झांसी के मोंठ कस्बे में आयोजित यादव समाज की मीटिंग में मृत्युभोज को बंद करने का निर्णय लिया गया।
झांसी के यादव समाज में अब कोई तेरहवीं यानी मृत्युभोज का आयोजन नहीं होगा। अब से किसी की मौत होने पर सिर्फ बाह्मणों और कन्याओं को भोजन कराया जाएगा। इसके अलावा न तो समाज के लोगों को बुला सकेंगे और न ही अन्य समाज के लोगों को खाना खिला सकेंगे। अगर कोई इस
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यह फैसला मोंठ कस्बे में आयोजित यादव समाज की मीटिंग में लिया गया है। समाज के मौजिज लोगों ने कहा कि अभी मोंठ कस्बे में यह फैसला लिया गया। आगे प्रचार प्रसार करेंगे, ताकि प्रेरणा लेकर अन्य गांव के लोग भी इसे लागू करें। इससे पहले रेवन गांव के लोग भी मृत्यु भोज का बहिष्कार कर चुके हैं। इस निर्णय की हर तरफ तारीफ हो रही है।
लोगों ने शपथ ली, नहीं करेंगे मृत्यभोज
मीटिंग में मुत्युभोज के बहिष्कार का सर्वसम्मति से फैसला किया गया।
मोंठ के सन्नी विवाह घर में शनिवार शाम को यादव समाज की मीटिंग हुई। मीटिंग की अध्यक्षता कर रहे पूर्व अध्यापक रघुवीर सिंह यादव ने बताया कि समाज को कुरीतियों से बचाने के लिए मृत्युभोज को बंद करने का प्रस्ताव रखा गया। इसे सभी ने सर्वसम्मति से पारित किया।
लोगों ने शपथ ली है कि वे अब से मृत्युभोज का आयोजन नहीं करेंगे। मौत होने पर सिर्फ ब्राह्मणों और कन्याओं को खाना खिलाएंगे। इसके अलावा रिश्तेदार और परिवार के लोगों को भी बुला सकेंगे। तेरहवीं करके समाज या अन्य समाज के लोगों को खाना नहीं खिला सकेंगे।
कोई कार्ड भी नहीं छपवाएगा
मीटिंग की अध्यक्षता पूर्व अध्यापक रघुवीर सिंह यादव ने की।
रघुवीर सिंह यादव ने आगे बताया कि मीटिंग में निर्णय लिया गया कि मौत के बाद कोई शोक-पत्र यानी तेरहवीं का कार्ड भी नहीं छपाएगा। तेरहवीं करके न किसी को बुलाना है और न ही किसी की त्रियोदशी में जाना है। इस फैसले के पीछे सभी की मंशा यादव समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने की है।
क्योंकि, पहले तो परिवार का सदस्य हमेशा के लिए जुदा हो जाता है। फिर मृत्युभोज के नाम पर फिजूल खर्च होता है। समाज को उससे बचाने के लिए मोंठ में ये फैसला लिया गया। इसे देखकर अन्य गांवों में भी जागरुकता आएगी। मीटिंग में एक समिति भी बनाई गई। जो नजर रखेगी और प्रचार प्रसार भी करेगी।
लोग जश्न की तरह तेरहवीं करने लगे
ये तस्वीर पूर्व चेयरमैन अनुरुद्व सिंह यादव की है।
पूर्व चेयरमैन अनुरुद्व सिंह यादव ने बताया कि झांसी में मौत के बाद धूमधाम से तेरहवीं करने का एक क्रेज-सा चल गया है। इसमें कई प्रकार की मिठाई, कई तरह की सब्जियां, खीर आदि पकवान बनवाने में लोगों के लाखों रुपए खर्च हो जाते हैं। जो बहुत गलत है।
इस तरह की तेरहवीं का किसी भी वेद-पुराण में उल्लेख नहीं है। आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ करके ब्राह्मण भोज व कन्या भोज करना चाहिए। गरीबों को खाना खिलाएं।