हरिद्वार23 मिनट पहले
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हम आज जो कुछ हैं, वह अपने ही संकल्प, विचार और सोच की वजह से हैं। हम जैसा सोचते हैं, वैसे बनते जाते हैं। जैसा हमारा संकल्प होगा, वैसी ही सिद्धियां हमें मिलेंगी। हम में अनंत शक्ति, अतूल्य तेज और अपूर्व सामर्थ्य है। इसलिए स्वयं के साथ रहें, जो जितना स्वयं के निकट रहता है, वो उतना ही बलवान है। उपासना का अर्थ है अपने निकट और अपने स्वभाव में रहना।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए जीवन में शांति कैसे मिल सकती है?
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