मुंबई14 मिनट पहले
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महाराष्ट्र के पुणे जिले में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के शुक्रवार को 7 नए मामले सामने आए। इसके बाद GB सिंड्रोम के कुल मामले बढ़कर 180 हो गए हैं। इससे अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है।
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, 58 मरीज ICU और 22 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं, जबकि 79 को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। इन 180 मामलों में पुणे से 123, पिंपरी चिंचवाड़ से 25, पुणे ग्रामीण से 24 मामले और दूसरे जिलों से 8 मामले हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि GB सिंड्रोम के सबसे ज्यादा मामले नांदेड़ गांव के पास हाउसिंग सोसाइटी से आए हैं। यहां के पानी का सैंपल लिया गया था, जिसे कैंपिलोबैक्टर जेजुनी पॉजिटिव पाया गया है। यह एक प्रकार का बैक्टीरिया है जो पानी में होता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) ने पुष्टि की है कि नांदेड़ और उसके आसपास के इलाकों में GB सिंड्रोम प्रदूषित पानी के कारण फैला है। पुणे नगर निगम ने नांदेड़ और आसपास के इलाके में 11 निजी आरओ सहित 30 प्लांट को सील कर दिया है।
6 फरवरी को 63 साल के व्यक्ति की मौत हो गई थी। स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया था कि बुखार और पैरों में कमजोरी की शिकायत के बाद बुजुर्ग को सिंहगढ़ रोड क्षेत्र के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जांच में पता चला कि उन्हें GB सिंड्रोम है। इस्केमिक स्ट्रोक के कारण उनकी मौत हो गई थी।
अन्य राज्यों में भी GB सिंड्रोम के मामले
महाराष्ट्र के अलावा देश के 4 दूसरे राज्यों में GB सिंड्रोम के मरीज सामने आ चुके हैं। तेलंगाना में ये आंकड़ा एक है। असम में 17 साल की लड़की मौत हुई, कोई दूसरा एक्टिव केस नहीं है।
वहीं, पश्चिम बंगाल में 30 जनवरी तक 3 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें दो बच्चे शामिल हैं। एक वयस्क है। पीड़ित परिवारों का दावा है कि इन मौतों का कारण GB सिंड्रोम है, लेकिन बंगाल सरकार ने इसकी पुष्टि नहीं की है। दावा है कि 4 और बच्चे GB सिंड्रोम से पीड़ित हैं। कोलकाता के अस्पताल में उनका इलाज जारी है।
राजस्थान के जयपुर में 28 जनवरी को लक्षत सिंह नाम के बच्चे की मौत हुई। वो कुछ समय से GB सिंड्रोम से पीड़ित था। परिजनों ने उसका कई अस्पताल में इलाज कराया था। लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।
पश्चिम बंगाल में 3 की मौत
कोलकाता और हुगली जिला अस्पताल में 3 लोगों की मौत GB सिंड्रोम से होने का दावा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक उत्तर 24 परगना जिले के जगद्दल के रहने वाला देबकुमार साहू (10) और अमदंगा का रहने वाले अरित्रा मनल (17) की मौत हुई है। तीसरा मृतक हुगली जिले के धनियाखाली गांव का रहने वाला 48 साल का व्यक्ति है।
देबकुमार के चाचा गोविंदा साहू के मुताबिक देब की मौत 26 जनवरी को कोलकाता के बीसी रॉय अस्पताल में हुई थी। उसके डेथ सर्टिफिकेट में मौत का कारण जी.बी. सिंड्रोम लिखा है। वहीं, वहीं, पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि राज्य में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है और घबराने की कोई बात नहीं है।
इलाज महंगा, एक इंजेक्शन 20 हजार का
GBS का इलाज महंगा है। डॉक्टरों के मुताबिक मरीजों को आमतौर पर इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG) इंजेक्शन के कोर्स करना होता है। निजी अस्पताल में इसके एक इंजेक्शन की कीमत 20 हजार रुपए है।
पुणे के अस्पताल में भर्ती 68 साल के मरीज के परिजनों ने बताया कि इलाज के दौरान उनके मरीज को 13 इंजेक्शन लगाने पड़े थे।
डॉक्टरों ने मुताबिक GBS की चपेट में आए 80% मरीज अस्पताल से छुट्टी के बाद 6 महीने में बिना किसी सपोर्ट के चलने-फिरने लगते हैं। लेकिन कई मामलों में मरीज को एक साल या उससे ज्यादा समय भी लग जाता है।
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