केंद्र सरकार की तरह मध्य प्रदेश सरकार भी अब जन विश्वास कानून बनाने जा रही है। इसमें उद्योग, राजस्व, पंचायत एवं ग्रामीण विकास और नगरीय विकास एवं आवास विभाग के कानूनों की धाराओं में संशोधन किया जाएगा। मौजूदा समय में इन धाराओं के उल्लंघन पर सजा और जुर्म
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जन विश्वास कानून में कई धाराओं में सजा का प्रावधान हटाने की तैयारी है। जुर्माना भरने के लिए कोर्ट-कचहरी के चक्कर भी नहीं लगाने पड़ेंगे, बल्कि संबंधित विभाग के कार्यपालक अधिकारी पेनल्टी लगा सकेंगे। इस कानून को लाने का मकसद ये भी है कि अदालतों पर केस का बोझ कम हो, आम लोगों को राहत मिले।
नए कानून के मसौदे पर मुख्य सचिव अनुराग जैन ने 6 दिसंबर को अधिकारियों के साथ चर्चा की है। संबंधित विभागों के अधिकारियों को कहा है कि वे अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव तैयार करें ताकि 16 दिसंबर से शुरू हो रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इसे बिल के रूप में पेश किया जा सके।
मध्य प्रदेश सरकार के इस बिल में किन विभागों के एक्ट में बदलाव की तैयारी है? आम लोगों को इससे क्या सहूलियत मिलेगी? पढ़िए ये रिपोर्ट…
नए बिल में फाइन की जगह पेनल्टी मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि जन विश्वास बिल का मुख्य उद्देश्य उद्योग और बिजनेस सिस्टम में सहजता लाना यानी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देना है। व्यापार के लिए कई विभागों से लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन की जरूरत पड़ती है। कानून के नियमों का पालन करना पड़ता है। इसका उल्लंघन करने पर जुर्माने के साथ सजा का भी प्रावधान है। अब इसमें बदलाव होगा।
उद्योग और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम इकाई) विभाग के एक्ट के कानूनी प्रावधानों में बदलाव किया जाएगा। सजा का प्रावधान हटाया जा सकता है। जुर्माने की जगह पेनल्टी का प्रावधान किया जा सकता है।
उदाहरण के तौर पर नगर निगम और नगर पालिका की बिना इजाजत के पानी निकासी का रास्ता बदलने पर अभी 500 रुपए पेनल्टी लगती है। इसे बढ़ाकर 5 हजार रुपए किया जा सकता है। वहीं, पानी की मेन पाइप लाइन से कोई अवैध तरीके से कनेक्शन लेता है तो उसे भी पेनल्टी के रूप में 5 हजार रुपए देने होंगे। अभी 500 रुपए पेनल्टी का प्रावधान है।
अब पढ़िए, आम जनता से जुड़े नए प्रावधान नगरीय विकास एवं आवास विभाग के दोनों एक्ट, नगर पालिका अधिनियम 1961 और नगर पालिका निगम अधिनियम 1956 की 40 धाराओं के प्रावधान को बदला जा रहा है। इन धाराओं में फाइन की जगह पेनल्टी शब्द जोड़ा जा रहा है।
धारा 165: टैक्स संबंधी जानकारी छुपाने पर 1 हजार रुपए की पेनल्टी।
धारा 166: गलत जानकारी देने पर भू-स्वामी पर 1 हजार रुपए की पेनल्टी को बढ़ाया जाएगा।
धारा 200: नगर निगम आयुक्त अथवा मुख्य कार्यपालन अधिकारी की अनुमति के बिना पानी की निकासी का रास्ता बदलने पर पेनल्टी 500 से बढ़ाकर 5000 रुपए।
धारा 236: मेन पाइप लाइन से अवैध नल कनेक्शन करने पर पेनल्टी 500 से बढ़ाकर 5000 रुपए की जा सकती है।
धारा 302: अवैध तरीके से भवन निर्माण करने पर 5 हजार के जुर्माने को और बढ़ाया जाएगा।
धारा 332: बिना अनुमति पेड़ काटने पर जुर्माना 500 रुपए से बढ़ाकर 5 हजार प्रस्तावित।
बिजली का रिकॉर्ड नहीं रखा तो सिर्फ पेनल्टी लगेगी जो कैप्टिव पावर प्लांट (सीपीपी) का इस्तेमाल करते हैं, उनके लिए नए बिल में प्रावधान किए जा रहे हैं। सीपीपी से उत्पादित होने वाली बिजली का इस्तेमाल प्लांट का मालिक या उत्पादक ही करता है। मौजूदा प्रावधान ये है कि सीपीपी का पूरा रिकॉर्ड रखना जरूरी है।
रिकॉर्ड मेंटेन न करने पर 2 हजार से लेकर 5 हजार रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है। जिसे कोर्ट में भरना पड़ता है। नए प्रावधान में 5 हजार रुपए की पेनल्टी लगाई जाएगी। इसी तरह श्रम सहित राजस्व से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना और सजा के प्रावधान को पेनल्टी में बदला जा रहा है।
एक्सपर्ट बोले- जनता को सुविधा मिलेगी नगरीय विकास विभाग के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर केके श्रीवास्तव कहते हैं कि इस नए कानून से दो फायदे नजर आ रहे हैं। सरकार कोशिश कर रही है कि जनता का विश्वास सरकारी सिस्टम के प्रति बढ़ सके। अभी कई कानून में जेल और अर्थदंड का प्रावधान है।
उदाहरण बताते हुए वे कहते हैं कि सार्वजनिक स्थान पर कचरा फैलाने पर 500 रुपए जुर्माने का प्रावधान है। इसी तरह नगर निगम और नगर पालिका के बाकी नियमों का पालन कराने के लिए म्यूनिसिपल मजिस्ट्रेट को तैनात किया जाता है।
वह मोबाइल कोर्ट के जरिए विभिन्न क्षेत्रों में निगम अमले के साथ फाइन लगाने और वसूल करने का अधिकार रखते हैं। यदि कोई फाइन जमा नहीं करता है तो उसे जेल भेजा जाता है। नए नियम में जेल नहीं होगी। पेनल्टी लगेगी। इससे अदालतों पर आने वाला बोझ भी कम होगा।
केंद्र सरकार 2023 में लागू कर चुकी जन विश्वास कानून संसद में जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक 2022 पारित हो चुका है। इसमें 19 मंत्रालयों से संबंधित 42 कानूनों के 183 प्रावधानों में बदलाव किया है। जन विश्वास विधेयक की समीक्षा करने वाली संयुक्त संसदीय समिति ने इस प्रक्रिया को अन्य अधिनियमों तक विस्तारित करने की सिफारिश की है।
केंद्र के इस कानून में मामूली तकनीकी और प्रक्रियागत गलतियों के लिए दीवानी दंड और प्रशासनिक कार्रवाई का प्रावधान किया गया है, जिससे आपराधिक दंड का भय कम होगा और देश में व्यापार करने और रहने में आसानी होगी।
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