बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने अपने हेड क्वार्टर के मेन पोस्टर से राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव की फोटो को हटा दिया है। कुछ दिन पहले तक पोस्टर पर एक तरफ तेजस्वी और दूसरी तरफ लालू यादव की फोटो थी।
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नए पोस्टर में तेजस्वी यादव हैं, लेकिन लालू की जगह लालटेन ने ले लिया है। बीच में माई-बहिन मान योजना जैसे वायदे हैं। पोस्टर किसी नेता ने नहीं, बल्कि RJD की तरफ से ही लगाया गया है। इससे तरह-तरह की चर्चाएं हैं।
2020 चुनाव में पोस्टर से हटाया तो हुआ था फायदा
2020 विधानसभा चुनाव के समय भी लालू यादव को पोस्टर से हटा दिया गया था। इसका पार्टी पर सकारात्मक असर हुआ और सरकार बनाने से थोड़ा ही पीछे रह पाई। तब पार्टी अकेले 75 सीटों पर पहुंच गई थी।
लेखक प्रेम कुमार मणि कहते हैं, ‘2020 में लालू की सिर्फ एक तस्वीर प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के चैंबर में रह गई थी। उनका कहना था कि मेरे मित्र की तस्वीर है इसलिए रहेगी। उसका अच्छा नतीजा आया। RJD लीड महागंठबंधन NDA से सिर्फ 12 हजार वोटों से पीछे रह गया था।’

RJD ऑफिस के बाहर लगा पोस्टर। लालू यादव की जगह पार्टी का चुनाव चिह्न लालटेन लगा है।

लालू प्रसाद अपनी ही पार्टी के लिए बर्डेन बन गए हैं। उससे जब तक मुक्त नहीं होते हैं तब तक राजद का उद्धार नहीं होगा।
जंगलराज का दाग धोने की कोशिश तो नहीं…
CM नीतीश कुमार इन दिनों प्रगति यात्रा पर हैं। वह लगातार लोगों को 2005 के पहले के बिहार की याद दिला रहे हैं। राजनीतिक जानकार पोस्टर से लालू को हटाने के पीछे जंगलराज के दाग को धोने के प्रयास से जोड़कर देख रहे हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा…

2005 से पहले बिहार में सबकुछ चौपट था। शाम के बाद लोग अपने घरों से बाहर निकलने से डरते थे। हमने यह सब ठीक किया।
JDU ने अपने X हैंडल पर लिखा- ‘भूला नहीं बिहार’। इसमें लालू प्रसाद यादव के जमाने का बथानी टोला नरसंहार, अपहरण उद्योग, जंगलराज और अंत में 19 सालों का नीतीश कुमार का सुशासन दिखाया गया।

तेजस्वी 17 माह के काम के बदले मांग रहे वोट
इन दिनों तेजस्वी यादव कार्यकर्ता संवाद यात्रा कर रहे हैं। वह कार्यकर्ताओं को लालू राज की जगह अपने 17 माह के कार्यकाल को बताते हैं। 17 साल वर्सेज 17 माह का मुद्दा उठाते हैं।
इस बार के विधानसभा चुनाव में उनके पास अपना 17 माह का कामकाज दिखाने के लिए है। इससे पहले के चुनाव में उनके पास अपना कामकाज दिखाने के लिए काफी कुछ नहीं था।

2020 के बाद जहां लालू गए वहां RJD हारी
2020 विधानसभा चुनाव के वक्त लालू यादव जेल में थे। इस कारण वह प्रचार से दूर रहे थे। जमानत पर बाहर आने के बाद लालू यादव जहां-जहां चुनाव प्रचार में गए, वहां पार्टी की हार हुई। देखिए रिजल्ट…
- विधानसभा उपचुनाव में बेलागंज गए। वहां RJD 32 साल से जीत रही थी, लेकिन इस बार यादवों का पुराना किला ढह गया। सुरेन्द्र यादव के पुत्र विश्वनाथ सिंह यादव चुनाव हार गए।
- झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान लालू यादव ने सिर्फ कोडरमा में चुनाव प्रचार किया। वहां RJD के सुभाष यादव चुनाव हार गए।
- लोकसभा चुनाव में प्रचार करने वह सारण गए थे। वहां किडनी डोनेट करने वाली उनकी बेटी रोहिणी आचार्या चुनाव लड़ रही थी। सहानुभूति लहर भी काफी था। इसके बावजूद रोहिणी चुनाव हार गईं।
- तारापुर उपचुनाव में RJD प्रत्याशी अरुण कुमार साह की स्थिति ठीक थी, लेकिन लालू प्रसाद वहां चुनाव प्रचार में पहुंचे और राजनीति बदल गई। अरुण साह हार गए।
18 जनवरी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक
18 जनवरी को RJD की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक पटना में है। चर्चा है कि 2025 विधानसभा की कमान तेजस्वी ही संभालेंगे।
राष्ट्रीय जनता दल के मुख्य पोस्टर से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की फोटो क्यों हटाई गई, इस पर पार्टी का कोई नेता बोलने को तैयार नहीं है।