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मुंबई2 दिन पहले
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विधान परिषद के अध्यक्ष राम शिंदे के ऑफिस में फडणवीस-उद्धव की मुलाकात हुई।
शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने गुरुवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की।ठाकरे ने विधान परिषद अध्यक्ष राम शिंदे के कक्ष में फडणवीस से मुलाकात की। लगभग आधे घंटे तक चली इस मुलाकात में उद्धव के बेटे और वर्ली विधायक आदित्य ठाकरे भी मौजूद थे।
यह मुलाकात फडणवीस के तरफ से उद्धव को दिए ऑफर के एक दिन बाद हुई। जिससे राजनीतिक अटकलें शुरू हो गई हैं। कुछ रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि दोनों की बीच मुलाकात नेता विपक्ष के पद को लेकर हुइ है।

महाराष्ट्र CM ने कहा था- अलग तरह से सोच सकते हैं
विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे का विदाई समारोह बुधवार को हुआ था। इसी दौरान मुख्यमंत्री ने व्यंग्य करते हुए उद्धव ठाकरे से कहा कि भाजपा उनके साथ विपक्ष में शामिल होने की संभावना नहीं रखती, लेकिन वह सत्ता पक्ष में आ सकते हैं।
इस बयान के 24 घंटे के अंदर मुख्यमंत्री से आज उद्धव की भेंट भी हो गई है, जो करीब 20 मिनट चली। इस दौरान उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री फडणवीस को एक किताब भेंट की, जिसमें लिखा है हिंदी की सख्ती क्यों, तीन भाषा जरूरी क्यों।
हालांकि उद्धव-देवेंद्र की मुलाकात पर आदित्य ठाकरे ने कहा कि आज हमने उन्हें एक कम्पाइलेशन दिया है कि पहली क्लास से तीन-भाषा नीति क्यों नहीं होनी चाहिए। इसे कई पत्रकारों और संपादकों ने लिखा है।
महाराष्ट्र में चल रहा भाषा विवाद
महाराष्ट्र में प्राइमरी स्कूलों में हिंदी लागू करने को लेकर विवाद चल रहा है। शिवसेना (यूबीटी) के मुताबिक ठाकरे ने भाषा थोपे जाने की चिंताओं का हवाला देते हुए, महाराष्ट्र में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने का विरोध करने वाले समाचार लेखों का एक संकलन सौंपने के लिए मुख्यमंत्री से मुलाकात की।
इससे पहले, शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख ने साफ किया कि उनकी पार्टी हिंदी भाषा के खिलाफ नहीं है, लेकिन उन्होंने कुछ समूहों पर मराठी लोगों की तुलना आतंकवादियों से करने और मराठी पहचान को कमजोर करने का आरोप लगाया।
राज्य के स्कूलों में तीना भाषा फॉर्मूले के कार्यान्वयन से जुड़े वापस लिए जा चुके आदेशों का शिवसेना (यूबीटी), मनसे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) ने जमकर विरोध किया था।
2019 में अलग हुए थे उद्धव
शिवसेना और BJP ने 2019 का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था। दोनों मिलकर कुल 288 में से लगभग 160+ सीटें जीतकर बहुमत लाए थे। चुनाव से पहले दोनों पार्टियों के बीच 50:50 फॉर्मूला तय हुआ था। नतीजों के बाद उद्धव ने दावा किया कि मुख्यमंत्री पद 2.5-2.5 साल के लिए शेयर करने का वादा BJP ने किया था।
लेकिन देवेंद्र फडणवीस और BJP ने इस दावे को खारिज कर दिया और मुख्यमंत्री पद BJP को ही देने की बात कही। इससे शिवसेना ने BJP से संपर्क तोड़ लिया और दूसरे विकल्प तलाशने शुरू कर दिए। BJP ने बहुमत न होने की स्थिति में सरकार बनाने से हाथ पीछे खींच लिया।
बाद में शिवसेना ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस के साथ मिलकर ‘महा विकास आघाड़ी (MVA)’ नाम से सरकार बनाई।
इसके साथ ही उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने। यह पहली बार था कि शिवसेना ने कांग्रेस और NCP जैसे वैचारिक रूप से विपरीत दलों से गठबंधन किया।
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महाराष्ट्र में हिंदी को लेकर जारी विवाद के बीच उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने ‘मराठी एकता’ पर 5 जुलाई को मुंबई के वर्ली डोम में रैली की। इस मौके पर दोनों की तरफ से आगे साथ मिलकर राजनीति करने के संकेत दिए गए।
उद्धव और राज 20 साल बाद एक मंच पर नजर आए। इससे पहले 2006 में बाला साहेब ठाकरे की रैली में साथ दिखे थे। उद्धव को शिवसेना का मुखिया बनाने के बाद राज ने अलग पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) बनाई थी। तब दोनों के रिश्ते अच्छे नहीं थे। पढ़ें पूरी खबर…