हरिद्वार20 घंटे पहले
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पुस्तकें जीवंत तीर्थ और देवताओं की प्रतीक होती हैं। पुस्तकों में, सद् ग्रंथों में संपूर्ण ईश्वरीय बल समाया हुआ है। ऐसा भी कह सकते हैं कि पुस्तकों में ऐश्वर्य, माधुर्य और सौंदर्य समाहित है। पुस्तकें ज्ञान ही तो है, ज्ञान का भंडार है। मनुष्य के जीवन में बहुत सी दुविधाएं उसी समय मिट जाती हैं, जब वह ज्ञान के साथ जुड़ता है। पुस्तकें स्थाई समाधान देती हैं।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए भय, भ्रम, संशय कैसे दूर हो सकते हैं?
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