There is no need to fill the field, paddy is being grown with less water and half the cost | खेत को लबालब करने की जरूरत नहीं, कम पानी और आधी लागत में उगा रहे धान – Raipur News


बस्तर संभाग में दंतेवाड़ा जिले के कसौली के किसान सुरेश कुमार नाग ने जिले में पहली बार जैविक खेती करने का हौसला दिखाया और खेती में लगातार कई नवाचार किए। सुरेश सामान्य तरीके के बजाय मेडागास्कर पद्धति से धान की खेती कर रहे हैं। इससे फसल की लागत को कम करन

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सुरेश कुमार ने बताया, मैंने जैविक खेती की ओर कदम बढ़ाया तो कई चुनौतियां सामने आईं। पारंपरिक तरीके से खेती करने में एक हेक्टेयर रकबे में ही धान के 30 से 50 किलो बीज की खपत हो रही थी। इस पर मैंने मेडागास्कर व कतार पद्धति अपनाई। मेडागास्कर पद्धति से कम पानी में भी धान की अच्छी पैदावार ली जा सकती है।

सामान्य पद्धति में पानी से लबालब भरे खेतों में रोपाई की जाती है जबकि मेडागास्कर पद्धति में धान के पलहों की जड़ों में केवल नमी बनाए रखना आवश्यक होता है। इसमें पानी की खपत काफी कम होती है। मेडागास्कर पद्धति में मुझे 8 से 12 किलो बीज में ही धान की पर्याप्त फसल मिलने लगी।

बीजों की खपत लगभग 76 प्रतिशत कम हो गई। फसलों को कीटों के प्रकोप से बचाने के लिए बाजार में मिलने वाले कीटनाशकों के बजाय खुद का बनाया जीवामृत काम में लेने लगा। जैविक खाद के लिए खेत में चरोटा, शनई, डेन्चा जैसी दलहनी फसलों की बुवाई की।

इससे मिट्टी में जैविक नाइट्रोजन की वृद्धि हुई। साथ ही मिट्‌टी की जलधारण क्षमता में सुधार आया। सूखा प्रभावित क्षेत्रों में इस तरह की हरी खाद फायदेमंद रहती है। इन सब प्रयासों से धान की खेती की लागत लगभग 50 प्रतिशत तक कम हो गई। कतार पद्धति से बुवाई के चलते पलहों को पर्याप्त धूप और अच्छे वायुसंचार का फायदा मिला।

सुरेश कुमार का कहना है, अब तक 50 से ज्यादा किसानों को जैविक खेती करने की विधि सिखा चुका हूं। जैविक किसानों का एक समूह भी बना रहा हूं। इसके जरिए किसानों को जीवामृत, बीजामृत, हंडी दवा, मछली टॉनिक बनाने सहित खेती की अन्य विधियां सिखाऊंगा।

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