विजिलेंस जांच में सामने आया है कि सिमर खुद 7 महीने तक सेक्टर-9 में बने नए यूटी सेक्रेटेरिएट में सफाई कर्मचारी था, बाद में उसे निकाल दिया गया था। उसके बाद करीब दो महीने फ्री रहा। एक युवती से उसकी दोस्ती हुई जो रोहित की रिश्तेदार बताई गई है। सिमर ने खु
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युवती के कहने पर रोहित को सबसे पहले सुपरवाइजर बनाया और उसे नौकरी पर रखने के लिए लोग लाने को कहा। रोहित 10 लोगों से 5 लाख रुपए इकट्ठे करके लाया और सिमर को दिए।
सिमर ने रोहित को नौकरी पर रखने के लिए भी 55 हजार मांगे थे, लेकिन युवती के कहने पर 5000 रुपए कम कर दिए थे। धीरे-धीरे रोहित सिमर का हमराज बन गया और करीब पैसे लेकर करीब 150 लोगों को फर्जी नौकरी पर लगवाया। हर एक से रोहित डेढ़ लाख रुपए लेता था और सिमर को 80 हजार से 1 लाख रुपए तक देता था। इसी पैसे से आरोपियों ने लाखों की प्रॉपर्टी बनाई, गाड़ी-ज्वेलरी आदि खरीदी था। यह सब पुलिस ने रिकवर किया है।
400 सफाई कर्मचारियों पर रोहित सहित कुल 16 सुपरवाइजर रखे थे। सिमर खुद को यूटिलिटी मैनपॉवर कंपनी का मैनेजर बताता था, कभी उसने खुद को मालिक नहीं बताया। सुपरवाइजर की सैलरी 30 हजार और सफाई कर्मचारी की 10 से 18 हजार के बीच थी। सुपरवाइजर जितने लोगों को नौकरी के लिए लाते थे, उसका कमीशन मिलता था। सुपरवाइजर बाकायदा सफाई कर्मचारियों के काम का रजिस्टर मेंटेन करते थे। पुलिस ने ये रजिस्टर मंगवाए हैं।