प्रो. अमरीश गुप्ता का किया गया स्वागत।
पूरे विश्व में तेजी से उभरता एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR) एक बड़ा खतरा बन गया है। इससे भारत भी सुरक्षित नहीं है। समस्या कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रोगाणुरोधी प्रतिरोध वैश्विक स्तर पर हर साल 50 लाख जिंदगियों को समाप्त कर
.
अनुमान है कि अगले 27 वर्षों में एएमआर से होने वाली इन मौतों का आंकड़ा बढ़कर सालाना एक करोड़ पर पहुंच जाएगा। ऐसे में भारत को भी इस बढ़ते खतरे से निपटने के लिए तैयार रहने की जरूरत है। ये बात प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रेनु गुप्ता एंटीमाइक्रोबॉयल रेजिस्टेंस वीक पर एक कार्यशाला के दौरान कही।
कार्यशाला में मौजूद जीएसवीएस मेडिकल कॉलेज की प्रोफेसर।
सही अवधि के लिए सही एंटीबायोटिक का प्रयोग करें
इस कार्यशाला का उद्देश्य है कि रोगी कल्याण में संक्रमण के सटीक प्रबंधन के लिए सही समय पर सही अवधि के लिए सही एंटीबायोटिक का प्रयोग करना चाहिए। इस विषय पर डॉ. रेनु गुप्ता ने विस्तार से बताया।
इस कार्यशाला में फार्मोकोलॉजी गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज कन्नौज के प्रो. अमरीश गुप्ता ने बताया कि किस प्रकार एंटीबायोटिक के प्रति प्रतिरोध क्षमता कम होती जा रही हैं और किन-किन कारणों की वजह से यह हो रहा है, डॉक्टर को किस प्रकार सावधानी बरतते हुए एंटीबायोटिक प्रिसक्राइब करना चाहिए इस पर जोर दिया।
WHO की गाइड लाइन के बारे में बताया
इस समस्या से बचने के लिए WHO द्वारा बनाई गई गाइड लाइन के बारे में फार्माकोलॉजी विभाग कन्नौज की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. पारुल कमल ने बताया कि विभिन्न बीमारियों में किस एंटीबायोटिक को पहले और किसको सबसे अंतिम विकल्प बनाना चाहिए।
कार्यक्रम में ऑबस गायनी जीएसवीएम की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. करिश्मा शर्मा द्वारा महिलाओं में होने वाले विभिन्न प्रकार के संक्रमण में प्रयोग किए जाने वाले एंटीबायोटिक के बारे में बताया गया। इस कार्यक्रम में डॉ. श्रुति गुप्ता, प्रो. नीना गुप्ता, प्रो. सीमा द्विवेदी, प्रो. शैली अग्रवाल, प्रो. वंदना शर्मा।