दारागंज में मोरी गेट के पास गंगा नदी में बहता नाले का पानी।
महाकुंभ 2025 में आने वाले श्रद्धालुओं को शुद्ध गंगा जल में डुबकी लगवाने का दावा भले ही प्रशासन कर रहा है, लेकिन फिलहाल ऐसा होने की उम्मीद नहीं दिख रही है। शहर के छोटे-बड़े 44 नालों का पानी सीधे गंगा और यमुना में गिर रहा है। जिसकी टैपिंग का कार्य अधूरा
.
767 करोड़ से बन रही है तीन एसटीपी नालों का पानी सीधे गंगा और यमुना गिरने से रोकने के लिए शासन की तरफ से नमामि गंगे योजना के तहत तीन एसटीपी (सीवर ट्रीटमेंट प्लांट) तैयार कराए जा रहे है, इसमें फाफामऊ में 14 एमएलडी, नैनी में 42 और झूंसी मे 16 एमएलडी की क्षमता है। इन तीनों को तैयार करने में करीब 767 करोड़ रुपये की लागत आयी है। इस बजट में एसटीपी के 15 साल तक रख रखाव का खर्च भी शामिल है। हालांकि अभी इन तीनों एसटीपी को शुरू नहीं किया जा सका है।
दारागंज में सीधे गंगा में जा रहा झाग वाला गंदा पानी प्रयागराज में संगम के नजदीक दारागंज के मोरी गेट के पास भी नाले का पानी सीधे गंगा नदी में गिर रहा है। हालत यह है कि नाले से झाग वाला बदबू से भरा पानी गंगा नदी में गिर रहा है, अधिकारियों को भी इस बारे में जानकारी है। उसके बाद भी इस समस्या को दूर करने के लिए प्रशासन की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। उधर से गुजरने वाले लोग भी अपनी नाक को दबाकर वहां से जाते हैं। ऐसे में महाकुंभ के दौरान कैसे लोग गंगा के शुद्ध जल में स्नान करेंग। यह बड़ा सवाल है, हालांकि अधिकारी इस मामले में गोलमोल जवाब ही दे रहे हैं और कह रहे हैं कि तब तक टैपिंग का कार्य पूरा कर लिया जाएगा।