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- Lord Krishna’s Teachings To The Pandavas, Lesson Of Lord Krishna In Hindi, We Should Focus On Present Time, Krishna And Yudhishthir Story
12 घंटे पहले
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महाभारत युद्ध खत्म हो गया था, दुर्योधन, कर्ण, भीष्म, द्रोणाचार्य जैसे कौरव पक्ष के सभी यौद्धा मारे जा चुके थे। अश्वत्थामा को श्रीकृष्ण ने कलियुग के अंत तक भटकते रहने का शाप दे दिया था। पांडव युद्ध जीत गए थे और युधिष्ठिर के राज्याभिषेक की तैयारियां शुरू हो गई थीं।
पांडवों को राज्याभिषेक की तैयारियां करते देखकर श्रीकृष्ण ने सोचा कि अब यहां सब ठीक हो गया है, इसलिए यहां मेरा कोई काम नहीं है, मुझे द्वारका लौटना चाहिए। ऐसा सोचने के बाद श्रीकृष्ण ने अपनी ये इच्छा पांडवों को बताई तो कुंती, द्रौपदी और सभी पांडव दुखी हो गए।
कुंती ने श्रीकृष्ण को रोकना चाहा, लेकिन श्रीकृष्ण ने उन्हें समझा दिया कि मुझे अब यहां नहीं रुकना चाहिए, मुझे द्वारका जाना होगा। इसके बाद वे जाने लगे तो युधिष्ठिर भी कुछ दूर उनके साथ चलने लगे।
युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से कहा कि माता (कुंती) के साथ ही मैं भी यही चाहता हूं कि आप अभी न जाएं। कुछ दिन और हमारे साथ रहें। अभी भी काफी समस्याएं हैं, जिन्हें हल करना है।
श्रीकृष्ण ने कहा कि अब तुम राजा बन ही गए हो तो भविष्य में सभी समस्याएं भी तुम्हें ही हल करनी होंगी, लेकिन अभी कौन सी समस्याएं हैं?
युधिष्ठिर ने कहा कि हम युद्ध तो जीत गए, लेकिन ये जीत हमें अपने कुटुंब के लोगों को मारकर मिली है। मुझे ये दुख सता रहा है कि हमने अपने परिवार के लोगों का ही वध किया है, मैंने कभी सोचा नहीं था कि इस जीत के बाद परिवार के लोगों की मृत्यु से मुझे इतना दुख होगा, ये सब सोचकर मेरा मन बहुत विचलित है।
श्रीकृष्ण की सीख
श्रीकृष्ण ने कहा कि आप एक बात हमेशा ध्यान रखें, जीवन में जब भी सफलता आती है तो उसके साथ ही नई समस्याएं भी आती हैं। सफलता और असफलता से सीख लेकर वर्तमान में अच्छे काम करना चाहिए। पुरानी बुरी बातें भूलकर आगे बढ़ेंगे तो जीवन में उत्साह बना रहेगा, अगर बुरी बातों पर ध्यान देंगे तो जीवन से दुख कभी खत्म नहीं होगा।