चंडीगढ़ जिला अदालत ने 40 हजार का जुर्माना लगाया।
चंडीगढ़ जिला अदालत ने रेलवे स्टेशन पर खराब गुणवत्ता की चटनी बेचने के आरोपी दुकानदार सुशील कुमार को दोषी करार देते हुए 40 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। साथ ही, उसे दिनभर कोर्ट में खड़े रहने की सजा भी दी गई है। दोषी दुकानदार बिहार के छपरा जिले का निव
.
यह घटना 2014 की… जब उत्तर रेलवे की फूड सेफ्टी टीम ने अचानक चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन का दौरा किया। फूड सेफ्टी ऑफिसर और उनकी टीम ने एक दुकान से समोसे और ब्रेड पकोड़े के साथ दी जा रही टमाटर की चटनी की जांच की। जांच के दौरान पाया गया कि दुकानदार की दी जा रही चटनी खाने योग्य नहीं थी। इसे प्लास्टिक की बोतल में रखा गया था और इसकी गुणवत्ता बेहद खराब थी। टीम ने तुरंत दुकानदार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
25 रुपए लीटर में खरीदी थी चटनी जांच टीम ने दुकानदार से चटनी की खरीदारी के स्रोत के बारे में जानकारी मांगी, लेकिन दुकानदार सुशील कुमार ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया। बाद में उसने बताया कि वह यह चटनी 25 रुपए प्रति लीटर की दर से खरीदकर लाता है। इसके बाद फूड सेफ्टी ऑफिसर ने 50 रुपए का भुगतान कर 2 लीटर चटनी का सैंपल लिया और उसे पंजाब की फूड एनालिस्ट लैब में जांच के लिए भेजा गया।
लैब रिपोर्ट ने की पुष्टि: चटनी खाने योग्य नहीं करीब 12 दिनों के बाद लैब रिपोर्ट में यह पुष्टि की गई कि चटनी में घुलनशील ठोस पदार्थ की मात्रा मात्र 1.36 प्रतिशत थी, जबकि निर्धारित मानक 25 प्रतिशत होना चाहिए। इसके अलावा, चटनी में आर्टिफिशियल मिठास और सिंथेटिक रंग भी पाया गया, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इस रिपोर्ट के आधार पर रेलवे ने दुकानदार के खिलाफ जिला अदालत में मामला दर्ज किया।
अदालत का फैसला: दुकानदार दोषी, कैटरिंग कंपनी बरी अदालत ने सभी सबूतों और तथ्यों को ध्यान में रखते हुए दुकानदार सुशील कुमार को दोषी ठहराया। उसे 40 हजार रुपए का जुर्माना और दिनभर कोर्ट में खड़े रहने की सजा सुनाई गई। हालांकि, चटनी आपूर्ति करने वाली कैटरिंग कंपनी ‘क्लासिक कैटरर्स’ पर कोई दोष सिद्ध नहीं हो पाया और उसे बरी कर दिया गया।