Mandi CM inspected Shanan Power Project Punjab case Update | मंडी में CM ने किया शानन पावर प्रोजेक्ट का निरीक्षण: बोले- इस पर हिमाचल का हक, अंग्रेजों के जमाने में बना था बिजलीघर – Shimla News


शानन पावर प्रोजेक्ट का निरीक्षण करते सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के जोगिंदरनगर विधानसभा दौरे पर गए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू शुक्रवार सुबह कुल्लू जाने से पहले अचानक शानन पावर प्रोजेक्ट का निरीक्षण करने पहुंचे। सीएम सुक्खू ने पूरे प्रोजेक्ट का निरीक्षण किया और कहा कि इस प्रोजेक्ट प

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सीएम सुक्खू ने कहा कि आज शानन जल विद्युत परियोजना का निरीक्षण किया है। उन्होंने कहा की इस परियोजना पर हिमाचल प्रदेश का हक है और इसे वापस लेने के लिए देश की सर्वोच्च अदालत में हमारी सरकार मजबूती से लड़ाई लड़ रही है। सीएम सुक्खू ने कहा कि हिमाचल की संपदा को लूटने नही देंगे। क्योंकि हिमाचल प्रदेश की प्रगति व आत्मनिर्भरता की नींव प्रदेश के संसाधनों में है।

क्या है शानन परियोजना का मामला बता दें कि देश पर ब्रिटिश शासन के दौरान मंडी रियासत के राजा जोगेंद्र सेन ने शानन बिजलीघर के लिए जोगिंदरनगर में जमीन उपलब्ध करवाई थी। उस दौरान जो समझौता हुआ था। उसके अनुसार इसकी लीज अवधि 99 साल रखी गई थी, यानी 99 साल पूरे होने पर ये बिजलीघर उस धरती (मंडी रियासत के तहत जमीन) की सरकार को मिलना था, जहां पर ये स्थापित किया गया था। भारत की आजादी के बाद हिमाचल प्रदेश पंजाब का ही हिस्सा था।

2024 में समाप्त हुई लीज अवधि वैसे हिमाचल का गठन 15 अप्रैल 1948 को हुआ था, लेकिन पूर्ण राज्य का दर्जा 1971 में मिला था। उस समय पंजाब पुनर्गठन एक्ट के दौरान शानन बिजलीघर पंजाब सरकार के स्वामित्व में ही रहा। पंजाब पुनर्गठन एक्ट-1966 की शर्तों के अनुसार इस बिजली प्रोजेक्ट को प्रबंधन के लिए पंजाब सरकार को हस्तांतरित किया गया था। लेकिन 2024 में इसकी लीज अवधि समाप्त हो गई है। ऐसे में लीज समझौते के अनुसार यह प्रोजेक्ट हिमाचल प्रदेश को वापस मिलना चाहिए लेकिन यह कुमाऊँ पूत है, इससे 200 करोड़ की आय होती है।इसलिए पंजाब इसको छोड़ने के लिए आसानी से तैयार नही है और कानूनी लड़ाई लड़ रहा है।

आज होती है 200 करोड़ की कमाई मंडी में जोगेंद्रनगर की ऊहल नदी पर स्थापित शानन बिजलीघर अंग्रेजों के शासन के दौरान साल 1932 में केवल 48 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता वाला प्रोजेक्ट था। बाद में पंजाब बिजली बोर्ड ने इसकी उत्पादन क्षमता को बढ़ाया, बिजलीघर शुरू होने के पचास साल बाद वर्ष 1982 में शानन प्रोजेक्ट 60 मेगावाट ऊर्जा उत्पादन वाला हो गया। अब इसकी क्षमता पचास मेगावाट और बढ़ाई गई है, जिससे ये अब कुल 110 मेगावाट का प्रोजेक्ट है। कुल 200 करोड़ सालाना इनकम वाले इस कमाऊ पूत को पंजाब अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहता है।

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