Syria Civil War Challenge; Israel India | Arab Bashar al-Assad Family | सीरिया में तख्तापलट शांति की शुरुआत या खतरे की आहत: क्या अरब स्प्रिंग अब भी जारी, इजराइल के लिए चुनौती या मौका; जानिए भारत पर असर


दमिश्क5 मिनट पहलेलेखक: तेजस्वी ठाकुर

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सीरिया की राजधानी दमिश्क में जश्न का माहौल है। असद परिवार के 54 साल का किला महज चंद दिनों में ढह गया। राष्ट्रपति बशर अल असद मॉस्को भाग गए। जिस सीरिया में कभी असद खानदान का बोलबाला था आज वहां कोई नाम लेवा नहीं बचा। जगह-जगह बशर और उनके पिता की निशानियों को मिटाया जा रहा है।

विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम (HTS) राजधानी को नियंत्रण में ले चुका है। अमेरिका और उसके सहयोगी देश जिस अलकायदा से सालों तक लड़ते रहे, उसी अलकायदा की शाखा हयात तहरीर अल-शाम (HTS) का सत्ता परिवर्तन करने पर स्वागत कर रहे हैं। मिडिल ईस्ट एक बार फिर शांति और अशांति के दोराहे पर खड़ा है।

इस तख्तापलट ने दुनिया के सामने कई अनसुलझे सवाल छोड़े दिए हैं। ऐसे ही कुछ जरूरी सवालों पर हमने सीनियर डिफेंस एक्सपर्ट कमर आगा और इंडियन वर्ल्ड काउंसिल के सीनियर रिसर्च फेलो फज्जुर रहमान सिद्दीकी से बात की…

1) क्या अरब स्प्रिंग की चिंगारी अभी तक सुलग रही थी?

2010 में ट्यूनीशिया से शुरू हुआ अरब स्प्रिंग कई मिडिल ईस्ट देशों की सत्ता परिवर्तन कारण बना था। 2011 तक आंदोलन की लपटें दक्षिणी सीरिया तक पहुंची और देखते ही देखते पूरे देश में फैल गई। हालांकि सीरिया में बशर अल असद अपनी सत्ता बचाने में कामयाब रहे थे।

लेकिन 27 नवंबर 2024 को शुरू हुए विद्रोह ने उन्हें संभलने का मौका नहीं दिया। विद्रोह इतना तेज था कि महज 11 दिन में सीरिया में सत्ता परिवर्तन हो गया। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ये अरब स्प्रिंग का ही विस्तार था या एक नए तरह का आंदोलन था।

कमर आगा-

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अरब स्प्रिंग तब ही खत्म हो गया था। उसका मकसद लोकतंत्र लाना था। ISIS और अलकायदा जैसे संगठनों ने उसे तभी खत्म कर दिया था। हालांकि सीरिया 2011 से लगातार अशांति से जूझ रहा है।

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फज्जुर रहमान सिद्दीकी-

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यह अरब स्प्रिंग का ही जारी क्रम है। सीरिया अब तक टिका हुआ था क्योंकि हमास और हिजबुल्लाह इजराइल से लड़ाई जारी रखे हुए थे, जिससे ईरान का यहां फायदा बना हुआ था। जैसे ही ये दोनों कमजोर हुए ईरान पीछे हट गया और रूस यूक्रेन में उलझा हुआ है। ऐसे में इस क्रांति को उभरने की जगह मिल गई।

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2) इजराइल के लिए मिडिल ईस्ट में नई चुनौती या मौका?

बशर की सत्ता का खात्मा होते ही इजराइल ने इसका स्वागत किया। खुद प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इसे मिडिल ईस्ट के लिए ऐतिहासिक दिन बताया। पिछले डेढ़ साल में इजराइल ने गाजा से हमास का सफाया कर दिया। लेबनान में हिज्बुल्लाह से सीजफायर कर लिया और अब सीरिया में बशर की सत्ता का खात्मा हो गया। विद्रोही लड़ाकों के दमिश्क पहुंचते ही इजराइल ने अपने कदम गोलान हाइट्स की तरफ बढ़ा दिए।

हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि दमिश्क पर कब्जा करने वाले हयात तहरीर अल-शाम से इजराइल के रिश्ते कैसे होंगे।

कमर आगा-

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सीरिया आर्थिक तौर पर बुरी तरह टूट चुका है। अब वहां कोई भी नई सरकार तभी टिक पाएगी जब उसे अमेरिका या इजराइल से आर्थिक मदद मिलती रहे। अमेरिका पहले जिस HTS को आतंकी गुट कह रहा था अब उसके लिए विद्रोही जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहा है। ऐसे में इजराइल के लिए मौका बन सकता है।

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फज्जुर रहमान सिद्दीकी-

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सीरिया में विद्रोह की सफलता ने इजराइल के लिए नए मौके तैयार किए हैं। फिलहाल ईरान में सीधे लड़ने की क्षमता नहीं बची है। अब इजराइल जरूरत पड़ने पर आसपास के देशों से भी सीधे टक्कर ले सकता है।

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3) सीरिया का सत्ता परिवर्तन मिडिल ईस्ट में नया संकट?

ट्यूनीशिया से शुरू हुए स्प्रिंग ने देखते देखते मिडिल ईस्ट में कई शासकों का तख्तापलट कर दिया। ऐसे में सीरिया के इस सफल विद्रोह से बार फिर मिडिल ईस्ट में अशांति का डर पैदा हो गया है। भारतीय विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, मिडिल ईस्ट के 6 देशों बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में 92 लाख से ज्यादा भारतीय लोग काम करते हैं। अगर यह चिंगारी फैली तो भारत को भी बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।

कमर आगा-

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अगर यह विद्रोह फैलते हुए सीरिया से इराक आया तो मिडिल ईस्ट में परेशानी खड़ी हो सकती है। वहां के 6 देशों में हमारे 90 लाख ज्यादा लोग काम करते हैं। ये लोग बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा भारत भेजते हैं।

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फज्जुर रहमान सिद्दीकी-

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अब इस विद्रोह के आगे फैलने की संभावना काफी कम है। अब्राहम अकॉर्ड की वजह से UAE सुरक्षित हैं। सऊदी का ध्यान आर्थिक तरक्की पर ज्यादा है।

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बता दें कि अब्राहम अकॉर्ड वो एग्रीमेंट है, जिसके जरिए सितंबर 2020 में UAE, बहरीन और इजराइल के बीच आधिकारिक तौर पर रिश्ते सामान्य किए गए थे। समझौते के तहत UAE और बहरीन ने इजराइल के साथ राजनीतिक रिश्तों की शुरुआत की थी।

4) कुर्दों के लिए कुर्दिस्तान की राह आसान या नया खतरा?

तुर्किए, सीरिया, इराक, आर्मेनिया और ईरान में फैला कुर्द समुदाय लंबे समय से अलग कुर्दिस्तान देश के लिए आंदोलन कर रहा है। इस वजह से इसे लगातार दमन झेलना पड़ता है। ऐसे में क्या सीरिया का सत्ता परिवर्तन कुर्दों लिए उम्मीद की नई रोशनी लाया है या यह उनके लिए खतरे की नई आहट है।

कमर आगा-

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सिर्फ कुर्दिश फोर्स ही नहीं, वहां के अन्य अल्पसंख्यक समूह अभी सिर्फ हालात का जायजा ले रहे हैं।

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फज्जुर रहमान सिद्दीकी-

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कुर्दिस फोर्स अभी न्यूट्रल हो जाएंगी। फिलहाल उनमें बेचैनी का माहौल है और वो वेट एंड वॉच की पॉलिसी अपना रहे हैं।

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5) ISIS जैसा नया खतरा उभर सकता है?

सद्दाम हुसैन की मौत के बाद से ही मिडिल ईस्ट शांति के लिए संघर्ष कर रहा है। ISIS के जन्म ने इस पहले से सुलगते हुए क्षेत्र के लिए पेट्रोल का काम किया। ऐसे में हयात तहरीर अल-शाम यहां शांति स्थापित करने में कामयाब हो पाएगा या फिर यह इस क्षेत्र में संघर्ष और दमन के नए चक्र की शुरुआत करेगा। क्या सीरियन मिलिट्री से ही किसी नए हिंसक गुट के बनने का खतरा है।

कमर आगा-

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सीरियन आर्मी अंदर से टूट गई थी। कई सीनियर अफसर महज 40 डॉलर (3,394 रुपए) सैलरी पर काम कर रहे थे। अब इनमें ज्यादातर अफसर HTS के साथ ही खुद को जोड़ सकते हैं। हालांकि यहां मिलिटेंसी को बढ़ावा जरूर मिलेगा। विद्रोही सिर्फ असद को हटाने के लिए साथ आए थे, अब इनके लिए सत्ता मैनेज करना मुश्किल हो सकता है।

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फज्जुर रहमान सिद्दीकी-

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किसी नए ग्रुप के बनने की संभावना काफी कम है। यह विद्रोह सफल हुआ क्योंकि सीरियन आर्मी का मनोबल टूट चुका था। उनके पास सिर्फ बशर अल असद को बचाने भर का काम था। सीरियन आर्मी अंदर से खोखली हो चुकी थी।

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बच्चों पर बशर की क्रूर कार्रवाई से गृह युद्ध भड़का

सीरिया में बशर का शासन पिता हाफिज अल-असद की विरासत पर आधारित था, लेकिन वे कभी पिता की जगह नहीं ले पाए। लंदन में डॉक्टरी पढ़ रहे बशर 2000 में राष्ट्रपति बने तो उन्होंने हिंसा का सहारा लिया। 2011 में अरब क्रांति के बीच असद ने प्रदर्शन कुचलने के लिए स्कूली बच्चों को अगवा कर लिया। इन बच्चों को दमिश्क की कुख्यात खुफिया जेल में प्रताड़ित किया गया। इसके बाद बशर के खिलाफ गृह युद्ध शुरू हुआ, जो अब उनके तख्तापलट के साथ खत्म हुआ।

सीरिया से असद सरकार के पतन को लेकर दुनिया बोली…

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सीरिया में असद सरकार के पतन के बाद दूसरे देशों के हमले तेज हो गए हैं। इजराइल ने सीरिया के दक्षिणी, अमेरिका ने मध्य और तुर्किये से जुड़े रिबेल फोर्स ने उत्तरी इलाके पर हमला किया है।

रॉयटर्स के मुताबिक तुर्किये के रिबेल फोर्स ने सीरिया के उत्तरी इलाके मनबिज पर कब्जा कर लिया है। कुर्दिश सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्स (SFD) ने 2016 में ISIS को हराकर मनबिज पर कंट्रोल हासिल किया था। यहां पढ़ें पूरी खबर…

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