7.98 crore rupees found in the house of former RTO constable | RTO के पूर्व आरक्षक से 7.98 करोड़ का सामान बरामद: सौरभ शर्मा के स्कूल का पदाधिकारी निकला 52 किलो सोने से भरी कार का मालिक – Bhopal News

सौरभ शर्मा के घर पर लोकायुक्त की छापेमारी में करोड़ों का सामान बरामद हुआ है।

भोपाल में आरटीओ के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के घर पर लोकायुक्त की छापेमारी में अब तक 7.98 करोड़ रुपए मूल्य का सामान बरामद हुआ है। इसी के साथ, मेंडोरी के जंगल में बरामद 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपए नकद के साथ जो कार पकड़ी गई थी, उसका मालिक सौरभ शर्मा

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स्कूल समिति में जुड़े नाम

चेतन सिंह गौर, जो जयपुरिया स्कूल की समिति में सचिव के पद पर कार्यरत हैं, सौरभ शर्मा के करीबी सहयोगी माने जा रहे हैं। वहीं, सौरभ की मां उमा शर्मा भी इस स्कूल की समिति की प्रमुख पदाधिकारियों में से एक हैं।

जांच में कहां-क्या मिला?

सौरभ शर्मा के मकान (E-7/78) की तलाशी

  • 1 कार सहित घर का सामान: 2.21 करोड़ रुपए।
  • सोने व हीरे के आभूषण: 50 लाख रुपए।
  • नगद राशि: 1.15 करोड़ रुपए।
  • कुल बरामदगी: 3.86 करोड़ रुपए।
गुरुवार को लोकायुक्त पुलिस ने आरटीओ के पूर्व आरक्षक के घर और दफ्तर पर छापा मारा था।

गुरुवार को लोकायुक्त पुलिस ने आरटीओ के पूर्व आरक्षक के घर और दफ्तर पर छापा मारा था।

दूसरे ठिकाने पर बरामदगी

लोकायुक्त की टीम ने चेतन सिंह गौर के मकान E-7/657 से कुल 30 लाख रुपए मूल्य का घरेलू सामान बरामद किया है। इसमें बेड, टीवी, फ्रिज, पर्दे, कपड़े और इंटीरियर का सामान शामिल हैं।

  • नकद राशि: 1.72 करोड़ रुपए।
  • चांदी: 234 किलो (कीमत: 21 लाख रुपए)।
  • कुल बरामदगी: 4.12 करोड़ रुपए।

जयपुरिया स्कूल से बरामदगी

लोकायुक्त टीम को जयपुरिया स्कूल के निर्माणाधीन भवन से 40 पेटी पैक एलईडी टीवी मिलीं। सभी टीवी 43 इंच की हैं। सूत्रों के अनुसार, सौरभ शर्मा ने दिवाली के दौरान सैकड़ों टीवी अपने संबंधियों को गिफ्ट के तौर पर बांटी थीं। शेष टीवी उसने स्कूल की इमारत में छिपाकर रखी थीं।

सवा दो करोड़ में खरीदा बंगला

सौरभ शर्मा का वर्तमान निवास, अरेरा कॉलोनी स्थित बंगला (E-7/78), वर्ष 2015 में सवा दो करोड़ रुपए में खरीदा गया था। हालांकि, सौरभ इसे अपने जीजा का बंगला बताता है।

  • बंगले की वर्तमान कीमत: लगभग 7 करोड़ रुपए।
  • अनुमान है कि नौकरी करते समय नजर से बचने के लिए सौरभ ने इसे किसी अन्य के नाम से खरीदा था।
आयकर की टीम को मेंडोरी के जंगल में इनोवा कार से 52 किलो सोने और 11 करोड़ रुपए कैश मिले थे। इस कार के साथ चेतन का एक फोटो भी सामने आया है।

आयकर की टीम को मेंडोरी के जंगल में इनोवा कार से 52 किलो सोने और 11 करोड़ रुपए कैश मिले थे। इस कार के साथ चेतन का एक फोटो भी सामने आया है।

आरक्षक से बिल्डर बना सौरभ शर्मा

सौरभ शर्मा ने वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) लेने से पहले ही रियल एस्टेट कारोबार में कदम रख दिया था। प्रदेश के कई रसूखदार व्यक्तियों से उसके करीबी संबंध थे। इसी कारण कार्रवाई के डर से उसने नौकरी छोड़ी और बिल्डर के रूप में अपना करियर शुरू कर दिया।

अनुकंपा नियुक्ति से शुरुआत

सौरभ शर्मा को पिता की मृत्यु के बाद परिवहन विभाग में अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। मूल रूप से ग्वालियर के साधारण परिवार से संबंध रखने वाले सौरभ का जीवन कुछ ही वर्षों में पूरी तरह बदल गया। नौकरी के दौरान ही उसका रहन-सहन काफी भव्य हो गया था, जिससे उसके खिलाफ शिकायतें विभाग और अन्य जगहों पर होने लगीं।

शिकायतों से बचने और अपनी गतिविधियों को छिपाने के लिए सौरभ ने वीआरएस ले लिया। इसके बाद उसने भोपाल के नामी बिल्डरों के साथ मिलकर प्रॉपर्टी में बड़े पैमाने पर निवेश करना शुरू कर दिया।

सौरभ के लिए काम करने वाला चेतन उसका सबसे बड़ा राजदार बन चुका है। उसके बुलावे पर भोपाल आया और यहीं बस गया। उसका लाइफ स्टाइल चंद समय में ही पूरी तरह से बदल चुका है।

सौरभ के लिए काम करने वाला चेतन उसका सबसे बड़ा राजदार बन चुका है। उसके बुलावे पर भोपाल आया और यहीं बस गया। उसका लाइफ स्टाइल चंद समय में ही पूरी तरह से बदल चुका है।

चेतन सिंह का बयान: “मैं वर्कर की हैसियत से काम करता था”

आयकर विभाग (आईटी) को दिए गए बयान में चेतन सिंह गौर ने खुद को सौरभ शर्मा का एक साधारण वर्कर बताया है। चेतन का कहना है:

“सौरभ जहां कहता था, मैं वहां साइन कर दिया करता था। मेरे दस्तावेज वह अलग-अलग काम बताकर ले लेता था।”

चेतन ने यह भी बताया कि वे दोनों पुराने परिचित थे और उसे काम की जरूरत थी। इसी कारण उसने सौरभ से कभी कोई सवाल नहीं किया। चेतन के अनुसार, सौरभ ने इसी भरोसे का फायदा उठाकर उसके दस्तावेजों का इस्तेमाल किया।

  • कार खरीदी: सौरभ ने चेतन के नाम से कार खरीद ली।
  • पेट्रोल पंप आवंटन: चेतन के दस्तावेजों पर पेट्रोल पंप का आवंटन करा लिया।
  • संपत्तियां: कई संपत्तियां भी चेतन के नाम से खरीदी गईं।

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