China lifts ban on delivery of Boeing planes | चीन ने बोइंग विमानों की डिलीवरी लेने से बैन हटाया: अमेरिका के साथ ट्रेड डील के बाद फैसला; पिछले महीने डिलीवरी पर रोक लगा दी थी

बीजिंग13 घंटे पहले

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एयर चाइना, चाइना ईस्टर्न और चाइना सदर्न सहित चीनी एयरलाइंस बोइंग विमानों की फ्लीट ऑपरेट करती है। - Dainik Bhaskar

एयर चाइना, चाइना ईस्टर्न और चाइना सदर्न सहित चीनी एयरलाइंस बोइंग विमानों की फ्लीट ऑपरेट करती है।

चीन ने बोइंग विमानों की डिलीवरी लेने पर लगा बैन हटा दिया है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने डोमेस्टिक कैरियर्स को सूचित किया कि वे अब अमेरिका निर्मित विमानों की डिलीवरी फिर से शुरू कर सकते हैं। अमेरिका-चीन की ट्रेड डील के बाद बैन हटाने का यह फैसला लिया गया।

एक महीने पहले चीन ने अपनी एयरलाइन कंपनियों को बोइंग से नए विमानों की डिलीवरी नहीं लेने के आदेश दिए थे। चीनी सरकार ने यह आदेश अमेरिका के 145% टैरिफ के जवाब में दिया था। अमेरिका में बनने वाले विमान के पार्ट्स की खरीद रोकने का आदेश भी दिया था।

12 मई को जेनेवा में ट्रेड डील का ऐलान किया था

अमेरिका-चीन ने 12 मई को जेनेवा में ट्रेड डील का ऐलान किया था। बताया गया कि दोनों देश 115% टैरिफ कटौती करेंगे। दोनों के बीच यह समझौता फिलहाल 90 दिनों के लिए है।

अमेरिका ने चीनी सामानों पर 145% और चीन ने अमेरिकी सामानों पर 125% टैरिफ लगा रखा है। इस कटौती के बाद चीन पर अब 30% और अमेरिका पर 10% टैरिफ रह जाएगा।

बोइंग के लिए चीन एक महत्वपूर्ण बाजार

कोरोना महामारी से पहले, बोइंग के लगभग एक तिहाई 737 विमान देश में डिलीवर किए जा रहे थे। बोइंग के अनुमान के अनुसार, अगले दो दशकों में, चीन ग्लोबल एयरप्लेन डिमांड का 20% हिस्सा होगा। इसका मतलब है कि चीन को…

  • 737 मैक्स जैसे अनुमानित 6,500 सिंगल-आइल विमानों की और बोइंग के 787 ड्रीमलाइनर जैसे 1,500 से अधिक ट्विन-आइल विमानों की भी जरूरत होगी।
  • 2030 के अंत तक पुराने विमानों को बदलने और घरेलू यात्रा की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए लगभग 1,100 अतिरिक्त विमानों की आवश्यकता होगी।

चीन को भी बोइंग की जरूरत

  • चीन को 2043 तक 8,830 नए विमानों की जरूरत होगी। डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरर COMAC आगे तो बढ़ रहा है, लेकिन प्रोडक्शन कंस्ट्रेंट और वेस्टर्न कंपोनेंट (जैसे इंजन) पर निर्भरता के कारण अभी तक सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार नहीं है।
  • बोइंग की मुख्य प्रतिद्वंद्वी एयरबस के पास अकेले चीन को आपूर्ति करने की क्षमता नहीं है। इससे बोइंग की भूमिका अहम हो जाती है। अभी भी एयर चाइना, चाइना ईस्टर्न और चाइना सदर्न सहित चीनी एयरलाइंस बोइंग विमानों की फ्लीट ऑपरेट करती है।

भारत को मिल सकते थे विमान, अब चीन को ही मिलेंगे

अप्रैल 2025 में जब चीन ने बोइंग डिलीवरी रोकी थी, तब एयर इंडिया ने इन विमानों को खरीदने में रुचि दिखाई थी, क्योंकि उसे अपनी ग्रोथ और इंडिगो से प्रतिस्पर्धा के लिए तत्काल विमानों की जरूरत थी।

हालांकि, अब बैन हटने के बाद चीनी एयरलाइनों ने डिलीवरी स्वीकार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसलिए, एयर इंडिया को इन 50 विमानों की डिलीवरी मिलने की संभावना कम है, क्योंकि बोइंग पहले से बुक किए गए ऑर्डर को प्राथमिकता देगी।

बोइंग ने 2015 से 2020 तक चीन को 668 एयरक्राफ्ट डिलिवर किए

चीन का बोइंग के साथ बिजनेस काफी चैलेंजिंग रहा है। इस तनाव का असर 2019 के बाद के डिलिवरी पर काफी देखने को मिला है। चीन बोइंग के बड़े ग्राहकों में से था। अमेरिकी कंपनी ने 2015 और 2020 के बीच 668 विमान चीन को बेचे।

बोइंग चार सेक्टर में कमाई करती है

कॉमर्शियल एयरप्लेन्स, डिफेंस-स्पेस एंड सिक्योरिटी, ग्लोबल सर्विस और बोइंग कैपिटल शामिल है। कॉमर्शियल प्लेन्स में बोइंग फिलहाल नेक्स्ट जेनरेशन 737, 737 मैक्स, 747-8, 767, 777, 777X, 787, फ्राइटर्स और बिजनेस जेट्स बनाती है।

1916 में विलियम ई. बोइंग ने बनाई थी कंपनी

अमेरिकी बिजनेसमैन विलियम ई. बोइंग ने 1916 में विलियम ई. बोइंग ने एयरो प्रोडक्ट्स नाम से अमेरिका में कंपनी बनाई थी। एक साल के अंदर ही 1917 में पहला प्लेन बना दिया और कंपनी का नाम बदलकर बोइंग कर दिया था।

ये वो समय था जब वर्ल्ड वॉर-1 की शुरुआत हो चुकी थी। यूरोप- ब्रिटेन और जर्मनी के मुकाबले अमेरिका प्लेन टेक्नोलॉजी में काफी पीछे था। वर्ल्ड वॉर के कारण प्लेन की डिमांड बढ़ी। कंपनी को प्लेन तैयार करने के 50 ऑर्डर मिले और यहीं से बोइंग का आसमानी सफर शुरू हुआ।

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