The family reached Alirajpur to take the body of ASI | अलीराजपुर पहुंचे ASI का शव लेने परिजन: दोनों बेटे एक-दूसरे को देते रहे दिलासा; सुसाइड से पहले पोते से बात करना चाहते थे – alirajpur News

गुरुवार को 34वीं वाहिनी बटालियन अलीराजपुर कैंप में पदस्थ एएसआई खुद को गोली मार कर आत्महत्या करने वाले रवींद्र परमार का शुक्रवार सुबह 10 बजे अलीराजपुर जिला चिकित्सालय में पोस्टमॉर्टम किया गया। उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार को इंदौर में किया जाएगा। उनका

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पोस्टमॉर्टम के बाद उनका शव लेने पहुंचे उनके बड़े बेटे महेंद्र परमार से चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि उनके पिता रविंद्र परमार का वीडियो कॉल गुरुवार दोपहर 12:00 बजे के करीब उनकी माता के मोबाइल पर आया था। उनकी माता सब्जी लेने के लिए घर से बाहर गई हुई थी, कॉल महेंद्र परमार ने रिसीव किया था। अपने पिता से अंतिम बार हुई बात याद कर उनके बड़े बेटे महेंद्र की आंखों से आंसू छलक गए।

मृत एएसआई के दोनों बेटे पहुंचे पिता का शव लेने अलीराजपुर।

मृत एएसआई के दोनों बेटे पहुंचे पिता का शव लेने अलीराजपुर।

पोते से बात करना चाहते थे अंतिम बार

मृतक रविंद्र परमार ने कॉल पर अपने पोते बाबू के बारे में पूछा कहा है बाबू से बात करवा। महेंद्र ने बताया मम्मी के साथ नीचे सब्जी लेने गया है। बेटे महेंद्र से पूछा खाना खाया है या नहीं, फिर कहा मेरी ड्यूटी आज गांव में लगी है। इस वजह से नेटवर्क मिले या ना मिले मम्मी को बोल देना ड्यूटी खत्म होने के बाद कैंप में पहुंचकर बात करूंगा। बस यही आखिरी शब्द थे।

महेंद्र ने चर्चा में बताया कि पिताजी को किसी बात का कोई टेंशन नहीं था, उन्होंने हमारे सामने कभी कोई ऐसी बात नहीं कही कि, जिससे ऐसा लगे की उन्होंने यह कदम उठाया है। मृतक रविंद्र परमार के तीन पुत्र और पत्नी है। दो पुत्र की शादी हो चुकी है। तीनों बेटे किसी कंपनी में प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं।

पिता का शव लेने पहुंचा बेटा रोने लगा।

पिता का शव लेने पहुंचा बेटा रोने लगा।

साथियों ने बताया खुश मिजाज

रविंद्र परमार के साथियों से जब हमने उनके बारे में जानना चाहा तो उनके साथियों का कहना था कि वह बहुत खुश मिजाज व्यक्ति थे। कभी भी उन्होंने कोई समस्या की बात हमारे सामने नहीं की। गुरुवार को भी वे सुबह 5:45 पर ड्यूटी के लिए निकल गए। ड्यूटी खत्म कर हम अपने कैंप में खाना खाकर आराम कर रहे थे। तभी अचानक गोली चलने की आवाज आई बाहर जाकर देखा तो यह हादसा हो चुका था।

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