Incharge Radha Mohan said- Bairwa is most happy with the decision of the districts | प्रभारी राधामोहन बोले-जिलों के निर्णय से बैरवा सबसे ज्यादा खुश: अधिकारियों को लेकर कहा, जिसके हाथ में चाबूक, वो घोड़ा चलाएगा, जो काम करेगा वहीं रहेगा – Jaipur News


भजनलाल सरकार के 9 जिले और 3 संभाग खत्म करने के निर्णय पर अशोक गहलोत की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए बीजपी प्रभारी राधामोहन दास अग्रवाल ने कहा कि जिसकी सोच जैसी होगी, वह वैसा ही कहेगा। अशोक गहलोत ने हमेशा पायलट के परिपेक्ष में निर्णय़ लेते रहे हैं। जो पा

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गहलोत को लगता है कि राजनीति में हर व्यक्ति इसी तरह सोचता हैं। चूंकि उनकी वहीं मानसिकता है, इसलिए उन्हें लगता है कि ऐसा ही काम किया जा रहा है। कभी प्रेमचंद बैरवा जी से भी तो पूछिए। बैरवा जी तो दूदू के ही रहने वाले हैं। लेकिन आज वो इस निर्णय से सबसे अधिक खुश हैं।

बता दे कि जिले खत्म करने का निर्णय होने पर गहलोत ने सीएम भजनलाल पर तंज कसते हुए कहा था कि भजनलाल ने उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा के जिले दूदू को खत्म कर दिया। लेकिन अपने क्षेत्र में आने वाले डीग जिले को बनाए रखा। जबकि भरतपुर से डीग की दूरी मात्र 38 किलोमीटर हैं।

गहलोत के समय होते थे एरिया के गैंगस्टर बीजेपी प्रभारी राधामोहन दास अग्रवाल ने कहा कि प्रेमचंद बैरवा केवल दूदू के विधायक नहीं है। वे पूरे राजस्थान के उप मुख्यमंत्री हैं, पूरा राजस्थान उनका हैं। गहलोत जी के जमाने में एरिया बंटता था, एरिया के गैंगस्टर हुआ करते थे। यह दौसा तुम्हारा है, यह भरतपुर तुम्हारा है।

हमारी पार्टी में किसी का कुछ नहीं होता हैं। सब भारतीय जनता पार्टी का होता है। आप चुने जाते हैं किसी एक क्षेत्र से, लेकिन चुनने के बाद आप पूरे राजस्थान की सेवा करते हैं।

केवल अधिकारी की रिपोर्ट पर जिले नहीं हटे है राधामोहन दास अग्रवाल ने कहा कि गहलोत जी बताना चाहते है कि सरकारें केवल शोषण के लिए होती हैं। उनकी जिलों की घोषणा पूरी तरह से राजनीतिक घोषणा थी। उन्होने जिले बनाते समय किसी सिद्धांत और कार्यप्रणाली का पालन नहीं किया था। शुद्ध राजनीतिक हित को ध्यान में रखकर उन्होने जिले बनाए थे। वे राजस्थान की जनता को मूर्ख बना रहे थे।

उन्होने कहा कि भजनलाल चाहते तो दूसरे दिन ही जिलों को खत्म कर सकते थे। लेकिन राजनीतिक सदासयता का परिचय दिया। एक कमेटी का गठन किया कि आप तय करो कि कौन से जिले मापदंड पर खरे उतरते है और कौन से नहीं।

लेकिन ऐसा नहीं है कि केवल अधिकारी की रिपोर्ट पर जिले बने और अब अधिकारी की रिपोर्ट पर ही जिले हटे है। इसमे मंत्रिमण्डल के वरिष्ठ सदस्यों की राय भी ली गई हैं। उनकी एक कमेटी बनाई गई थी। जिसने सारे मूल्यांकन के बाद ही बिना किसी पूर्वाग्रह के निर्णय लिया हैं। हम चाहते तो सारे जिले खत्म कर सकते थे। लेकिन केवल उन्हीं जिलों को हटाया गया है, जिनकी उपयोगिता नहीं थी।

जिसके हाथ में चाबूक, घोड़ा वहीं चलाएगा राधामोहन दास अग्रवाल ने कहा कि हम केवल अधिकारियों के नियंत्रण में होकर सरकार नहीं चलाते है। यह कल्चर कांग्रेस की रही है। हमारे यहां जनता का शासन है। उन्होने कहा कि ऐसा है, घोड़ा वहीं चलाएगा, जिसके हाथ में चाबूक रहेगी। घोड़े की हिम्मत है कि वह अपने मन से इधर-उधर चला जाए।

अधिकारियों की कोई जात होती है क्या? अधिकारियों को मालूम है कि किसकी सरकार है, उसकी नीतियां क्या है, हमें उनकी नीतियों के अनुरूप काम करना चाहिए। जो काम करेगा वह रहेगा, जो काम नहीं करेगा, उसे उसकी जगह भेज दिया जाएगा।

लेकिन राजनीति पूर्वाग्रह के आधार पर कि पिछले सरकार में यह अधिकारी लगे थे, इसलिए आज उनको दंडित कर दिया जाए। ऐसे तो सारी की सारी ब्यूरोक्रेसी चरमरा जाएगी।

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