रणथंभौर टाइगर रिजर्व का जंगल अब बाघों के लिए छोटा पड़ने लगा है। यहां 45 से 50 बाघों की टेरिटरी के लिए जगह है, जबकि वर्तमान में 74 बाघ हैं। यही कारण है कि अपनी जगह बनाने के लिए बाघ एक-दूसरे पर लगातार हमला करने लगे हैं। टेरिटोरियल फाइट में बाघ एक दूसरे
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बीते सोमवार को एक युवा बाघ (टी-2309) की 6 साल के बाघ टी-120 गणेश से जबरदस्त फाइट हुई थी। इस लड़ाई में युवा बाघ की मौत हो गई थी। यह इकलौता मामला नहीं है। बीते दो साल में 16 बाघों की मौत हो चुकी है, उनमें अधिकांश बाघों (10) की मौत की वजह टेरिटोरियल फाइट ही सामने आई है। एक्सपर्ट की मानें तो बाघों की संख्या के मुकाबले टेरिटरी छोटी पड़ने के कारण इनमें आमना-सामना ज्यादा हो रहा है।
राजस्थान की टाइगर फैक्ट्री कहे जाने वाले रणथंभौर नेशनल पार्क में लगातार बाघों की मौत से जहां वन्य जीव प्रेमी मायूस हैं। वहीं वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस फाइट को रोकने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं? कैसे बाघों के लिए रणथंभौर का घर छोटा पड़ने लगा है? पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

रणथंभौर टाइगर रिजर्व में करीब 2 साल में 16 बाघों की मौत हुई है, जिनमें 10 बाघों ने टेरिटोरियल फाइट में जान गंवाई।
2 साल में 10 बाघों की टेरिटोरियल फाइट में मौत
रणथंभौर नेशनल पार्क में एक ओर जहां लगातार बाघों की संख्या में इजाफा हो रहा है। वहीं दूसरी ओर लगातार बाघों की मौत को लेकर भी रणथंभौर सुर्खियों में है। पिछले 2 साल में रणथंभौर में 16 बाघ, बाघिन और शावकों की मौत हो चुकी है। इनमें 10 बाघों की टेरिटोरियल फाइट में मौत हुई है।
रणथंभौर के सीसीएफ (चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट्स) अनूप के आर ने बताया- रणथंभौर में 16 में से 10 बाघों की मौत टेरिटोरियल फाइट में हुई, जिसमें ज्यादातर शावक थे। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि बाघिन 2 साल तक शावकों को अपने साथ रखती है। इस दौरान बाघिन-बाघ के साथ मेटिंग नहीं करती है। इसके चलते बाघ छोटे शावकों को मार देते हैं।

मादा के लिए भी हो जाता है बाघों में टकराव सीसीएफ अनूप के आर ने बताया कि रणथंभौर में टेरिटोरियल फाइट के अलावा मादा को लेकर भी कई बार बाघों में टकराव हो जाता है। आपसी संघर्ष में नर या मादा बाघ की मौत हो जाती है। रणथंभौर में जिस तरह 2 साल में 16 बाघों की मौत में अधिकतर की वजह या तो मादा रही है या टेरिटरी को लेकर संघर्ष रहा है।
अनूप के आर के अनुसार- रणथंभौर में पिछले एक साल में 16 शावकों ने जन्म लिया है, जो कि राहत भरी खबर है। वर्तमान में यहां 26 बाघ, 25 बाघिन और 16 शावक हैं। वे कहते हैं- रणथंभौर में क्षेत्रफल के अनुसार जितने बाघ, बाघिन और शावकों की संख्या होनी चाहिए, उस हिसाब से रणथंभौर में बाघों की पर्याप्त संख्या है। लेकिन, वन्य जीव एक्सपर्ट सीसीएफ के इस तर्क से सहमत नहीं हैं।

बाघिन 2 साल तक शावकों को अपने साथ रखती है। इस दौरान बाघिन बाघ के साथ मेटिंग नहीं करती है। इसके चलते बाघ छोटे शावकों को मार देते है।
25-30 किलोमीटर की टेरिटरी जरूरी, अभी 19 किलोमीटर के घर में रह रहे बाघ
पथिक लोक सेवा समिति के सचिव और वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट मुकेश शीट का कहना है कि एक टाइगर की टेरिटरी करीब 25 से 30 वर्ग किलोमीटर होती है। रणथंभौर टाइगर रिजर्व कुल 1334 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
इस लिहाज से यहां 45-50 बाघ-बाघिन और शावक रह सकते हैं। जबकि अभी रणथंभौर में 74 बाघ हैं। अगर उनकी टेरिटरी का गणित निकालें तो वे मौजूदा समय में 19 वर्ग किलोमीटर के एरिया में ही टेरिटरी बना पा रहे हैं। इतनी कम टेरिटरी में बाघों के बीच फाइट और बढ़ेगी।
नए शावकों के जन्म लेने से कम पड़ रहा है इलाका
वन्य जीव एक्सपर्ट मुकेश शीट का कहना है कि जिस तरह से रणथंभौर में शावकों का जन्म हो रहा है, यह बहुत ही राहत भरी खबर है। लेकिन, यह भी सच है कि उनकी टेरिटरी के लिए जगह भी कम पड़ेगी। एक बाघ 2 साल तक अपनी मां के साथ रहता है। लेकिन, शावक 2 साल के होते ही अपनी टेरिटरी की तलाश में जुट जाते हैं।
इस दौरान कई बार टेरिटरी के लिए किसी अन्य बाघ से उनका टकराव होना लाजिमी है। अक्सर देखने को मिला है कि शावक से युवा हुए 2 से 3 साल के बाघ पर हमेशा 5, 6 या 7 साल के बाघ फाइट में भारी पड़ते हैं। बीते सोमवार को जो फाइट हुई, उसमें मरने वाले युवा बाघ टी-2309 की उम्र महज 3 साल थी, जबकि मारने वाला बाघ गणेश 6 साल का है।

रणथंभौर में नर और मादा का अनुपात भी गड़बड़ाया
रणथंभौर के नेचर गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष यादवेंद्र सिंह का कहना है कि वर्तमान में बाघों के आवास पर नजर दौड़ाएं तो लिंगानुपात भी गड़बड़ाया हुआ है। वाइल्ड लाइफ में एक नर बाघ को दो से तीन मादा की जरूरत रहती है। लेकिन, रणथंभौर में नर और मादा की संख्या करीब बराबर है। यहां 26 नर पर महज 25 मादा हैं। जबकि 26 बाघ के अनुसार कम से कम 50 मादा बाघ होनी जरूरी हैं। यही कारण है कि मादा के चक्कर में भी नर बाघों के बीच आपसी संघर्ष भी होता है।
ग्रासलैंड विकसित करने की जरूरत
यादवेंद्र सिंह का कहना है कि रणथंभौर में अगर टेरिटरी और मादा को लेकर बाघों का आपसी संघर्ष रोकना है तो राज्य सरकार और वन विभाग को कड़े कदम उठाने होंगे। रणथंभौर में नया ग्रासलैंड विकसित करना होगा। इससे अन्य वाइल्ड लाइफ एनिमल नए ग्रासलैंड की तरफ जाएंगे। जब दूसरे वन्य जीव (बाघों के शिकार) उधर शिफ्ट होंगे तो स्वाभाविक है कि बाघ भी उनके पीछे जाएंगे। इससे बाघों को अपनी टेरिटरी में ही भोजन मिलने लगेगा। आपसी टकराव भी कम होगा।

यादवेंद्र सिंह इसका दूसरा उपाय भी बताते हैं। रणथंभौर से कुछ नर बाघों को अन्यत्र शिफ्ट करने की योजना बनाई जानी चाहिए। उन बाघों को जो अपनी नई टेरिटरी की तलाश कर रहे हैं, ऐसे बाघों को चिह्नित कर उन्हें शिफ्ट किया जा सकता है। इससे टेरिटरी की समस्या भी कम हो सकती है।
14 गांवों को शिफ्ट करने की तैयारी, इससे मिलेगा 25 बाघों को घर
ऐसा नहीं है रणथंभौर का क्षेत्रफल बढ़ाने पर काम नहीं हो रहा। वन विभाग ने रणथंभौर टाइगर रिजर्व के नजदीक 24 गांवों के लोगों को विस्थापित करने का प्रोजेक्ट बना रखा है। जिस पर काम लगातार जारी है। इस प्रोजेक्ट के तहत 6 गांवों को विस्थापित किया जा चुका है। 4 गांवों के लोगों को रिलोकेट करने की प्रक्रिया जारी है।

वहीं 14 गांवों में अभी तक यह प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। इन 14 गांवों में भी विभाग जल्दी ही विस्थापित करने की प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है। एक्सपर्ट के मुताबिक अगर 14 गांवों की शिफ्टिंग जल्द हो पाई तो इससे करीब 20-25 टाइगर को उनकी टेरिटरी बनाने का मौका मिल जाएगा। उस स्थिति में टेरिटरी फाइट रोकी जा सकती है। साथ ही बाघ और मानव में होने संघर्ष को भी कम किए जा सकते हैं।

विस्थापित करने की प्रक्रिया
रणथंभौर टाइगर रिजर्व से सटे आसपास गांवों के निवासियों को विस्थापित करने के लिए पैकेज बनाया गया। पैकेज के तहत विस्थापित किए जाने वाले गांव के हर परिवार के प्रत्येक व्यक्ति के नाम पर 10 लाख रुपए का मुआवजा तय किया।
प्रस्ताव के तहत पैकेज लेना स्वैच्छिक है। जिसके चलते कुछ परिवार का विस्थापन नहीं हो पाया। आगामी समय में भी यहीं प्रक्रिया अपनाई जाएगी। पैकेज लेने वाले परिवार को गांव से अपना मकान तोड़ने के एविडेंस और वन विभाग को एनओसी देनी होती है।



रणथंभौर नेशनल पार्क में सोमवार (23 दिसंबर) को सुबह बाघ टी-2309 का शव आमा घाटी वन क्षेत्र में मिला था। विभाग ने उसकी मौत टेरिटोरियल फाइट में होना माना था।

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