हरिद्वार1 घंटे पहले
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धन, समय, ऊर्जा और जितने भी लौकिक-अलौकिक साधन हमें प्राप्त हैं, उनकी तीन ही गतियां हैं- भोग, दान और नाश। हमारे पास जो धन, समय और साधन हैं, उनका सही इस्तेमाल करना चाहिए और बचने के बाद इनका दान करना चाहिए। भारतीय संस्कृति अर्पण, तर्पण और समर्पण की बात कहती है, इसलिए दान करते रहना चाहिए। जो कुछ हमें प्राप्त है, उसे दूसरों के साथ बांटिए, वर्ना उसका नाश हो जाएगा।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए अपनी चीजों का दान क्यों करना चाहिए?
आज का जीवन सूत्र जानने के लिए ऊपर फोटो पर क्लिक करें।
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