HC asked the government- what is the policy for multi-storey flats | HC ने सरकार से पूछा-बहुमंजिला-फ्लैट्स के लिए क्या पॉलिसी है: पीआईएल में गांधी नगर स्थित ओल्ड एमआरईसी कैंपस पर बन रही बिल्डिंग को दी चुनौती – Jaipur News


हाईकोर्ट ने प्रदेश के शहरों में बसी पुरानी कॉलोनियों में बेतरतीब तरीके से बन रहे बहुमंजिला फ्लैट्स और जयपुर में गांधीनगर जजेज निवास के पास प्रस्तावित ओल्ड एमआरईसी कैंपस व अधिकारी आवास की 17000 वर्ग मीटर भूमि में बहुमंजिला बिल्डिंग को चुनौती देने वाली

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हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करके पूछा है कि उनकी शहरों में बन रहे बहुमंजिला फ्लैट्स के निर्माण को लेकर क्या पॉलिसी है। जस्टिस इन्द्रजीत सिंह व आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह निर्देश बादल वर्मा की पीआईएल पर दिया।

सरकारी संपत्ति की बंदरबाट हो रही याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉ. अभिनव शर्मा ने बताया कि गांधीनगर स्थित जजों के आवास के पास सरकारी अफसरों के निवास के पुनर्वास के नाम पर सरकारी संपत्ति की बंदरबाट की जा रही है और इससे राज्य सरकार को 1400 करोड़ रुपए का नुकसान होगा।

गांधीनगर में पुनर्विकास की आड़ में प्रथम चरण में 18 से 19 मंजिला 6 टावर बनाने का निर्णय लिया है। इसमें से दो टावर की सभी यूनिटों को बेचा जाएगा। टोंक रोड से गांधी सर्किल जाने वाली रोड पर दो फ्लोर में व्यावसायिक गतिविधियों भी प्रस्तावित है और इसमें जिम सहित अन्य गतिविधियां शामिल हैं। इन दो टावर्स को 8,000 रुपए की आरक्षित दर पर बेचना प्रस्तावित है। इसमें भी सरकारी अफसरों को 15 फीसदी की छूट दी जाएगी। जबकि इस रोड पर सरकार ने ही 73 हजार रुपए की न्यूनतम दर आरक्षित की है।

इस मामले में पूर्व में जब स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया था तो एजी ने कहा कि ऐसे किसी प्रोजेक्ट का निर्माण नहीं हुआ है। जबकि इस योजना का अनुमोदन ही सीएम ने किया है। तब खंडपीठ ने माना था कि रिकार्ड पर ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है। जिससे कि साबित हो कि ओल्ड एमआरईसी कैंपस में बहुमंजिला बिल्डिंग बन रही है। खंडपीठ ने याचिका में सुनवाई बंद करते हुए कहा था कि यदि इसके तथ्य आएं तो मामले को दुबारा देखा जा सकता है। सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से प्रोजेक्ट की डीपीआर रिपोर्ट व अन्य नोटशीट सहित सीएम के अनुमोदन की बात बताई। जिस पर अदालत ने राज्य सरकार से मामले में जवाब देने के लिए कहा।

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