती है।
2. RBI गवर्नर बोले-क्रिप्टोकरेंसी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी के लिए बहुत बड़ा जोखिम: इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समझ होनी जरूरी, भारत इस पर सवाल उठाने वाला पहला देश

क्रिप्टोकरेंसी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी और मॉनेटरी स्टेबिलिटी के लिए बहुत बड़ा जोखिम है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स में आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही।
उन्होंने कहा – मैं वास्तव में इस राय का हूं कि यह ऐसी चीज है जिसे फाइनेंशियल सिस्टम पर हावी होने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। यह बैंकिंग प्रणाली के लिए भी जोखिम पैदा करता है। यह ऐसी स्थिति भी पैदा कर सकता है जहां केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति से नियंत्रण खो सकता है।
3. बिटकॉइन पहली बार 1 लाख डॉलर पार: भारतीय रुपए में इसकी कीमत 86.91 लाख रुपए हुई, 1 साल में 118% रिटर्न दिया

दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन की कीमत पहली बार 1 लाख डॉलर के पार निकल गई है। आज यानी 5 दिसंबर को बिटकॉइन 7% से ज्यादा बढ़कर रिकॉर्ड उच्च स्तर 102,585 डॉलर (86.91 लाख रुपए) पर पहुंच गया है। पिछले महीने डोनाल्ड ट्रम्प की अमेरिकी चुनाव जीत के बाद बिटकॉइन में लगातार तेजी देखने को मिल रही है।