ULFA chief Paresh Barua’s death sentence cancelled in Bangladesh | बांग्लादेश में उल्फा चीफ परेश बरुआ की सजा-ए-मौत रद्द: पूर्व गृहमंत्री की भी सजा माफ; 2004 में 10 ट्रक हथियार भारत भेजने की हुई थी कोशिश


ढाका5 मिनट पहले

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प्रतिबंधित आतंकी संगठन उल्फा चीफ परेश बरुआ। (फाइल फोटो) - Dainik Bhaskar

प्रतिबंधित आतंकी संगठन उल्फा चीफ परेश बरुआ। (फाइल फोटो)

बांग्लादेश में एक हाई कोर्ट ने भारत में बैन आतंकी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के चीफ परेश बरुआ की मौत की सजा को घटाकर उम्रकैद में बदल दिया है। ढाका टाइम्स के मुताबिक इसी मामले में बांग्लादेश के पूर्व मंत्री लुत्फोज्जमान बाबर और पांच और लोगों को बरी कर दिया गया है, जबकि बाकी को 10 साल की सजा सुनाई गई है।

ये सभी 2004 चटगांव हथियार केस में दोषी पाए गए थे। 1 अप्रैल 2004 को बांग्लादेश में हथियारों और गोला-बारूद से भरे 10 ट्रक जब्त किए गए थे। यह बांग्लादेश के इतिहास में जब्त की गई सबसे बड़ी खेप थी।

जब्त हुए हथियारों में चीन में बनी एके-47, सेमी ऑटोमेटिक राइफल, रॉकेट लांचर, रॉकेट शेल, पिस्तौल, हैंड ग्रेनेड और भारी मात्रा में कारतूसों के अलावा विस्फोटक सामग्री थीं।

इन हथियारों की तस्करी में तत्कालीन गृह राज्य मंत्री लुत्फोज्जमां बाबर की संलिप्तता के सबूत मिले थे। उन्होंने उल्फा चीफ परेश बरुआ को कुछ समय के लिए बांग्लादेश में भी शरण दी थी। हालांकि अभी परेश बरुआ कहां ये जानकारी नहीं है। कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि वह चीन-म्यांमार सीमा पर छिपा हुआ है।

2004 में चटगांव में जब्त हथियारों का निरीक्षण करते तत्कालीन गृह राज्य मंत्री लुत्फज्जमां बाबर

2004 में चटगांव में जब्त हथियारों का निरीक्षण करते तत्कालीन गृह राज्य मंत्री लुत्फज्जमां बाबर

10 साल पहले 14 लोगों को फांसी की सजा मिली थी

इस घटना के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों को काफी नुकसान पहुंचाया था। तब वहां खालिदा जिया की सरकार थी। बीबीसी के मुताबिक तब भारत से जुड़े अधिकारियों ने दावा किया था कि भारत के दबाव में ही हथियारों को जब्त किया गया था, अगर भारत दबाव नहीं बनाता तो ये हथियार अलगाववादियों के पास पहुंच जाते।

साल 2009 में शेख हसीना के सत्ता में आने के बाद इस केस में तेजी आई। इसके बाद जनवरी, 2014 में चटगांव की एक अदालत ने इस घटना से जुड़े होने के आरोप में BNP सरकार में उद्योग मंत्री रहे चुके जमात-ए-इस्लामी के अमीर मतीउर निजामी, गृह मंत्री लुत्फज्जमां बाबर और परेश बरुआ समेत 14 लोगों को फांसी की सजा सुनाई थी।

इन दोषियों में से एक मोतिउर रहमान निजामी को साल 2016 में फांसी दे दी गई थी। उन पर मानवता के खिलाफ अपराध के भी मामले थे।

45 साल पहले बना था उल्फा

उल्फा एक आतंकी संगठन है। साल 1979 में इसे 6 लोगों ने बनाया था। इस संगठन ने असम और पड़ोस के कई राज्यों में हिंसा की घटनाओं को अंजाम दिया। उल्फा ने साल 2023 में भारत के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। वहीं, बरुआ उल्फा के एक अलग गुट ULFA-I के प्रमुख सदस्य हैं।

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