लखीसराय में डीएपी खाद की भारी किल्लत के चलते किसान परेशान हैं। गेहूँ की बुआई के इस उपयुक्त समय में किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है। दुकानों और सहकारी केंद्रों पर खाद लेने के लिए किसान घंटों लाइन में खड़े हो रहे हैं लेकिन निराश लौट रहे हैं। ग्रामीण
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बता दें की जिले में खाद की कालाबाजारी चरम पर है और किसानों से सामान्य दर से अधिक कीमत वसूली जा रही है। धान की कटाई के बाद अब रबी सीजन के तहत गेहूं की बुआई की जा रही है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, गेहूं की बुआई के समय डीएपी खाद का उपयोग आवश्यक होता है।
घंटों लाइन में खड़े रहने पर भी नहीं मिल रहा डीएपी
डीएपी के अभाव में गेहूं की फसल की बुआई मुश्किल हो रही है। बिस्कोमान जैसे सहकारी केंद्रों पर डीएपी खाद का गंभीर अभाव है। किसानों ने शिकायत की है कि घंटों लाइन में खड़े रहने के बावजूद उन्हें सिर्फ यूरिया खाद मिल रही है, जबकि डीएपी उपलब्ध नहीं है। किसानों की नाराजगी और बढ़ी कीमतें
कई किसानों ने आरोप लगाया है कि बाजार में खाद की जमाखोरी की जा रही है और इसकी कालाबाजारी के चलते कीमतें सामान्य से अधिक वसूली जा रही हैं। जहां सरकार द्वारा निर्धारित दर पर खाद मिलनी चाहिए, वहां किसान 200-300 रुपये प्रति बोरी अधिक कीमत चुका रहे हैं। इससे छोटे और सीमांत किसानों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है।
जल्द मिलेगी राहत
बिस्कोमान के प्रबंधक मनीष कुमार ने बताया कि खाद की कमी की जानकारी विभाग को दे दी गई है। उन्होंने कहा, “डीएपी खाद की रैक जल्द आने वाली है। अगले दो दिनों में स्थिति में सुधार होगा और किसानों को राहत मिलेगी।”
गेहूं की बुआई पर असर
किसानों का कहना है कि डीएपी खाद के बिना गेहूं की बुआई समय पर नहीं हो पाएगी। यदि स्थिति जल्द नहीं सुधरी तो फसल उत्पादन पर गंभीर असर पड़ सकता है। किसान प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि खाद की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित की जाए और कालाबाजारी पर सख्त कार्रवाई हो।