बिहार सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा संचालित बिहार अंजुमन तरक्की-ए-उर्दू के जिला कमेटी की बैठक शहर के पोखड़िया स्थित दार-ए-अरकम में मौलाना परवेज आलम मुजाहिरि की अध्यक्षता एवं मुंगेर विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य मो. रुहुल्ल्लाह के संचालन में
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बैठक में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि राज्य में उर्दू भाषा की उन्नति के लिए 30 नवंबर को बेगूसराय में जिलास्तर पर उर्दू बेदारी कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जाएगा। कॉन्फ्रेंस के मुख्य अतिथि बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष और बिहार अंजुमन तरक्की-ए-उर्दू के राज्य सचिव अब्दुल कय्यूम अंसारी होंगे।
बैठक में उपस्थित कमेटी के अधिकारी।
कमेटी के जिला सचिव और मुंगेर विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य मो.रुहुल्लाह ने बताया कि कई बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हस्तक्षेप पर बिहार के अपर मुख्य सचिव द्वारा राज्य में हिंदी के साथ-साथ उर्दू को राज्य की द्वितीय भाषा के रूप में सरकारी दफ्तरों में स्थापित करने का आदेश दिया गया था। लेकिन वह लागू नहीं हो सका।
निर्देश दिया गया था कि सरकारी कार्यालयों में संकेत पट्ट, पदाधिकारियों के नेमप्लेट, सरकारी योजनाओं के बैनर, उद्घाटन-शिलापट्ट पट्ट, होर्डिंग, सड़क, सार्वजनिक भवनों के नाम उर्दू में प्रदर्शित करें। सरकारी निमंत्रण पत्रों को भी हिन्दी के साथ-साथ उर्दू में प्रदर्शित करने के संबंध में पत्र जारी किया गया था।
आदेश सभी जिला पदाधिकारी, जिला उर्दू भाषा कोषांग, सभी अनुमंडल और प्रखंड विकास पदाधिकारी और सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को भेजा गया था। इसमें कहा गया कि राज्य सरकार हिंदी के साथ-साथ द्वितीय राजभाषा उर्दू के सफल कार्यान्वयन, प्रचार-प्रसार और प्रगति को ध्यान रखते हुए विभागीय अधिसूचना 17 अप्रैल 1981 के तहत संकेत पट्ट और नाम पट्ट को उर्दू में भी प्रदर्शित किया जाना है।
इसके बावजूद आदेश को पुख्ता तौर पर लागू नहीं किया गया। इसी परिपेक्ष्य में सरकार के आदेश को धरातल पर लाने के लिए जिले में उर्दू बेदारी कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जाएगा। बैठक में उपाध्यक्ष फजले अकबर, प्रवक्ता मो.कौनैन अली, सचिव कारी अरमान, नजरूल हक जामेई, उपसचिव अशरफ रहमानी, कोषाध्यक्ष मो.तकमिल, मो.शादाब, मो.अख्तर, मो.आरिफ, आफताब आलम, मजहरुल हक और मो.जहांगीर आदि उपस्थित थे।