जमुई के खैरा प्रखंड के ढाव इलाके में रविवार की सुबह एक दुर्लभ प्रजाति का गिद्ध देखा गया। उसका सिर सफेद कलर का था। इस चार फीट लंबे पंखों वाले इस विशालकाय पक्षी को देखने के लिए मौके पर भीड़ जमा हो गई, जिसका वजन करीब 10 किलो होगा, इसे देखकर स्थानीय लोग
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ग्रामीण शंभू ने बताया कि गिद्धेश्वर पर्वत पर गिद्धों का बसेरा था। वहां पर कोई जा भी नहीं सकता है। करीब 20 सालों से अब वहां गिद्ध देखा नहीं जा रहा है। अब जब भी गिद्धेश्वर जाते हैं, वहां गिद्ध नहीं देखते हैं। पहले वहां 24 घंटे गिद्ध देखा जाता था।
आज सुबह यहां पर बहुत बड़ा गिद्ध आया है। इसे कोई पकड़ भी नहीं सकता है। उन्होंने बताया कि सुना यह भी जाता है कि गिद्ध 12 कोसों तक दिखाई देता है। इधर, ग्रामीणों द्वारा इलाके में गिद्ध मिलने के सूचना वन विभाग को दी गई है। वन विभाग की टीम मौके पर पहुंचकर गिद्ध के बारे में ग्रामीणों से जानकारी इकट्ठा कर रही है।
गिद्धों का संबंध रामायण काल से भी है। पक्षीराज जटायु ने सीता हरण के दौरान रावण से युद्ध किया था और मां जानकी को बचाने का प्रयास किया था, जिस दौरान उनकी जान चली गई थी। इस कथा का उल्लेख रामचरितमानस में मिलता है। इसका भी संबंध जमुई के जंगली क्षेत्र से है क्योंकि जमुई में एक बड़ा वन्य क्षेत्र इसी के नाम पर रखा गया है।
इसे गिद्धेश्वर वन्य क्षेत्र कहा जाता है। करीब दो दशक पहले गिद्धेश्वर पहाड़ी के चारों तरफ गिद्ध अक्सर देखे जाते थे, लेकिन धीरे-धीरे उनकी संख्या कम होती चली गई। फिर वह विलुप्त हो गई। ढाई दशक के बाद लोगों को गिद्ध देखने को मिला है। ग्रामीण बताते हैं कि गिद्धों का मिलन पर्यावरण के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।