झारखंड बनने के बाद से अब तक विधानसभा के चार आम चुनावों में किसी एक दल को जनता ने पूर्ण बहुमत नहीं मिला। बहुमत के आंकड़े किसी भी एक दल के लिए दूर की कौड़ी रही। इस कारण झारखंड में हमेशा गठबंधन की ही सरकार बनती गई। ऐसा भी मौका आया कि दलों के बीच दल-दल (म
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2024 के विधानसभा चुनाव को लेकर अब तक जो स्थिति बन रही है, उसमें फिर इतिहास दोहराए जाने की संभावना है। इंडिया और एनडीए गठबंधन में शामिल किसी एक दल को पूर्ण बहुमत का आंकड़ा मिलता नहीं दिख रहा है। 81 सदस्यीय विधानसभा में किसी एक दल को बहुमत के लिए 41 सीटों का आंकड़ा प्राप्त करना अनिवार्य है।

राज्य के दोनों प्रमुख गठबंधनों के प्रमुख दलों की स्थिति कुछ यही कह रही है। भाजपा 68 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। भाजपा के रणनीतिकार स्वीकार करते हैं कि अकेले पार्टी को 68 में 41 सीटें मिलने की उम्मीद नहीं दिखती है।
उसी तरह इंडिया गठबंधन की प्रमुख पार्टी झामुमो पिछली बार 41 सीटों पर ही चुनाव लड़ा था। इस बार इसमें एक-दो सीटें और कम होने की संभावना है। इस स्थिति में झामुमो 40-41 सीटों पर ही चुनाव लड़ने जा रही है, फिर उसे बहुमत के लिए जरूरी 41 सीटों का आंकड़ा मिलना संभव नहीं है।

2014 में भाजपा को मिली थी 37 सीटें और 2019 में झामुमो को 30
झारखंड में अब तक विधानसभा के चार आम चुनाव हो चुके हैं। 2005 के पहले आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 30 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को 17, कांग्रेस को नौ और आजसू को दो सीटें मिली थी।

2009 के चुनाव में भाजपा मात्र 18 सीटों पर सिमट गई। झामुमो को 18, कांग्रेस को 14 एवं आजसू को पांच सीटें मिली।

2014 के चुनाव में भाजपा को सबसे अधिक 37 सीटें मिली। झामुमो को 19, कांग्रेस को 6 और आजसू को पांच सीटें मिली।

2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमो सबसे अधिक 30 सीटें मिली थी। भाजपा 25, कांग्रेस 16 एवं आजसू को मात्र दो सीटें मिलीं।
दलों के बीच दल-दल, तीन बार लगा राष्ट्रपति शासन
राज्य में तीन बार ऐसे भी मौके आए, जब आपस में मिलकर पार्टियां सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत का आंकड़ा नहीं जुटा सकीं। इस कारण तीन बार राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा। पहली बार 19 जनवरी 2009 से 29 दिसंबर 2009 लगभग एक साल तक, दूसरी बार एक जनवरी 2010 से 10 सितंबर 2010 लगभग नौ महीने तक और तीसरी बार 18 जनवरी 2013 से 13 जुलाई 2013 तक लगभग चह महीने तक राज्य में राष्ट्रपति शासन रहा।
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