बालोद जिले में धान खरीदी जारी है। अब तक 5 लाख हजार मीट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है। धान खरीदी के बाद प्रमुख विषय है कस्टम मिलिंग, लेकिन अब तक कस्टम मिलिंग नीति को लेकर राइस मिलर्स ने अपनी सहभागिता नहीं जताई है।
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राइस मिलर्स संगठन की माने तो वर्ष 2021 से कस्टम मिलिंग की राशि अभी तक पेंडिंग है जो लगभग 200 करोड़ के आसपास है। राइस मिलर्स संगठन का कहना है कि हमें हर महीने लाखों रुपए ब्याज उसे राशि के एवज में भरना पड़ रहा है।
उनका कहना है कि मिलिंग चार्ज पर प्रति क्विंटल 120 रुपए से घटकर 60 रुपए कर दिया गया है। परिवहन का भाड़ा भी कम कर दिया गया है। ऐसे में हम काम कर पाने में असमर्थ हैं।
राइस मिलर्स संगठन के प्रेसिडेंट ताराचंद सांखला ने बताया कि हम लगातार अपने संबंधित अधिकारियों और हमारे संगठन द्वारा उच्च अधिकारियों से भी बातचीत की जा रही है, परंतु अब तक कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है।
आगे उन्होंने बताया कि मिलिंग पॉलिसी को सुधारने को लेकर चर्चा जारी है। अभी तक हम कम न कर पाने की हालत में हैं। उन्होंने कहा कि बैंक से हमें आगे पैसा नहीं दिया जा रहा है। बार-बार नोटिस आ रहा है और हमारी मानसिक स्थिति भी खराब हो रही है क्योंकि हमें काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है।
बालोद जिले के जिला विपणन अधिकारी सौरभ भारद्वाज कस्टम मिलिंग के लिए रास्ता निकाल पाने की बात पर कहा कि यह शासन स्तर का मामला है और यदि मिलर्स धान को नहीं उठाते हैं तो हमने जिले के चार धान संग्रहण केंद्र जो 2 वर्षों से बंद थे उसे भी शुरू कर रहे हैं। इन जगहों पर हम 27 लाख क्विंटल तक धान का स्टोरेज कर सकते हैं। व्यवस्थाएं सुचारू रूप से संचालित हो इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है।