मुंबई14 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी और अभिनव त्रिपाठी
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इस बार की सक्सेस स्टोरी में कहानी एक्ट्रेस, सिंगर और मोटिवेशनल स्पीकर अन्वेषी जैन की। इंटरव्यू के दौरान वो कई बार इमोशनल भी हो गईं।
मध्यप्रदेश के छतरपुर की रहने वाली एक्ट्रेस अन्वेषी जैन की सफलता की कहानी दूसरे आर्टिस्ट से थोड़ी अलग है। बचपन से इन्हें बॉडी शेमिंग झेलनी पड़ी। एक तरह से इनका शरीर इनके लिए अभिशाप बन गया था। घर वाले हमेशा ढंककर रहने को कहते थे।
स्कूल खत्म होने के बाद इंजीनियरिंग में दाखिला कराया। वहां से एक्टिंग में रुझान हुआ। भोपाल में थिएटर किया। फिर मुंबई आना हुआ। खुद को साबित करने की होड़ में वेब सीरीज गंदी बात में काम किया, लेकिन यह बैकफायर कर गया। घर वालों ने बात करनी बंद कर दी। इंडस्ट्री ने भी उन्हें एक ही लीक में लाकर खड़ा कर दिया।
अपनी इमेज को बदलने के लिए अन्वेषी ने कड़ी मेहनत की। एक्टिंग और सिंगिंग पर खूब काम किया। उनकी मेहनत रंग लाई। आज उनके पास कई प्रोजेक्ट्स हैं। बतौर एक्ट्रेस वे कन्नड फिल्म मार्टिन में नजर आने वाली हैं। इसके अलावा वे तेलुगु फिल्मों का भी हिस्सा हैं।
अन्वेषी की कहानी उन्हीं की जुबानी..
शारीरिक बनावट की वजह से घर वाले सलवार-कमीज में रहने को बोलते थे मैं पुराने ख्यालों वाली एक रूढ़िवादी फैमिली से आती हूं। मां और पिताजी दोनों प्रोफेसर हैं। मेरे घर में लड़कियों को हमेशा तौर-तरीके से रहना बताया गया था।
बचपन से ही मेरी शरीर की बनावट ऐसी थी कि मुझे अन्य लड़कियों की अपेक्षा काफी परेशानी झेलनी पड़ी। घर वालों को लगता था कि लोगों की नजर मुझ पर पहले पड़ेगी, इसी वजह से वे मुझे हमेशा सलवार-कमीज में ढंककर रहने को कहते थे।
फिल्म टाइटैनिक देख एक्टिंग में रुझान पैदा हुआ एक बार टीवी पर हॉलीवुड फिल्म टाइटैनिक देख ली। उस दिन के बाद पता नहीं क्या हुआ कि मेरा इंटरेस्ट अचानक फिल्मों में हो गया। उस दिन के बाद से ही हीरोइन बनने के सपने देखने लगी।
मैंने सोचा कि अगर फिल्मों में आ गई और खुद के दम पर नाम बना लिया, तो जो इज्जत कभी नहीं मिली वो शायद मिलने लगेगी। हालांकि मन हमेशा आशंकित रहता था। सोचती थी कि जिस लड़की को बिना दुपट्टा घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी, वो फिल्मी दुनिया में कैसे काम कर पाएगी।
इंजीनियरिंग कॉलेज में जाकर जींस टॉप पहनना शुरू किया इन सब के बीच मैं इंजीनियरिंग करने भोपाल चली गई। घर से तीन हजार रुपए पॉकेट मनी मिलती थी। इसमें पूरे महीने का काम चलाना पड़ता था। इंजीनियरिंग कॉलेज में आने के बाद थोड़ी बहुत आजादी फील हुई। यहां मैं कभी-कभार जींस टॉप पहन लेती थी। इसी बीच मैंने भोपाल में ही थिएटर जॉइन कर लिया।
अन्वेषी ने भोपाल के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से B.TECH किया है।
घर वाले शादी का दबाव बनाते थे, बचने के लिए MBA करने चली गई सेकेंड ईयर में आने के बाद फील हुआ कि मैं जॉब नहीं कर पाऊंगी। घर वाले भी अब शादी को लेकर पीछे पड़ गए थे। शादी से बची रहूं, इसलिए इंदौर में MBA करने चली गई। हालांकि वहां पढ़ाई पूरी नहीं हो सकी।
बीच में ही मैंने बिजनेस करने का ठान लिया। अपना पेट काट कर, चाय बिस्किट खाकर इंटीरियर डिजाइनिंग का बिजनेस सेटअप किया। घर से फीस के लिए जो पैसे मिले थे, वो भी उसमें लगा दिया। वहां मेरा काम अच्छा चलने लगा। हालांकि जब यह बात मेरे घर वालों को पता चली तो उनका गुस्सा देखने लायक था।
जिस घर में रहती थी वहां आग लगी, 1800 रुपए लेकर मुंबई आई बिजनेस में हाथ आजमाने के बाद मैं इवेंट्स में एंकरिंग करने लगी। मैं इसके जरिए स्पीकिंग स्किल डेवलप करना चाहती थी। मुझे छोटे-बड़े इवेंट्स में होस्टिंग के ऑफर आने लगे। वहां से भी अच्छी कमाई हो जाती थी।
हालांकि एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि सब कुछ बदल गया। मैं इंदौर में जिस घर में रहती थी, उसमें आग लग गई। मेरे सारे कपड़े, जरूरी सामान, कागजात और कुछ पैसे जलकर राख हो गए। इस घटना के बाद मैंने ठान लिया कि अब यहां रहना ही नहीं है। दो हफ्ते के भीतर मैंने मध्य प्रदेश छोड़ा और सिर्फ 1800 रुपए लेकर मुंबई आ गई।
कैमरे पर मोटी दिखती थी, लगा कि अभी तैयार नहीं हूं मुंबई आने पर एक जानने वाले के घर में रहने लगी। उनका एक कमरे का ही घर था, लेकिन उन्होंने मुझे बहुत अच्छे से रखा। मुंबई आते ही मैंने ऑडिशन देने शुरू कर दिए। हालांकि एक-दो ऑडिशन के बाद मुझे खुद में लगा कि अभी तैयार नहीं हूं। कैमरे पर काफी मोटी लग रही थी, साथ ही एक्टिंग भी उस लेवल पर नहीं हो पा रही थी। कंडीशन इतनी खराब थी कि मैं खुद अपने आप को कास्ट न करूं, कोई दूसरा क्या करेगा।
परेशान होकर मैंने अपने एक्टिंग कोच को फोन किया। उन्होंने कहा कि बेटा, तुम सपने तो बड़े-बड़े देख रही हो, लेकिन उस हिसाब से मेहनत नहीं कर पा रही हो। इस बात ने मुझे आईना दिखा दिया। मैंने कुछ वक्त के लिए ऑडिशन देना बंद किया और 90 दिन का एक चार्ट बनाया। इन 90 दिनों में अपनी बॉडी और स्किल्स पर खूब काम किया। इसके बाद मैंने जब दोबारा ऑडिशन दिया, तो उसमें सिलेक्ट हो गई।
बालाजी प्रोडक्शन का नाम सुन ऑडिशन देने आई, वहां पता चला कि एडल्ट वेब सीरीज में सिलेक्शन हुआ है मैं ऑडिशन में सिलेक्ट तो हो गई, लेकिन यह नहीं पता था कि मुझे शो कौन सा मिलने वाला है। बाद में पता चला कि यह तो एडल्ट वेब सीरीज गंदी बात का ऑडिशन था। मैं तो एकता कपूर के बालाजी प्रोडक्शन का नाम सुनकर ऑडिशन देने आई थी।
फिर कल्पना करने लगी कि अगर मैंने इस शो में काम किया तो मेरे पिता क्या सोचेंगे। वे मुझे जींस-टॉप में भी नहीं देखना चाहते थे, फिर इस शो में देखेंगे तो क्या रिएक्शन होगा।
शूटिंग के दौरान रोने लगी, को-एक्टर्स ने कहा- करना तो पड़ेगा वर्ना बायकॉट हो जाओगी मैं इस शो में काम करने को लेकर कन्फ्यूज थी। समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं। मैंने कुछ अपने लोगों से बात की। उन्होंने कहा कि ऐसे मौके बार-बार नहीं मिलते, तुम्हें यह शो करना चाहिए। फिर मैंने प्रोडक्शन वालों के सामने शर्त रखी कि मेरा सीन किसी लड़के के साथ नहीं होना चाहिए। बहरहाल, मेरा सीन लड़की के साथ रख दिया गया।
शूटिंग के दौरान मैं काफी असहज होने लगी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं यह क्या कर रही हूं। मुझे कुछ पल के लिए ऐसा लगा कि मैं अपनी बॉडी बेच रही हूं। मैं सेट पर किनारे जाकर रोने लगी।
मैंने अपने को-एक्टर्स से कहा कि मुझसे यह सब नहीं हो पाएगा। उन्होंने कहा कि अगर तुम यह शो बीच में ही छोड़ दोगी, तो इंडस्ट्री से बायकॉट हो जाओगी। यह बात सुनकर मेरे पास उस शो को कम्प्लीट करने के अलावा कोई चारा नहीं रह गया।
ऑल्ट बालाजी के शो गंदी बात-2 से अन्वेषी (बाएं) को पहचान जरूर मिली, लेकिन इसकी वजह से उन्हें काफी आलोचना भी झेलनी पड़ी।
लोगों ने कहा- आपकी बेटी क्या गुल खिला रही है, रिश्तेदार अवॉयड करने लगे बाद में इसकी (गंदी बात) क्लिप वायरल होने लगी। मेरे होमटाउन में परिवार का मखौल बनने लगा। पापा के साथ काम करने वाले कुछ पत्रकार दोस्त कहते थे- आप तो बहुत सज्जन हैं, लेकिन अपनी बेटी को देखिए, वो क्या गुल खिला रही है।
जब भाई ने कह दिया- तुम अपनी बॉडी की वजह से फेमस हो
मेरे छोटे भाई जिसने जीवन के हर मोड़ पर मुझे सपोर्ट किया, उसकी एक बात मुझे काफी लग गई थी। एक दिन हमारा झगड़ा हो गया। उसने गुस्से में कह दिया कि तुम्हें क्या लगता है कि तुम टैलेंट की वजह से फेमस हो? सिर्फ बॉडी की वजह से तुम्हारी पहचान है।
भाई के मुख से यह बात सुनकर ऐसा लगा कि सब खत्म हो गया। हालांकि उसे बाद में पछतावा जरूर हुआ।
फिर सोच लिया- ऐसे शोज में दोबारा काम नहीं करना ‘गंदी बात’ करने के बाद मैंने सोच लिया कि अब कभी भी ऐसे शोज दोबारा नहीं करूंगी। कई बार मुझे ब्लैंक चेक मिलते थे। वे कहते थे, जितने पैसे लेने हैं, ले लीजिए बस हमारे शो में काम कर लीजिए। वे सारे एडल्ट शोज थे, इसलिए मैं उन्हें मना करती गई। लॉकडाउन के वक्त मैंने 50 से ज्यादा शोज को मना किया था।
एक ही टाइप के रोल मिलते थे, फिर भी मेहनत नहीं छोड़ी मुझे दो साल तक सिर्फ एक ही टाइप के रोल मिलते रहे। एक तरह से मुझे टाइपकास्ट कर दिया गया था। हालांकि मैंने मेहनत करनी नहीं छोड़ी। धीरे-धीरे समय आया जब लोगों ने मेरी बॉडी से ज्यादा एक्टिंग को तवज्जो देनी शुरू की।
मैंने फिल्म शेरशाह के गाने राता लंबिया का कवर वर्जन गाया, जिसकी वजह से मुझे अच्छा-खासा एक्सपोजर मिला। शेरशाह के डायरेक्टर विष्णुवर्धन सर ने भी मेरी तारीफ की। अगर मैं उनसे पहले मिलती तो शायद ओरिजिनल गाना मुझे ही गाने मिल जाता।
इसके बाद मैंने एक गुजराती फिल्म में काम किया, जो ब्लॉकबस्टर थी। तेलुगु फिल्म ‘कमिटमेंट’ से डेब्यू किया। रवि तेजा की फिल्म रामाराव ऑन ड्यूटी में एक कैमियो किया। फिलहाल मेरी एक कन्नड़ फिल्म मार्टिन रिलीज होने वाली है।
इसके अलावा मैंने कई टेड टॉक्स किए हैं, मोटिवेशनल स्पीकर के तौर पर भी काम करती हूं। पापा को भी एक बार ले गई थी। इतने लोगों के सामने बोलता देख शायद मुझे लेकर उनकी मानसिकता जरूर थोड़ी बदल गई होगी।
पंजाबी सिंगर ने कहा- साड़ी रख लो, मैं तुम्हें इसमें देखना चाहता हूं एक बार की बात है। मैं एक फेमस पंजाबी सिंगर के साथ एक गाने के लिए डेढ़ महीने से प्रैक्टिस कर रही थी। खुश थी कि इतने बड़े सिंगर के साथ काम करने का मौका मिल रहा है। हमें सॉन्ग की रिकॉर्डिंग के लिए चंडीगढ़ जाना था। उन्होंने जाने से पहले कहा कि तुम अपने बैग में दो जोड़ी साड़ी रख लो। मैं तुम्हें पर्सनली साड़ी में देखना चाहता हूं।
यह बात सुनते ही मैंने कहा कि आप यह बात पहले कहते तो मैं आपके साथ काम ही नहीं करती। उसी सिंगर ने दो साल बाद मुझसे माफी मांगते हुए मैसेज किया था।
सफलता की राह में आर्टिस्ट का लुक आड़े नहीं आना चाहिए
अन्वेषी ने इंटरव्यू के अंत में कहा- मैं चाहती हूं कि इंडस्ट्री के नामी फिल्म मेकर्स और डायरेक्टर्स आर्टिस्ट के लुक से ज्यादा उनकी एक्टिंग स्किल को तरजीह दें। ऐसे लोगों के लिए अपने दरवाजे खोलें जो आउटसाइडर्स हैं या जिनके ऊपर किसी का हाथ नहीं है।
मैं मानती हूं कि किसी भी आर्टिस्ट की सफलता की राह में उसका लुक आड़े नहीं आना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो यह चीज इंडस्ट्री और आर्टिस्ट दोनों के लिए नुकसानदायक है।