Mauni Amavasya is a festival of worship in silence, significance of mauni amayasya, Mouni amawasya on 29th January | मौन रहकर भक्ति करने का पर्व है मौनी अमावस्या: 29 जनवरी को माघ मास की अमावस्या, इस दिन नदी स्नान और दान-पुण्य करने की है परंपरा

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8 घंटे पहले

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बुधवार, 29 जनवरी को माघ मास की अमावस्या है, इसका नाम मौनी अमावस्या है। इस तिथि का महत्व काफी अधिक है। प्रयागराज के महाकुंभ में 29 तारीख को अमृत स्नान होगा। इस दिन मौन रहकर जप, तप और भक्ति करने की परंपरा है। माना जाता है कि इस दिन मौन रहने से मन पवित्र होता है, नकारात्मक विचार दूर होते हैं।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, मौनी अमावस्या पर गंगा, यमुना, नर्मदा, प्रयागराज के संगम, शिप्रा, सरस्वती जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। अभी प्रयागराज में कुंभ चल रहा है तो मौनी अमावस्या पर यहां के संगम में स्नान करने से अक्षय पुण्य प्राप्त किया जा सकता है। माना जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से भक्तों के सभी पापों का नाश होता है।

मौनी अमावस्या से जुड़ी खास बातें…

  • पौराणिक कथाओं के अनुसार पुराने समय में राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए कठोर तप किया था, जिससे देवनदी गंगा धरती पर अवतरित हुई थी। गंगाजल के स्पर्श से राजा भगीरथ के पूर्वजों को मोक्ष मिला था। इसी मान्यता की वजह से गंगा नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है।
  • मौनी अमावस्या पर नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान के बाद घर के आसपास ही जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, वस्त्र, जूते-चप्पल का दान करें।
  • इस तिथि पर लोग मौन व्रत रखते हैं यानी पूरे दिन कुछ नहीं बोलते, चुप रहते हैं। मौन रहना भी एक तप है, ये आत्मसंयम का प्रतीक है और मौन रहने से व्यक्ति को आत्ममंथन करने का अवसर मिलता है। वह अपनी अच्छाइयां और बुराइयां समझ पाता है। मौन रहने से व्यक्ति दूसरों को अपनी बोली से दुख पहुंचाने से बचता है। मौन रहकर व्यक्ति ज्यादा एकाग्रता से भक्ति कर पाता है।
  • इस तिथि पूजा-पाठ, नदी स्नान और दान-पुण्य करने के साथ ही पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म करने चाहिए। इस दिन पितरों के लिए किए गए धूप-ध्यान से पितरों को तृप्ति मिलती है और वे अपने वंश के लोगों को आशीर्वाद देते हैं। ऐसी मान्यता है।
  • मौनी अमावस्या पर पूजा-पाठ के साथ ही ध्यान भी करना चाहिए। मंत्र जप करते हुए भी ध्यान किया जा सकता है।
  • मौनी अमावस्या का प्रयागराज के कुंभ मेले में विशेष महत्व है। कुंभ मेला हर 12 वर्ष में एक बार लगता है। इसका प्रमुख स्नान मौनी अमावस्या ही है। इस बार प्रयागराज के कुंभ में मौनी अमावस्या पर करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करेंगे।
  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अमावस्या तिथि पर चंद्र और सूर्य एक साथ एक राशि में रहते हैं। 29 जनवरी को सूर्य और चंद्र मकर राशि में रहेंगे।
  • मौनी अमावस्या हमें मौन रहने का संदेश देती है। हमें अनावश्यक रूप से बोलने से बचना चाहिए। हमें ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, जिनकी वजह से दूसरों के मन को ठेस पहुंचती है। अच्छी बातें कहें, अच्छे शब्दों का उपयोग करें और जहां जरूरत हो, सिर्फ वहीं बोलें। इन बातों का ध्यान रखेंगे तो जीवन में सुख-शांति और रिश्तों में प्रेम बना रहेगा।

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