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- Lessons From Lord Krishna To Yudhishthira, Mokshda Ekadashi On 11th December, Gita Jayanti On Wednesday, Lordk Krishna Ki Seekh
2 घंटे पहले
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11 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी यानी गीता जयंती है। द्वापर युग में अगहन शुक्ल एकादशी पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता उपदेश दिया था। इस कारण ये तिथि गीता जयंती के रूप में मनाई जाती है। इस दिन पूजा-पाठ के साथ ही गीता का पाठ करना चाहिए, श्रीकृष्ण की कथाएं पढ़नी-सुननी चाहिए और श्रीकृष्ण की सीख को जीवन में उतारने का संकल्प लेना चाहिए। यहां पढ़िए श्रीकृष्ण की एक ऐसी कथा, जिसमें भगवान ने संदेश दिया है कि सफलता के साथ ही नई समस्याएं भी आती हैं, उनसे सीख लेकर आगे बढ़ना चाहिए…
श्रीकृष्ण की युधिष्ठिर को सीख
महाभारत का युद्ध के बाद का प्रसंग है। युद्ध खत्म हो चुका था। जीत के बाद युधिष्ठिर राजा बनने वाले थे। उस समय श्रीकृष्ण ने तय किया कि अब मुझे द्वारिका लौटना चाहिए, क्योंकि यहां सब ठीक हो गया है।
श्रीकृष्ण की इच्छा जानकर कुंती ने भगवान को रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन श्रीकृष्ण कुंती को समझा दिया कि उनका जाना जरूरी है।
श्रीकृष्ण से युधिष्ठिर ने कहा कि मैं आपसे विशेष अनुरोध करता हूं कि आप अभी न जाएं, मैं बहुत परेशान हूं।
श्रीकृष्ण ने कहा कि तुम इतना बड़ा युद्ध जीत चुके हो, राजा बन गए हो तो अब क्या परेशानी है?
युधिष्ठिर ने कहा कि आप तो जानते ही हैं, मुझे ये जीत अपने ही लोगों को मारकर मिली है। मैंने कभी सोचा नहीं था कि ये जीत इतना दुख देगी। ये सत्ता अच्छी नहीं लग रही है।
श्रीकृष्ण ने कहा कि राजा बनना तो मुश्किल ही है। आपको धर्म बचाना था और उसके बाद आपको ये राजगादी मिलनी थी। हमारी हर जीत के पीछे एक हार छिपी होती है। बड़ी सफलता के साथ ही नई परेशानियां भी आती हैं, इसलिए असफलता और परेशानियों से सीख लेकर आगे बढ़ना चाहिए, तभी जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। समझदार व्यक्ति वही है जो जीत के पीछे के दुख से सीख लेकर आगे बढ़ता है।
जो लोग सफलता को समझे बिना जीत का आनंद लेते हैं, उनकी स्थिति तो हारे हुए लोगों की तरह हो जाती है। इसलिए सफलता और परेशानियों से सीख लेकर आगे बढ़ना चाहिए।
श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सलाह दी की हमें भीष्म पितामह के पास चलना चाहिए, वे ही तुम्हें और अच्छी तरह से समझा सकते हैं कि राज धर्म कैसे निभाना चाहिए।
श्रीकृष्ण की सीख
इस प्रसंग में श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को संदेश दिया है कि जो लोग सफल होने के बाद लापरवाह नहीं होते हैं और परेशानियों से सीख लेकर आगे बढ़ते हैं, उनके जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। जो लोग ये बातें ध्यान नहीं रखते हैं, उनका मन हमेशा अशांत ही रहती है।