प्रदेश में सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे युवा भर्ती परीक्षाओं में देरी से निराश हैं। कर्मचारी चयन मंडल (ईएसबी) समय से भर्ती परीक्षाएं नहीं करा पा रहा है। इस साल अब तक सिर्फ दो परीक्षाएं हुई हैं, जबकि तय शेड्यूल के मुताबिक नवंबर तक 8 परीक्षाएं होनी थी
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लंबे समय से परीक्षाओं की तैयारी कर रहे इन अभ्यर्थियों का कहना है कि ईएसबी शेड्यूल तो जारी कर देता है, पर परीक्षाएं न होने से कॅरियर बर्बाद हो रहा है। हाल ये है कि 2017 से सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा आयोजित नहीं हुई। महिला सुपरवाइजर की परीक्षा भी नहीं हुई।
ईएसबी के तय शेड्यूल के मुताबिक नवंबर मे ही दो रिक्रूटमेंट टेस्ट होने थे, पर एक भी नहीं हुआ। कहा गया कि प्राइमरी स्कूल एलिजिबिलिटी टेस्ट की वजह से अन्य परीक्षा नहीं हो सकतीं, क्योंकि परीक्षा केंद्र सहित अन्य संसाधन नहीं हैं।
…जबकि रोजगार पोर्टल पर 26 लाख से ज्यादा बेरोजगार
और देरी के बहाने…
1 बड़ी परीक्षाओं के लिए सेंटर नहीं मिल रहे। 2 संबंधित विभाग पद संख्या नहीं दे रहे। 3 पद संख्या न होने से रूल बुक में दिक्कत।
डायरेक्टर बोले- 4 माह में सभी परीक्षाएं करा लेंगे… ‘जो परीक्षाएं अब तक नहीं हो सकी हैं, उसे लेकर तेजी से काम चल रहा है। दिसंबर-जनवरी में भी परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी। कुछ विभागों से पद संख्या भी मांगी गई है।’ –साकेत मालवीय, डायरेक्टर, ईएसबी
एक्सपर्ट : अगर परीक्षा समय से न हो तो आयुसीमा में छूट दी जाए
मप्र रोजगार पोर्टल पर ही साढ़े 26 लाख युवा दर्ज हैं। कर्मचारी चयन मंडल की परीक्षाएं समय से न होने से हर साल दो लाख से ज्यादा अभ्यर्थी ओवरएज हो रहे हैं। देश में सभी परीक्षाएं, परीक्षा अधिनियम 1937 के तहत होती हैं। इसके मुताबिक हर साल भर्ती परीक्षा होनी चाहिए।
अगर परीक्षा नहीं होती है तो अभ्यर्थियों को आयु सीमा में छूट मिलनी चाहिए, क्योंकि इसमें गलती संबंधित बोर्ड की है, अभ्यर्थियों की नहीं। कम पद हैं, तब भी परीक्षा आयोजित करनी चाहिए। चयन बोर्ड बनाए ही इसलिए जाते हैं कि वे परीक्षाएं लें। अगर परीक्षाएं नहीं होंगी तो बेरोजगारी बढ़ेगी, युवाओं में अवसाद बढ़ेगा। सामान्य परिवारों के जो युवा साल दर साल तैयारी कर रहा है, वह कहां जाएगा?’ -डॉ. एचएस त्रिपाठी, शिक्षाविद् और पूर्व रजिस्ट्रार, बीयू