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- First Time 4 Mahamandaleshwars Appointed From SC ST Communities| Akhil Bharatiya Akhara Parishad
अहमदाबाद19 मिनट पहले
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संत समाज के इतिहास में पहली बार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के संतों को महामंडलेश्वर बनाया गया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, अहमदाबाद द्वारा आयोजित समारोह में गुजरात के साधु-संतों की मौजूदगी में गुजरात के 4 संतों को महामंडलेश्वर की पदवी दी गई।
पूजा, जप और अभिषेक के बाद संतों-महंतों ने चारों महामंडलेश्वर का जल, दूध, पंचामृत, शहद आदि से अभिषेक किया।
नेशनल इंटेलेक्चुअल एडवाइजरी के मुख्य रणनीतिकार राजेश शुक्ला ने बताया कि ये 1300 साल में पहली बार है कि जब SC-ST समुदाय के संतों को महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई। हिंदू धर्म में समानता के सिद्धांत को बढ़ावा देने के लिए ये फैसला किया गया है।
‘अखाड़े के जो भी नियम होंगे, उनका पालन किया जाएगा’
शुक्ला के मुताबिक, इसके लिए हम 4 साल से प्रयास कर रहे थे। हमारा उद्देश्य है कि हिंदू धर्म मुक्त हो यानी सनातन धर्म भाषा और क्षेत्रवाद की बेड़ियों से आजाद हो। अगले 3-4 साल में हम ऐसे 100 महामंडलेश्वर बनवाएंगे।
शुक्ला ने बताया कि समता मूलक समाज की स्थापना के लिए संत समाज ने सदियों पुरानी परंपराओं को बदलने के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसमें हर संत-महंत का सहयोग मिला। ये एक मुश्किल काम था, लेकिन बहुत आसानी से हो गया। आज से चारों संत बिना किसी भेदभाव के सभी लोगों के साथ रहेंगे। अखाड़े के जो भी नियम होंगे उनका पालन किया जाएगा।
गुजरात के भावनगर के दो, राजकोट और सुरेंद्रनगर के एक-एक संत को महामंडलेश्वर बनाया गया है।
इन संतों को महामंडलेश्वर बनाया गया
संत श्री शनलदास मंगलदास, दासी जीवन की जगह, गोंडल, राजकोट
संत श्री शामलदास प्रेमदास, कबीर मंदिर, भावनगर
संत श्री किरणदास, वाल्मीकि अखाड़ा, भावनगर
संत श्री कृष्णवदन महाराज, संत अकल साहेब समाधि स्थान, सुरेंद्रनगर
कार्यक्रम में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी महाराज, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महासचिव महंत हरि गिरि महाराज, स्वामीनारायण के महंत पुरुषोत्तमदास महाराज शामिल हुए।
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