राजस्थान की राजनीति में चार साल से ‘बवाल’ मचा रहे फोन टैपिंग मामले में राजस्थान के कई IAS-IPS अफसर दिल्ली क्राइम ब्रांच की रडार पर हैं। दिल्ली क्राइम ब्रांच ने पूर्व CM अशोक गहलोत के OSD रहे लोकेश शर्मा के हाल ही में बयान दर्ज किए हैं।
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लोकेश शर्मा ने बयानों में कथित फोन टैपिंग के पीछे उस दौरान उच्च पदों पर रहे अधिकारियों का जिक्र किया है। यह भी आरोप लगाया कि टैपिंग कराने के बाद इनाम के तौर पर प्रमोशन भी दिया गया। सूत्रों की मानें तो अब क्राइम ब्रांच संबंधित अधिकारियों को पूछताछ के लिए कभी भी नोटिस जारी कर सकती है।
इससे पहले भास्कर टीम ने पड़ताल की कि कथित फोन टैपिंग कब से कब तक की गई? उस दौरान अहम पदों पर कौन-कौन से अधिकारी थे? क्या उन अधिकारियों को प्रमोशन दिया गया? आला पदों पर रहे 5 पूर्व अफसरों से भास्कर ने सीधे सवाल कर उनके जवाब जाने?
मंडे स्पेशल स्टोरी में पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
कथित-खरीद फरोख्त को लेकर सर्कुलेट हुए थे ऑडियो क्लिप पिछली गहलोत सरकार के दौरान मीडिया में विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त को लेकर 15 जुलाई 2020 को देर रात 3 ऑडियो क्लिप मीडिया से जुड़े वॉट्सऐप ग्रुप में शेयर हुई थीं। ये क्लिप तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा ने शेयर की थी।
उन ऑडियो क्लिप्स में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, दिवंगत कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा और तत्कालीन मंत्री विश्वेंद्र सिंह के बीच बातचीत का दावा किया गया था। इन क्लिप्स के आधार पर भाजपा और संबंधित नेताओं पर सरकार को गिराने के आरोप लगे थे।
15 जुलाई 2020 को देर रात 3 ऑडियो क्लिप मीडिया से जुड़े वॉट्सऐप ग्रुप में शेयर हुई थीं।
सबसे पहले लोकेश शर्मा का वह बयान जिसने क्राइम ब्रांच के लिए पूछताछ के रास्ते खोल दिए हैं… ‘फोन टैपिंग तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत के कहने से हुई थी और टैपिंग की जानकारी तत्कालीन सीएस, एसीएस, प्रिंसिपल सेक्रेटरी टू सीएम, होम सेक्रेटरी एवं डीजीपी को थी। जो भी अधिकारी इसमें शामिल रहे, उन्हें बाद में ‘इनाम’ (और बड़े बेहतर पदों पर लगाया) भी दिए गए।’ सूत्रों के अनुसार, लोकेश शर्मा ने क्राइम ब्रांच को दिए अपने बयानों में संबंधित अधिकारियों के सीधे नाम लेने की बजाय पदों का जिक्र किया है।
लोकेश शर्मा की ओर से दिल्ली क्राइम ब्रांच में दिए बयान के अनुसार, विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त के लिए फोन टैपिंग 3 महीने तक की गई। टैपिंग 2020 में मई, जून और जुलाई में की गई। चूंकि फोन टैपिंग करने की आधिकारिक परमिशन गृह विभाग ही पुलिस को देता है। फोन टैपिंग जब हुई, उस दौरान उच्च पदों पर रहे अधिकारियों से भास्कर ने सवाल-जवाब किए…
1. राजीव स्वरूप बोले- ये मैटर मेरे सामने आया ही नहीं था
भास्कर : टैपिंग मामले में दिल्ली क्राइम ब्रांच द्वारा तत्कालीन अफसरों से पूछताछ होने का मुद्दा उठ रहा है? राजीव स्वरूप : मैं साफ रह रहा हूं कि मेरा इसमें जीरो रोल है। ये मैटर मेरे सामने आया ही नहीं था। न फॉर्मली, न इनफॉर्मली। पूछताछ उनसे ही तो होगी, जिनके सामने ये मैटर आया होगा। मैं एसीएस होम था, लेकिन ये होम सेक्रेटरी के स्तर का मामला है।
भास्कर : इस मामले को लेकर आपसे सरकार के स्तर पर कोई चर्चा हुई हो। राजीव स्वरूप : ऐसे मैटर मेरे पास आते ही नहीं थे। होम सेक्रेटरी अपने आप में कंप्लीट अथॉरिटी है। जिसके पास पावर होती है, वही है होम सेक्रेटरी। इसमें कोई सीक्रेट नहीं है, ये तो सभी जानते हैं। रूल्स ऑफ बिजनेस में भी यही बात है। सरकार के स्तर पर मेरे साथ न तो इस मामले में कोई सलाह ली गई और न ही कभी कोई चर्चा हुई।
भास्कर : आपको प्रमोट कर अचानक एसीएस से जब सीएस बना दिया गया, तो बहुत तरह की बातें हुईं? राजीव स्वरूप : सीएस इन वजहों से बनते हैं क्या? सीएस गवर्नेंस के लिए बनाया जाता है। मुझे तो आदेश के बाद पता चला कि मुझे सीएस बनाया गया है। सीएस बनाए जाने को इस रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। कोविड के दौरान मैं एसीएस होम था। पूरा स्टेट संभाला था। सीएम स्तर पर मेरा मैनेजमेंट और काम देखा गया था। कलेक्टर-एसपी को लगातार गाइड किया। खाना-दवाएं घर तक पहुंचाईं। सरकारी मशीनरी को मैंने ऐसे चलाया था कि राजस्थान का उदाहरण देश में गूंज रहा था। टैपिंग केस से मेरा कोई लेना-देना नहीं है।
2. एनएल मीणा ने कहा- पूछताछ करें, कोई दिक्कत नहीं
भास्कर : दिल्ली क्राइम ब्रांच फोन टैपिंग मामले में संबंधित अधिकारियों से पूछताछ कर सकती है? एन.एल. मीणा : पूछताछ करें, कोई दिक्कत नहीं है। कोई भी पूछताछ हो सकती है।
भास्कर : पिछली सरकार में जनप्रतिनिधियों के फोन टैप हुए, तब आप होम सेक्रेटरी थे। क्या होम डिपार्टमेंट को जानकारी थी? एन.एल. मीणा : न..न…न…। ये जानकारी होम डिपार्टमेंट को नहीं थी। जहां तक मुझे याद है…जन प्रतिनिधियों के फोन टैपिंग को लेकर हमने कभी कोई परमिशन नहीं दी।
भास्कर : टैपिंग को लेकर होम डिपार्टमेंट की क्या भूमिका रहती है?
एन.एल. मीणा : जनप्रतिनिधियों के अलावा बात करें, तो किसी मामले में जब इन्वेस्टीगेशन एजेंसी इजाजत मांगती है, तो होम डिपार्टमेंट प्रस्ताव का परीक्षण कर मंजूरी दे सकता है। मंजूरी के बाद इन्वेस्टीगेशन एजेंसी ही फोन की टैपिंग करती है। अब एजेंसी ने क्या रिकॉर्ड किया और क्या रिकॉर्ड हुआ, होम डिपार्टमेंट पूछताछ नहीं करता।
होम डिपार्टमेंट केवल ये चेक करता है कि जितने टाइम तक अनुमति दी गई है, उसके बियोंड (अधिकार से बाहर) जाकर इंटरसेप्ट (टैपिंग) तो नहीं किया जा रहा। मतलब, अधिकतम 180 दिन तक ही किसी का फोन इंटरसेप्ट किया जा सकता है। होम डिपार्टमेंट ये जांच सकता है कि निर्धारित समय सीमा के बाहर जाकर तो टैपिंग नहीं हो रही।3.
3. भूपेंद्र सिंह यादव ने कहा- इसकी बिल्कुल जानकारी नहीं
भास्कर : क्या फोन टैपिंग की जानकारी आपको थी। लोकेश शर्मा ने उच्च अधिकारियों का जिक्र किया है? भूपेंद्र सिंह यादव : देखिए, लोकेश शर्मा के मामले में क्या चल रहा है, मुझे इसकी जानकारी बिल्कुल भी नहीं है। राजनीतिक मामलों में हम जैसों का बोलना उचित नहीं है। अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से बंधे होते हैं और अपना काम करते हैं। मैं केवल इतना कह सकता हूं।
4. डीबी गुप्ता बोले- मेरे समय का नहीं है ये मामला
भास्कर : लोकेश शर्मा ने आरोप लगाए हैं कि टैपिंग को लेकर तत्कालीन अधिकारियों को जानकारी थी।
डी.बी. गुप्ता : एक्चुअली, मेरे समय का नहीं है ये मामला। मेरे बाद का है, इसलिए मेरे को मालूम नहीं है। मैं 2 जुलाई, 2020 तक था और उस समय तक तो ऐसा कुछ नहीं हुआ था। ये जस्ट उसके बाद का है।
5. रोहित कुमार सिंह से सवाल-जवाब
भास्कर : लोकेश शर्मा जिस समय फोन टैपिंग का दावा कर रहे हैं, तब आप भी करीब डेढ़ महीने गृह विभाग में एसीएस रहे?
रोहित कुमार सिंह : इस मामले में मेरा कुछ भी बोलना ठीक नहीं है।
भास्कर : चर्चा ये भी चलती आई है कि उस दौरान आप कुछ मुद्दों पर सहमत नहीं थे, इसलिए…
रोहित कुमार सिंह : देखिए, मामला कोर्ट में है और मैं आपको पहले ही कह चुका हूं कि मेरा बोलना बिलकुल भी ठीक नहीं है।
डीबी गुप्ता और राजीव स्वरूप को लेकर आधी रात को निकले थे ऑर्डर
राजस्थान की पिछली गहलोत सरकार ने 2 जुलाई, 2020 की रात को अचानक ब्यूरोक्रेसी का स्वरूप बदल दिया था। डीबी गुप्ता को रिटायर होने से पहले हटाकर तत्कालीन एसीएस होम राजीव स्वरूप को नया सीएस बनाया था। डी.बी. गुप्ता का तीन महीने बाद रिटायरमेंट था और सूची में उन्हें कोई पद नहीं दिया गया था। वहीं, रिटायर होने से चार महीने पहले ही राजीव स्वरूप को सीएस बना दिया गया था। अचानक हुए इस बड़े बदलाव ने सभी को चौंका दिया था।
तबादलों को लेकर भास्कर ऐप पर पब्लिश हुई खबर का स्क्रीनशॉट
इधर, चिकित्सा विभाग को संभाल रहे रोहित कुमार सिंह को एसीएस होम बनाया गया था। इस तबादला सूची में डीबी गुप्ता, राजीव स्वरूप, रोहित कुमार सिंह के साथ 103 IAS शामिल थे। हालांकि डीबी गुप्ता को तीन दिन बाद सीएम एडवाइजर लगा दिया गया। करीब डेढ़ महीने बाद रोहित कुमार सिंह एसीएस होम के पद से हट गए।
किसकी परमिशन से होती है फोन टैपिंग, जानते हैं पूरा प्रोसेस
भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 की धारा 5(2) के अनुसार, कोई भी सार्वजनिक आपातस्थिति (देश या राज्य की सुरक्षा, जन सुरक्षा, अतंकी घटना या दंगों की आशंका व उसे रोकने, सरकार को अस्थिर करने की साजिश, तस्करी जैसे गम्भीर अपराध रोकने आदि) होने पर या जन सुरक्षा के हित में केंद्र या राज्य सरकार द्वारा फोन टैपिंग की जा सकती है। कानून में स्पष्ट किया गया है कि इंटरसेप्शन का आदेश तभी दिया जाना चाहिए जब जांच एजेंसी के पास सूचना प्राप्त करने का कोई अन्य तरीका बचा ही न हो।
सरकारी गवाह बन सकते हैं लोकेश, क्या है पूरा मामला
राजस्थान में सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय जुलाई 2020 में गहलोत सरकार पर बीजेपी ने फोन टैपिंग के आरोप लगाए थे। सरकार ने विधानसभा में दिए जवाब में भी यह बात मानी थी कि लोकेश शर्मा ने ऑडियो सोशल मीडिया से लेकर वायरल किया था। इसके बाद मार्च 2021 में गजेंद्र शेखावत ने केस दर्ज करवाया था। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच इस मामले में जांच कर रही है। इस मामले में लोकेश शर्मा को हाल ही में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। हालांकि उन्हें जमानत मिल गई। अब चर्चा है कि लोकेश शर्मा फोन टैपिंग केस में सरकारी गवाह बन सकते हैं।
लोकेश शर्मा ने क्राइम ब्रांच में दिए बयानों में कहा था – फोन टैपिंग में मेरी कोई भूमिका नहीं है। अशोक गहलोत ने ही मुझे पेन ड्राइव में ऑडियो क्लिप देते हुए कहा था कि इसे मीडिया में भेज दो। मेरी फोन टैपिंग में कोई भूमिका नहीं है। अब इस मामले में जो कुछ बता सकते हैं, वह गहलोत ही बता सकते हैं। अब अशोक गहलोत से क्राइम ब्रांच पूछताछ करे। इसे लेकर लोकेश शर्मा ने अपना फोन, पेन ड्राइव और कुछ सबूत भी दिल्ली पुलिस को दिए थे।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ उनके पूर्व OSD लोकेश शर्मा (बाएं)।
दिल्ली क्राइम ब्रांच से पूछताछ में लोकेश शर्मा ने दिल्ली क्राइम ब्रांच को दिए बयानों में ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया से मिलने की बात कही थी। बाद में लोकेश ने गहलोत के खिलाफ स्टैंड लेते हुए बयान बदल दिए।
लोकेश ने मीडिया से कहा था – क्राइम ब्रांच को भी यही बयान दूंगा कि फोन सर्विलांस पर थे
लोकेश शर्मा ने 2020 के फोन टैपिंग मामले में मीडिया के सामने कहा था कि 16 जुलाई 2020 को तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत होटल फेयरमोंट आए थे। उनके होटल से निकलने के एक घंटे बाद मेरे पास गहलोत के पीएसओ रहे रामनिवास का कॉल कर कहा था- सीएम ने आपको बुलाया है। मैं पिंक हाउस पहुंचा तो गहलोत जी मेरा इंतजार कर रहे थे। गहलोत ने मुझे एक प्रिंटेड कागज और एक पेन ड्राइव दी। उसमें तीन ऑडियो क्लिप थी, जिसमें विधायकों की खरीद-फरोख्त की बात थी।
पूर्व मुख्यमंत्री के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा मीडिया के सामने पैन ड्राइव दिखाते हुए इसे बड़ा सबूत बताया था।
लोकेश शर्मा ने कहा था- ऑडियो को वायरल करने के बाद भी, जब तक खबर नहीं आई। गहलोत ने मुझे दो बार वॉट्सऐप कॉल कर पूछा- न्यूज में चला क्यों नहीं। जैसे ही खबर आई तो मुझे पता चला कि ऑडियो क्लिप में क्या है। मुझे सिर्फ डायरेक्शन दिए गए, जिसकी मैंने पालना की थी।
लोकेश शर्मा ने कहा था- जैसे ही अशोक गहलोत को पता चला कि पायलट कुछ विधायकों के साथ आलाकमान से मिलने जा रहे हैं, उन्होंने सारा षड्यंत्र रचा था। जो लोग उनके (सचिन पायलट) साथ गए थे, उनके फोन सर्विलांस पर थे। सभी को ट्रैक किया जा रहा था। इसमें पायलट भी शामिल थे। सभी का मूवमेंट पता किया जा रहा था।