बुलंदशहर शहर के लिए केंद्र सरकार की अमृत योजना के तहत बिछाई जा रही सीवर लाइन वरदान की जगह अभिशाप बन चुकी है। करीब 400 करोड़ रुपए की इस योजना ने शहर को नरक में तब्दील कर दिया है। शहर की तमाम सड़कें गड्डों में तब्दील हो चुकी हैं।
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शहर के मुख्य मार्ग हों या गली-मोहल्ले की सड़कें, सबका बुरा हाल है। बुलंदशहर में सड़कों की इस दुर्दशा पर तमाम व्यापारी संगठन से लेकर सामाजिक संगठन विरोध में उतर आए हैं। आए दिन नगर पालिका और जल निगम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे जा रहे हैं, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं की जा रही है।
अगले सप्ताह से शुरू हो जाएंगे मेले और जुलूस नवरात्र के पहले दिन से ही शहर में सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम होते हैं। पूरे नवरात्र में विभिन्न मंदिरों से महाकाली के जुलूस और विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम किए जाते हैं। शहर में डोले निकाले जाते हैं। राम की बारात निकलती है। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि गड्डों में तब्दील हो चुकी सड़कों पर अब कैसे कोई कार्यक्रम या जुलूस निकाला जा सकता है।
150 करोड़ रुपए और हुए जारी 400 करोड़ की इस सीवर लाइन योजना से पहले ही शहर नरक में तब्दील हो चुका है। इसके बावजूद योगी सरकार की तरफ से अब 150 करोड़ रुपए और जारी किए गए हैं। पहले ही इस बजट का बंदरबांट नेताओं, अफसरों और ठेकेदारों के बीच हो चुका है। उम्मीद है कि 150 करोड़ के इस बजट को भी इसी प्रकार बंदरबांट कर लिया जाएगा।
शहर बना दिया नरक : व्यापार मंडल व्यापार मंडल के अध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल का कहना है कि शहर को यहां के नेताओं और अफसरों ने नरक में तब्दील कर दिया है। विकास शहर का नहीं बल्कि यहां के नेताओं और अफसरों का हुआ है। लोगों को अब सड़क पर उतरकर इनका विरोध करना होगा, तभी शहर की बहरी सरकार की नींद खुल सकेगी।
30 सितंबर तक होगा काम : चेयरपर्सन बुलंदशहर की चेयरपर्सन दीप्ति मित्तल का कहना है कि उनके कार्यकाल से पहले से ही शहर की सड़कों की दुर्दशा हो चुकी है। कुछ समय का मुझे वक्त दिया जाए। में 30 सितम्बर से पहले शहर की सड़कों को दुरुस्त कराउंगी। इसके बाद जब मेले खत्म हो जाएंगे तो सभी सड़कों का निर्माण सुनिश्चित किया जाएगा।