Til chaturthi on 17th January, offer sesame seeds to Lord Ganesha and donate sesame seeds, know the beliefs related to Til Chauth | शुक्रवार को तिल चतुर्थी: 17 जनवरी को भगवान गणेश को चढ़ाएं तिल और करें तिल का दान, जानिए तिल चौथ से जुड़ी मान्यताएं

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1 घंटे पहले

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माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (शुक्रवार, 17 जनवरी) का महत्व काफी अधिक है, इस चतुर्थी पर किए गए व्रत-उपवास से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं, सुख-समृद्धि के साथ ही अटके कामों में सफलता मिल सकती है। ऐसी मान्यता है। तिल चौथ को संकष्टी चतुर्थी, माघी चौथ या तिलकुटा चौथ भी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है और तिल से जुड़ी धर्म-कर्म किए जाते हैं। तिल चौथ पर तिल-गुड़ के लड्डू बनाएं, भगवान को भोग लगाएं। इस चतुर्थी पर तिल का दान भी करना चाहिए। इस चतुर्थी पर तिलकुटा और तिल का चूरमा भी बनाते हैं। व्रत करने वाले भक्त पूरे दिन निराहार रहते हैं, शाम को चंद्र दर्शन और चंद्र को अर्घ्य देते हैं, भगवान गणेश की पूजा करते हैं, चतुर्थी व्रत की कथा पढ़ते हैं। इसके बाद अन्न ग्रहण करते हैं, इस तरह ये व्रत पूरा होता है।

तिल चतुर्थी व्रत करने के धार्मिक लाभ

  • मान्यता है कि पूजा-पाठ में तिल का इस्तेमाल करने से पापों का नाश होता है और दुखों से मुक्ति मिलती है।
  • ये व्रत अपने साथ ही संतान और घर-परिवार के सदस्यों की लंबी आयु, सुखद वैवाहिक जीवन की कामना से किया जाता है।
  • भगवान गणेश की कृपा से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। मन शांत रहता है और विचारों में सकारात्मकता बनी रहती है।

ऐसे कर सकते है गणेश जी की पूजा

तिल चतुर्थी पर सुबह सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं।

घर के मंदिर में भगवान गणेश की पूजा और व्रत करने का संकल्प लें। गणेश जी के साथ माता पार्वती और शिव जी की प्रतिमा या शिवलिंग स्थापित करें।

पूजा में भगवान को जल चढ़ाएं। जल के बाद दूध, दही, घी, मिश्री, शहद से बना पंचामृत चढ़ाएं। पंचामृत के बाद फिर से जल चढ़ाएं।

भगवान को नए वस्त्र अर्पित करें। हार-फूल से श्रृंगार करें। चंदन, अक्षत, फूल, दूर्वा, बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल और अन्य सामग्रियां अर्पित करें। तिल-गुड़ के लड्डू, मिठाई का भोग लगाएं।

धूप-दीप जलाकर भगवान की आरती करें। ऊँ गं गणपतयै नम: मंत्र का जप करें। अंत में भगवान से जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा मांगे। पूजा के बाद प्रसाद बांटें।

शाम को चंद्र उदय के समय भी फिर से पूजा करें। चंद्र दर्शन करके चंद्र को अर्घ्य दें, चंद्र की भी पूजा करें। पूजा में ऊँ सों सोमाय नम: मंत्र का जप करें।

पूजा में गणेश चालीसा और मंत्रों का पाठ करते हैं। चतुर्थी व्रत की कथा भी पढ़नी चाहिए।

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