पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब के एक वकील द्वारा मांगी गई कमांडो सुरक्षा की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल स्टेटस दिखाने के लिए किसी भी व्यक्ति को राज्य सरकार के खर्च पर सुरक्षा प्रदान नहीं की जा सकती।
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कोर्ट ने कहा कि जब तक किसी सक्षम प्राधिकारी द्वारा यह सिद्ध न किया जाए कि कोई असाधारण परिस्थिति है, जो सुरक्षा की मांग को न्यायोचित ठहराती हो, तब तक निजी व्यक्तियों को सरकारी सुरक्षा प्रदान करना उचित नहीं। विशेष रूप से यदि खतरा किसी सार्वजनिक सेवा या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ नहीं है, तो सरकार को करदाताओं के पैसे से विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग बनाना अनुचित होगा।
शिवसेना पंजाब के नेता ने मांगे थे कमांडो
याचिकाकर्ता देविंद्र राजपूत, जो खुद को एक राजनीतिक संगठन ‘शिवसेना’ के पंजाब लीगल सेल का अध्यक्ष बताते हैं, ने अपनी याचिका में जिप्सी एस्कॉर्ट और 5 कमांडो की मांग की थी। उन्होंने दावा किया कि 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद कुछ असामाजिक तत्व उनके खिलाफ हो गए हैं और उनकी जान को खतरा है। हालांकि, पुलिस की जांच में याची को किसी भी प्रकार का वास्तविक खतरा नहीं पाया गया और पहले से ही उसे अंतरिम उपाय के रूप में 24 घंटे के लिए 2 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा प्रदान की जा रही है।
कोर्ट ने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता ने कहीं भी यह नहीं बताया कि उसे किस व्यक्ति, गैंगस्टर या आतंकवादी से खतरा है। अदालत ने कहा कि केवल चुनाव लड़ने या किसी विशेष बयान के आधार पर राज्य में विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्तियों का वर्ग नहीं बनाया जा सकता। सीमावर्ती राज्य होने के नाते पंजाब पहले ही कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, और राज्य के संसाधन सीमित हैं। कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य को अपनी पुलिस की सेवाओं की आवश्यकता है, और ऐसे में अनावश्यक सुरक्षा प्रदान करना उचित नहीं होगा।