झारखंड में 81 सीटों के लिए वोटिंग खत्म हो गई है। 23 नवंबर को रिजल्ट आएगा।
झारखंड विधानसभा का चुनाव बुधवार को खत्म हो गया। 23 नवंबर को पता चलेगा कि हेमंत सोरेन सरकार वापस लौटेगी या भाजपा का सत्ता का वनवास खत्म होगा। कई चर्चित चेहरों की किस्मत खुलेगी या बंद रहेगी?
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इसको जानने के लिए भास्कर ने रिपोर्टर्स और एक्सपर्ट से हवा का रुख जानने का प्रयास किया। लोगों से बातचीत के बाद समझ आया कि कुछ सीटों को छोड़ दिया जाए तो सभी जगह कांटे की टक्कर है। जानिए, राज्य के चर्चित 15 सीटों पर क्या है हवा का रुख…
बरहेटः हेमंत की धमाकेदार जीत हो सकती है
बरहेट से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एक बार फिर मैदान में हैं। उनके सामने भाजपा ने अंतिम समय में गमालियल हेंब्रम को उतारा। 2019 में सोरेन ने 52% वोट पाया था। इस बार भी कमोबेश वही स्थिति रहेगी। आसानी से चुनाव जीत सकते हैं।
पत्नी कल्पना सोरेन के साथ सीएम हेमंत सोरेन। (फाइल फोटो)
हेमंत के पक्ष में क्या…
- यहां चुनाव जीतने के लिए तीर-धनुष ही काफी है। सुबह से ही महिलाओं की लंबी कतार दिखी।
- भाजपा ने कमजोर प्रत्याशी को उतारा। कोई घेराबंदी नहीं की।
गांडेयः 2024 उपचुनाव के रिजल्ट को दोहरा सकती हैं कल्पना
गिरिडीह के गांडेय सीट से झामुमो ने सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन को उतारा है। भाजपा की मुनिया देवी उनके सामने हैं। हवा का रुख बता रहा है कि कल्पना 2024 उपचुनाव के रिकार्ड को दोहरा सकती हैं। हालांकि, मुनिया देवी की स्थानीय स्तर पर पकड़ मजबूत है। वह जिला परिषद अध्यक्ष भी हैं।
कल्पना के पक्ष में क्या गया…
- आदिवासी और मुस्लिम वोटरों की संख्या ज्यादा है। वोटिंग के प्रति उत्साह भी सबसे ज्यादा था।
- मुनिया देवी पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। एक साल पहले ही भाजपा में शामिल हुईं है। इस वजह से ज्यादा कार्यकर्ताओं से मिल नहीं पाई हैं।
सरायकेलाः जीत सकते हैं चंपाई सोरेन
सरायकेला में इस बार हवा का रुख पहले की तरह चंपाई सोरेन की तरफ जाता दिख रहा है। वह रुझानों में जीतते दिख रहे हैं। हालांकि, इस बार उनका सिंबल तीर-धनुष ना होकर कमल रहेगा।
धनवारः निरंजन के पलटने से मरांडी की राह आसान
धनवार सीट से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी मैदान में हैं। उनके सामने भाकपा माले के राजकुमार यादव और झामुमो के निजामुद्दीन अंसारी हैं। तीनों के बीच त्रिकोणीय लड़ाई है। हालांकि, वोटिंग से 4 दिन पहले हुए घटनाक्रम ने मरांडी को बढ़त में ला दिया है। कांटे की टक्कर में बाजी बाबूलाल मरांडी मार सकते हैं।
घाटशिलाः हार सकते हैं चंपाई के बेटा बाबूलाल सोरेन
घाटशिला में भाजपा ने पूर्व सीएम चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन को टिकट दिया है। उनके सामने झामुमो ने वर्तमान विधायक और मंत्री रामदास सोरेन को ही उतारा। चंपाई जब भाजपा में गए तो हेमंत सोरेन ने उन्हें मंत्री बना दिया। चुनाव में यह उनके लिए फायदेमंद साबित होता दिख रहा है।
रामदास सोरेन के पक्ष में क्या गया…
- चुनाव से पहले मंत्री पद मिलने से उनका रुतबा बढ़ा। मिलनसार स्वभाव और लोगों की आसानी से पहुंच।
- प्रतिद्वंदी बाबूलाल सोरेन की व्यक्तिगत छवि।
पोटकाः कांटे की टक्कर, झामुमो के संजीव सरदार को ऐज
पोटका में भाजपा ने पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा को चुनाव मैदान में उतारा है। उनके सामने वर्तमान विधायक संजीव सरदार है। हवा का रुख बता रहा है कि सीट पर कांटे की टक्कर है। अर्जुन मुंडा के कद के कारण मीरा फाइट में हैं, लेकिन संजीव सरदार को बढ़त है।
मीरा के विपक्ष में क्या गया….
- सरदार बहुल सीट पर मुंडा को उतारा गया। जातीय समीकरण नहीं बैठ पाया।
- स्थानीय नहीं होना। लोगों का कहना है कि जीतने के बाद वे यहां नहीं रहेंगी।
जमशेदपुर पूर्वीः रघुवर दास की बहू पूर्णिमा को ऐज
जमशेदपुर पूर्वी सीट से भाजपा ने पूर्व सीएम और ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास को उतारा है। उनके सामने कांग्रेस के डॉ अजय कुमार हैं। वहीं, भाजपा के एक बागी शिवशंकर सिंह भी चुनावी मैदान में है। इससे लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है।
हवा का रुख बता रहा है कि अगर शिवशंकर सिंह नहीं होते तो यहां भाजपा आसानी से जीत जाती। लेकिन अभी टफ फाइट है। हालांकि, पूर्णिमा को थोड़ा ऐज है। अगर जीतती हैं तो मार्जिन बहुत कम होगी।
पूर्णिमा के पक्ष में क्या गया…
- रघुवार दास की अपनी पैठ और भाजपा का कैडर।
- कांग्रेस के कमजोर प्रत्याशी का लाभ भी पूर्णिमा को मिलता दिख रहा है।
- उनके विपक्षी अजय कुमार लोगों से कनेक्ट नहीं कर पाए।
जमशेदपुर पश्चिमीः कांटे की टक्कर में फंसे सरयू राय, बाबर बचाएंगे
जमशेदपुर पश्चिमी से NDA की तरफ से सरयू राय की भिड़ंत कांग्रेस के बन्ना गुप्ता से है। पिछला चुनाव राय जमशेदपुर पूर्वी से लड़े थे। वहां उन्होंने तत्कालीन सीएम रघुवर दास को हराया था। इस बार उनकी सीट कांटे की टक्कर में फंसती दिख रही है। हालांकि, निर्दलीय बाबर खान के कारण सरयू को थोड़ा ऐज हैं। जीत सकते हैं।
जगन्नाथपुरः आसानी से जीत सकती हैं मधु कोड़ा की पत्नी गीता
भाजपा ने जगन्नाथपुर से पूर्व सीएम गीता कोड़ा को टिकट दिया है। वहां पर उनके सामने कोड़ा के ही विश्वासपात्र रहे सोनाराम सिंकू कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। यह सीट कोड़ा परिवार की परंपरागत सीट है।
इस बार भी ये सीट बरकरार रह सकती है। पिछले चुनाव में कोड़ा परिवार ने ही सिंकू को लड़ाया और जीताया था। हवा का रुख बता रहा है कि अबकी बार गीता कोड़ा आसानी से जीत सकती हैं।
रांचीः टफ फाइट में फंसा सीपी सिंह का चुनाव, अंत में मार सकते हैं बाजी
रांची से भाजपा के दिग्गज सीपी सिंह के सामने झामुमो की राज्यसभा सांसद महुआ माजी है। आखिरी चुनाव के नाम पर जनता के बीच जाने वाले सिंह की सीट पर कांटे की टक्कर है। हवा का रुख बता रहा है कि सीट पर सिंह को अभी ऐज तो है, लेकिन कुछ भी सकता है। शहरी वोटरों में भाजपा की पकड़ का लाभ मिल रहा है।
टफ फाइट क्यों…
- आदिवासी वोटरों का झामुमो की तरफ एकतरफा रुझान।
- बंगाली वोटरों का महुआ की तरफ झुकाव।
सिल्लीः त्रिकोणीय लड़ाई में जीत सकते हैं सुदेश महतो
आजसू प्रमुख सुदेश महतो सिल्ली से एक बार फिर मैदान में हैं। उनके सामने झामुमो के अमित महतो हैं। हालांकि, इस बार जयराम महतो की पार्टी की एंट्री ने लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया है। इसमें सुदेश महतो अपने अनुभव का इस्तेमाल कर बाजी मार सकते हैं।
सुदेश के पक्ष में क्या गया…
- सीट पर सीधी ना होकर लड़ाई त्रिकोणीय हो गई। भाजपा का पूरा समर्थन मिला।
- धनबल और चुनाव लड़ने का पुराना अनुभव काम आया। उनका अपना कैडर भी एकजुट रहा।
जामताड़ाः इरफान की राह आसान
जामताड़ा सीट पर हेमंत सरकार के मंत्री डॉ. इरफान अंसारी कांग्रेस के टिकट पर मैदान में है। उनके सामने शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन हैं। हवा का रुख बता रहा है कि पलड़ा इरफान का भारी है। वह चुनाव जीतते दिख रहे हैं।
चंदनकियारीः पीएम ने अमर बाउरी को लड़ाई में लाया, जीत सकते हैं
चंदनकियारी से भाजपा के नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी मैदान में हैं। उनके सामने चुनाव से पहले आजसू छोड़ झामुमो में शामिल हुए पूर्व विधायक उमाकांत रजक हैं। पीएम की रैली से पहले तक बाउरी लड़ाई में नहीं थे, लेकिन उसके बाद माहौल बदला है। लगातार बड़े नेताओं के दौरे ने उनको लड़ाई में ला दिया है। लड़ाई कांटे की है। अंत में भाजपा जीत सकती है।
क्यों हैं कांटे की लड़ाई…
- अमर बाउरी के प्रति लोगों की नाराजगी थी, लेकिन बाद में भाजपा के बड़े नेताओं ने कवरअप किया।
- उमाकांत रजक का व्यक्तिगत प्रभाव और झामुमो-कांग्रेस का भरपूर समर्थन। बाउरी के प्रति एंटी इनकंबेंसी।
झरियाः दोनों तरफ सहानुभूति की जंग, कोई भी मार सकता है बाजी
झरिया में एक बार फिर देवरानी-जेठानी के बीच जंग हैं। भाजपा ने सिंह मेंशन की बहू रागिनी को उतारा है तो कांग्रेस ने उसी परिवार की पूर्णिमा सिंह को। दोनों ने चुनाव जीतने के लिए हर तरीके को अपनाया है। सहानुभूति का जवाब सहानुभूति से दी गई है। वोटिंग खत्म होने के बाद भी कोई नहीं कह सकता कि किसका पलड़ा भारी है। झारखंड की सभी सीटों में इस सीट पर सबसे कड़ी टक्कर है। यहां अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है।
कांटे की टक्कर
- 2019 में चुनाव में हारने के बाद भी रागिनी झरिया में एक्टिव रहीं। अपने मजदूर यूनियन को भी एक्टिव रखा। सहानुभूति की बातें भी की।
- चुनाव के शुरू में पूर्णिमा अपने ओरेगेंस के कारण पीछे चल रही थी। बाद में उन्होंने जबर्दस्त कमबैक किया। झामुमो का समर्थन और मंईया योजना भी उनको लड़ाई में वापस लाई।
डुमरीः चौंका सकते हैं जयराम महतो, लेकिन सिंपैथी के कारण झामुमो को बढ़त
गिरिडीह के डुमरी में त्रिकोणीय लड़ाई है। झामुमो से दिवंगत जगरनाथ महतो की पत्नी बेबी देवी है। आजसू ने यशोदा देवी को उतारा है। वहीं, इस सीट पर झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) सुप्रीमो जयराम महतो भी अपना भाग्य अजमा रहे हैं।
जयराम का युवाओं के बीच जबर्दस्त क्रेज है। उन्होंने शुरू में लड़ाई को त्रिकोणीय बनाया। हालांकि, चुनाव का टाइम जैसे-जैसे नजदीक आया लड़ाई सीधी होती गई। चुनाव के दिन तक झामुमो और जयराम के बीच कांटे की टक्कर देखी गई। इसमें झामुमो को थोड़ा ऐज है। अंत में बाजी बेबी देवी मार सकती हैं।
कांटे की टक्कर में टाइगर
- वोटिंग क्षेत्रीय और जातीय अस्मिता के बीच हुई। इसमें युवाओं के बीच जयराम को फायदा मिल सकता है। नौकरी और रोजगार को लेकर सरकार पर हमलावर दिखे।
- बेबी देवी को अपने पति दिवंगत जगरनाथ महतो के कैडर का फायदा मिल रहा है। आदिवासी वोटर उनको प्लस में कर रहा है।