Bastar Naxal Encounter History Record; Maoist | Chhattisgarh News | बस्तर में 25 सालों में 3,366 मुठभेड़…1,324 जवान शहीद: 1,510 से ज्यादा नक्सली ढेर, 2023 के बाद शहादतें कम, ताड़मेटला-रानीबोदली घटना ने देश को रुलाया – Chhattisgarh News

पिछले 25 साल में 3366 से ज्यादा मुठभेड़ 1324 जवान शहीह हुए, फोर्स ने 1510 से ज्यादा नक्सलियों को मारा।

साल 2000 में मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य बना। तब से लेकर अब तक पिछले 25 सालों में बस्तर में पुलिस और नक्सलियों के बीच कुल 3366 से ज्यादा मुठभेड़ हुईं। अलग-अलग घटनाओं में 1324 जवानों की शहादत हुई है, जबकि, फोर्स ने 1510 से ज्यादा नक्सलियों का

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साल 2022-23 के बाद से बस्तर की परिस्थितियां बदली हैं। पिछले 2 से ढाई सालों में 88 जवान शहीद हुए हैं। इनमें ज्यादातर जवान IED ब्लास्ट की चपेट में आए हैं। 2022-23 से पहले तक लगभग 1050-70 नक्सली मारे गए थे। वहीं पिछले डेढ़ से 2 साल में जवानों ने 420 से ज्यादा नक्सलियों का एनकाउंटर कर दिया है।

पिछले 2 से ढाई सालों में 88 जवान शहीद हुए हैं।

पिछले 2 से ढाई सालों में 88 जवान शहीद हुए हैं।

शाह की डेडलाइन- 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद होगा खत्म

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बस्तर दौरे के दौरान कहा था कि 31 मार्च 2026 तक बस्तर से नक्सलवाद को जड़ से खत्म कर दिया जाएगा। वहीं जब भी बस्तर को नक्सलवाद से आजादी मिलेगी, बस्तर उन शहीदों की कुर्बानी को कभी नहीं भूलेगा।

अमर वाटिका में शहीदों के नाम लिखने की जगह नहीं बची।

अमर वाटिका में शहीदों के नाम लिखने की जगह नहीं बची।

अमर वाटिका में नाम लिखने जगह नहीं

बस्तर में अब तक इतनी शहादतें हुई हैं कि अमर वाटिका में शहीदों के नाम लिखने की अब जगह तक कम पड़ गई है। यहां साल करीब 50 से 60 फीट लंबी दीवार पर काले पत्थरों पर सुनहरे अक्षरों में 2024 तक शहीद हुए जवानों के नाम लिखे हुए हैं।

बस्तर में साल 2007 में रानीबोदली, साल 2010 में ताड़मेटला, साल 2017 में बुरकापाल और 2021 में हुए टेकलगुडेम जैसी बड़ी नक्सल घटनाओं ने देश को रुलाया है।

अमर वाटिका में 2024 तक शहीद हुए जवानों के नाम लिखे हुए हैं।

अमर वाटिका में 2024 तक शहीद हुए जवानों के नाम लिखे हुए हैं।

जानिए कब किस घटना में कितने जवान शहीद हुए…

2007 में 200 जवानों ने दी कुर्बानी

बस्तर में साल 2007 में नक्सलियों ने रानी बोदली में सुरक्षाबलों के कैंप पर हमला किया था। इस घटना में जवानों ने नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब भी दिया था। नक्सलियों से लड़ते हुए जवानों की गोलियां खत्म हो गई थी, जिसके बाद नक्सली कैंप में घुसे और पेट्रोल बम दागना शुरू कर दिए थे।

इस घटना में 55 जवान शहीद हुए थे। जगह-जगह लाशों के ढेर थे। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद यह बस्तर की पहली सबसे बड़ी नक्सल घटना थी। इस घटना ने पूरे देश को रुलाया था। इसी साल इस घटना के साथ ही अन्य घटनाओं में 200 से ज्यादा जवानों की शहादत हुई।

2010 में 171 जवान शहीद

साल 2010 में ताड़मेटला में देश की सबसे बड़ी नक्सल घटना हुई थी। यहां नक्सलियों ने जवानों को एंबुश में फंसाया था। माओवादियों ने जवानों पर अंधाधुंध फायरिंग की थी। इस घटना में 76 जवान शहीद हुए थे। घटना स्थल का मंजर ऐसा था कि जहां नजर पड़े वहां जवानों की लाश बिखरी पड़ी थी।

इसी साल नक्सलियों ने चिंगावरम में एक बस को IED ब्लास्ट कर उड़ाया था, जिसमें 20 जवान शहीद हुए थे। कुल मिलाकर 2010 में अलग-अलग नक्सल घटनाओं में कुल 171 जवानों ने अपना बलिदान दिया था।

बस्तर में तैनात हैं ये जवान

बस्तर में नक्सल मोर्चे पर DRG, CRPF, STF, CAF, ITBP, BSF, कोबरा, बस्तरिया बटालियन और बस्तर फाइटर के हजारों जवान तैनात हैं। जो नक्सलियों के खात्मे के लिए डटे हुए हैं।

IG बोले- जवानों का मनोबल नहीं होता कम

बस्तर के IG सुंदरराज पी ने कहा कि, हमारे जवानों का मनोबल काफी ऊंचा है। भीषण गर्मी में कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों पर ऑपरेशन चलाया, मानसून में भी ऑपरेशन जारी रहता है। नक्सलियों के खात्मे के लिए जवान डटे रहते हैं। इनका मनोबल कभी कम नहीं होता है।

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नक्सली लीडर गजरला रवि और अरुणा एनकाउंटर में मारे गए।

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