Saturn will remain in Aquarius till 29th March, shani kumbh rashi me, shani transit in aquarius | शनि 29 मार्च तक रहेगा कुंभ राशि में: शनिदेव देते हैं हमारे कर्मों के फल, भगवान शिव ने बनाया था शनि को ग्रहों का न्यायाधीश

1 घंटे पहले

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इस सप्ताह शनि ने कुंभ राशि में अपनी चाल बदली है, शनि वक्री से मार्गा हो गया है। अब ये ग्रह आगे की ओर बढ़ेगा और 29 मार्च को कुंभ से मीन राशि में प्रवेश करेगा। शनि की चाल बदलने का असर सभी 12 राशियों पर होगा। जिन लोगों की राशि के लिए मार्गी शनि शुभ नहीं है, उन लोगों को हर शनिवार शनिदेव का तेल से अभिषेक करना चाहिए।

शनि सूर्य के पुत्र हैं। इनके जन्म से जुड़ी कथा के मुताबिक सूर्य की पत्नी का नाम संज्ञा है। यमराज-यमुना सूर्य और संज्ञा की संतान हैं। संज्ञा सूर्य का तेज सहन नहीं कर पा रही थीं तो उन्होंने अपनी छाया को सूर्य की सेवा में नियुक्त कर दिया और स्वयं सूर्य से दूर रहने चली गईं। कुछ समय बाद सूर्य और छाया की संतान के रूप में शनि देव का जन्म हुआ। माना जाता है कि छाया भी सूर्य का तेज सहन नहीं कर पाती थीं, सूर्य के सामने आते ही छाया ने अपनी आंखें बंद कर ली थीं, इस वजह से छाया की संतान यानी शनि देव श्याम वर्ण (काले) हैं।

भगवान शिव ने शनि को बनाया न्यायाधीश

शनि के जन्म के बाद सूर्य देव को जब छाया के बारे में मालूम हुआ कि ये उनकी पत्नी संज्ञा की छाया है तो वे बहुत क्रोधित हुए, उन्होंने छाया का अपमान कर दिया। अपनी माता का अपमान देखकर शनि सूर्य से क्रोधित हो गए। इसके बाद से शनि सूर्य को शत्रु मानने लगे। शनि ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए घोर तप किया। तप से प्रसन्न होकर शिव जी शनि के सामने प्रकट हुए। शिव जी शनि से वर मांगने के लिए कहा तो शनिदेव ने वर मांगा कि उन्हें सूर्यदेव के समान ऊंचा पद चाहिए, ताकि वे सूर्य का अहंकार तोड़ सके। शिव जी ने शनि को ग्रहों का न्यायाधीश नियुक्त दिया। इसके बाद से शनि को नौ ग्रहों में सूर्य के समान माना जाता है। शनि हमारे कर्मों का फल प्रदान करने वाले देवता है, इस कारण शनि पूजनीय बन गए और अन्य ग्रहों की अपेक्षा शनिदेव के भक्त काफी अधिक हैं।

ये हैं शनिदेव से जुड़ी खास बातें

  • शनि का एक नाम श्नैश्चर है यानी धीरे चलने वाला ग्रह। शनि बहुत धीमी गति से चलता है, इस कारण ये ग्रह एक राशि में करीब ढाई साल रुकता है।
  • शनि ग्रह मकर और कुंभ राशि के स्वामी है। कुंडली में शनि तुला राशि में उच्च का रहता है और मेष राशि में नीच का रहता है।
  • ज्योतिष में शनि की साढ़ेसाती और ढय्या को बहुत प्रभावी माना जाता है। साढ़ेसाती में शनि का एक राशि पर साढ़ेसात साल तक सीधा असर होता है। ढय्या ढाई साल की होती है।
  • शनिदेव उन लोगों के लिए शुभ रहते हैं जो परिश्रमी हैं, अनुशासन में रहते हैं और धर्म का पालन करते हैं।
  • शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए हर शनिवार सरसों का तेल, काले तिल, जूते-चप्पल का दान करना किया जाता है।

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