JSSC CGL exam paper leak case | ब्लैक लिस्ट हुई एजेंसी ने करवाई JSSC CGL परीक्षा: ONGC और UP पुलिस नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप; जानकारी के बाद भी आयोग ने दिया जिम्मा – Ranchi News

JSSC CGL परीक्षा का पेपर लीक मामले में नया खुलासा आया सामने

झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की सीजीएल परीक्षा-2023 के पेपर लीक मामले में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। इस परीक्षा के संचालन का जिम्मा जिस सतवत इंफोसोल को दिया गया था, वह ओएनजीसी और यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी करने का आरोपी था। हालांकि एजेंसी

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एसआईटी ने 13 फरवरी को चेन्नई में सतवत इंफोसोल के अधिकारी गोपीनाथ कुप्पुसामी से पूछताछ की थी। गोपीनाथ ने बताया था कि उनकी एजेंसी ने ओएनजीसी के लिए काम किया था। उस परीक्षा में अयोग्य उम्मीदवारों के चयन का आरोप लगा।

एजेंसी पर यूपीएस, सर्वर और नेटवर्क से जुड़ी गड़बड़ी के भी आरोप लगाए गए। फिर ब्लैक लिस्ट कर दिया गया। हालांकि बाद में देहरादून हाईकोट ने ब्लैक लिस्ट करने के फैसले पर रोक लगा दी। इसके बाद एजेंसी को यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा के आयोजन का भी काम मिला, जिसमें हैकिंग का आरोप लगा। हालांकि गोपीनाथ ने सभी आरोपों को गलत बताया है।

11 माह में भी किंगपिन को नहीं ढूंढ़ पाई पुलिस

एसआईटी ने पेपर लीक के लिए जेएसएससी व परीक्षा एजेंसी सतवत इंफोसोल की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है। लेकिन एसआईटी की चार टीमें 11 महीने में भी किंगपिन को नहीं ढूंढ़ पाई है। इस घटना के चार मुख्य आरोपी पटना का अतुल वत्स, नालंदा का संजीव कुमार, बिहार विधानसभा का मार्शल रिजवान और पलामू का रवि किशोर फरार है। पुलिस ने 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया, लेकिन साक्ष्य के अभाव में इनमें से नौ आरोपियों को जमानत दे दी गई।

पलामू का रवि रांची में चलाता था कोचिंग

पलामू के न्यू मुहल्ला निवासी रवि किशोर भी इस जालसाजी में प्रमुख किरदार था। वह रांची के कटहल मोड़ के पास किराए का मकान लेकर आईटी इंफोटेक नाम से कोचिंग चलाता​ था। कोचिंग के एक स्टाफ लेस्लीगंज के अभय ने पूछताछ में कहा कि बिहार विधानसभा का मार्शल रिजवान रवि का पार्टनर है। रवि ने जेएसएससी की पीजीटी परीक्षा में भी गड़बड़ी की थी। इससे पहले 2017 में मैट्रिक परीक्षा का पेपर लीक कराने के मामले में वह जेल जा चुका है।

इन सवालों के अभी तक नहीं मिले जवाब

  1. एसआईटी ने कहा है कि एजेंसी और आयोग के बीच करार में भी गड़बड़ी हुई। लेकिन इसके लिए जिम्मेदार कौन, इसका जवाब नहीं।
  2. परीक्षा एजेंसी पर पहले भी गड़बड़ियों के आरोप लग चुके हैं। इसके बाद भी एजेंसी के चयन के लिए जिम्मेदार कौन।
  3. कई कोचिंग संचालकों के पास से पेपर मिले थे। उनकी गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई।
  4. एजेंसी के किस अधिकारी ने पेपर बेचा, उस तक क्यों नहीं पहुंच पाई पुलिस।
  5. शुरुआत में जांच की रफ्तार काफी तेज थी, फिर इसमें सुस्ती क्यों आ गई।

———————————- JSSC CGL से जुड़ी इस खबर को पढ़ें…. JSSC CGL पेपर लीक का यूपी-बिहार कनेक्शन:झांसी जेल में बंद अपराधी मास्टरमाइंड, नालंदा के संजीव ने क्वेश्चन बेचे; परीक्षा से 2 दिन पहले मिला था प्रश्न

JSSC CGL पेपर लीक में पुलिस की एसआईटी जांच रिपोर्ट में कई तरह के खुलासे हो रहे हैं। एसआईटी जांच में यह पता चला है कि यूपी के झांसी जेल में बंद मोनू गुर्जर, अलवर के बलराम गुर्जर और नोएडा के सुमित सिंह ने पेपर लीक कराया था।

वहीं मोनू के दोस्त बिहार के नालंदा निवासी संजीव कुमार और पटना के अतुल वत्स ने ​झारखंड-बिहार, प. ​बंगाल और यूपी में कोचिंग संचालकों और अभ्यर्थियों को 3 से 20 लाख रुपए तक में पेपर उपलब्ध कराया था। 28 जनवरी को होने वाली परीक्षा का पेपर 26 जनवरी को ही अभ्यर्थियों को मिल गया था।

छानबीन के दौरान 18 अप्रैल को यूपी के स्पेशल टास्क फोर्स की मेरठ इकाई की ओर से रांची एसएसपी को ईमेल भेजा गया था। इसमें कहा गया था कि मेरठ के कांकर खेड़ा का रहने वाला रवि अत्री और उसका गिरोह पेपर लीक मामले में शामिल है। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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