चंडीगढ़ पीजीआई. के कार्डियोलॉजी, न्यूक्लियर मेडिसिन और गायनेकोलॉजी विभाग में टैस्ट और जांच प्रक्रिया से जुड़ी खामियां कैग की ऑडिट रिपोर्ट में सामने आई हैं। रिपोर्ट में इन विभागों में मशीनों के उपयोग और रिकॉर्ड रखरखाव में गंभीर लापरवाही की ओर इशारा किय
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मशीनों के रखरखाव में खामियां
ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, कार्डियोलॉजी विभाग में टीएमटी और इको टैस्ट, न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग में पेट स्कैन और गायनेकोलॉजी विभाग में अल्ट्रासाउंड मशीनों के संचालन का रिकॉर्ड उचित तरीके से नहीं रखा गया।
मशीनों के नॉन-वर्किंग दिनों का कोई उल्लेख नहीं था, न ही रिपेयर संबंधी जानकारी दर्ज की गई। इसके कारण यह पता लगाना संभव नहीं हो पाया कि कितने मरीजों को परेशानी हुई और कितने टैस्ट नहीं हो सके।
टी.एम.टी. टैस्ट के रिकॉर्ड में गड़बड़ी
कैग की रिपोर्ट में टी.एम.टी. टैस्ट से जुड़ी लापरवाही भी सामने आई। अप्वॉइंटमेंट डेट को डायरी में दर्ज किया गया जबकि इसे अप्वॉइंटमेंट रजिस्टर में होना चाहिए था। इससे वेटिंग टाइम का पता नहीं लग पाया। सुधारात्मक उपायों के लिए संस्थान से प्रस्ताव मांगा गया, जिस पर पी.जी.आई. ने भविष्य में ध्यान देने की बात कही।
ओ.पी.डी. में कतार प्रबंधन प्रणाली की कमी
रिपोर्ट में ओ.पी.डी. में मरीजों की बढ़ती संख्या और कतार प्रबंधन प्रणाली की कमी को भी उजागर किया गया। साल 2022 में 23 लाख से अधिक मरीज ओ.पी.डी. में आए, लेकिन डिस्प्ले और टोकन प्रणाली जैसी सुविधाओं का अभाव देखा गया। मरीजों और परिजनों को लंबी कतारों का सामना करना पड़ा। पी.जी.आई. ने उत्तर में बताया कि एच.आई.एस. 2.0 के तहत कतार प्रबंधन प्रणाली लागू करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
गायनेकोलॉजी विभाग ने मानी खामियां
गायनेकोलॉजी विभाग ने अल्ट्रासाउंड मशीन की लॉगबुक में खामियां स्वीकार कीं और भविष्य में इसे बेहतर तरीके से मैनेज करने का आश्वासन दिया। हालांकि, न्यूक्लियर मेडिसिन और कार्डियोलॉजी विभाग ने रिपोर्ट लिखे जाने तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
कैग की यह रिपोर्ट पी.जी.आई. की कार्यप्रणाली में सुधार की सख्त जरूरत को दर्शाती है। मशीनों के संचालन और मरीजों की सुविधाओं को लेकर उठाए गए सवालों पर संस्थान के ठोस कदमों का इंतजार है।