पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करते हुए ‘सोच’(सोसाइटी फॉर कंजरवेशन एंड हीलिंग ऑफ एनवायरनमेंट) ने पर्यावरण संरक्षण और स्थायी विकास के लिए अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। 2010 में नेचर ट्री फाउंडेशन के रूप में स्थापित यह संगठन 2021 में सोच के रूप में पुन
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सोच पर्यावरण संरक्षण के कई पहलुओं पर काम करती है। संगठन की गतिविधियों में पर्यावरण संरक्षण मेले, नेचर वॉक, ट्री व फॉरेस्ट वॉक(किसी एक पेड़ के बारे में लोगों को बताना) जैसी गतिविधियां शामिल हैं। नेचर अवेयरनेस कैंप लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाने में सहायक हैं। इससे पहले सोच की टीम नेचर ट्री फाउंडेशन के तहत पंजाब के विरासती पेड़ों पर 14 वर्षों से काम कर रह उनकी संभाल भी कर रही है।
ब्ल्यू रूफ अवेयरनेस शो करवाएंगे
डॉ. बलविंदर सिंह लखेवाली ने बताया कि सोच के तहत पर्यावरण को लेकर अवेयरनेस के लिए ब्ल्यू रूफ अवेयरनेस शो आयोजित किया जाएगा। यह शो बठिंडा में 9 नवंबर को होगा और अपने आप में पहला ऐसा आयोजन होगा। शो का उद्देश्य पांच तत्वों के महत्व और इंसानों की गतिविधियों से पर्यावरण और सेहत पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों पर जागरूकता फैलाना है।
चार साल पहले, टीम ने यह महसूस किया कि पर्यावरण पर काम करने के लिए हर तत्व पर ध्यान देना आवश्यक है। इसके बाद सोच नामक नए प्लेटफॉर्म की शुरुआत की गई। जनवरी में बाग ए अदब नाम का एक नया प्रोजेक्ट लॉन्च करने की योजना है, जिसे सोच के एडवाइजर स्वर्गीय पद्मश्री डॉ. सुरजीत पातर की स्मृति में समर्पित किया जाएगा। मोगा के पास पिंडरकला गांव में दो एकड़ में बनाया जा रहा यह बाग साहित्य और पर्यावरण पर काम करेगा।
हरित भविष्य की ओर बढ़ने के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे
सोच के नेतृत्वकर्ता डॉ. बलविंदर सिंह लखेवाली और उनकी टीम में उपाध्यक्ष तरनप्रीत सिंह सिद्धू और सचिव डॉ. बृज मोहन भारद्वाज भी शामिल हैं। संस्था को संत गुरमीत सिंह जैसे संरक्षकों और पद्म श्री से सम्मानित स्वर्गीय डॉ. सुरजीत पातर जैसे साहित्यकारों से मार्गदर्शन मिला है।
विशेषज्ञों जैसे डॉ. मंजीत सिंह कंग और डॉ. मनीष कपूर ने भी संस्था को सहयोग दिया है। सोच का यह सामूहिक प्रयास न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है, बल्कि समाज में जागरूकता बढ़ाकर एक स्थायी और हरित भविष्य की ओर बढ़ने के लिए लोगों को प्रेरित कर रहा है।